झूला गीत : बुन्देली लोकगीत

Jhoola Geet : Bundeli Lok Geet

	

झुला दो माई श्याम परे पलना

झुला दो माई श्याम परे पलना। काऊ गुजरिया की नजर लगी है, सो रोवत है ललना। झुला दो... राई नौन उतारो जसोदा, सो खुशी भये ललना। झुला दो... जो मोरे ललना खों पलना झुलावैं दैहों जडाऊं कंगना। झुला दो...

झुला दो रघुबर के पालने री

झुला दो रघुबर के पालने री। झुलाओ मोरे हरि के पालने री। कै गोरी आली सबरे बृज की संखियां, घेर लए हरि के पालने री। झुला दो... कै मोरी आली कोरी मटुकिया को दहिया, जुठार गयो तोरो श्यामलो री। झुला दो... कै मोरी आली तू गूजरी मदमाती, पलना मोरो झूले लाड़लो री। झूला दो...

झूला डरो कदंब की डार

झूला डरो कदंब की डार झूलें राधा प्यारी ना। झुला... कौना झूले कौन झुलावे, ऋतु मतवारी ना। झुला... राधा झूलें श्याम झुलावें, बदरा छाये ना। झुला... कौना गावें कौना बजावें, कौना नाचे ना। झुला... सखियाँ गावें कृष्ण बजावें, ग्वालें नाचे ना। झुला...

झूला डरो कदम की डार

झूला डरो कदम की डार, झूला झूलें नंद कुमार। काहे को जो बनो हिंडोला, काहे की जोती चार। झूला... चंदन काठ को बनो हिंडोला, रेशम जोती चार। झूला... का जो झूलें को जो झुलावे, को जो खैंचे डोर। झूला झूलें नंदकुमार। झूला... राधा झूलें कृष्ण झुलावें, सखियां मिचकी घाल। झूला...

झूला डरो कनक मंदिर में

झूला डरो कनक मंदिर में झूलें अवध बिहारी ना। राम लक्षिमन झूला झूलत, सिया दुलारी ना। झूला... भरत शत्रुहन मारत पेंगे, हनुमत, झलत बयारी ना। झूला... कोयल कूकत नाचत मोरा, शोभा देख निराली ना। झूला... सखियां सबरी कजरी गावे, खुशियां छाई ना। अवध में...

झूला पड़ गयो रे आंगन में

झूला पड़ गयो रे आंगन में बन में नाचे लागी मोर। को जो झूलें को जो झुलावें को जो खींचे डोर। गणपति झूलें शंभु झुलावें गौरा खींचे डोर। झूला... कौना महिना जन्म भयो है कौने नाम धरायो। झूला... भर भादों में जनम भयो है गणपति नाम धराये। झूला... काहे को इन्हें भोग लगत है काहे पे होत सवार। झूला... मोदक को इन्हें भोग लगत है मूषक पे होत सवार। झूला...

पार्वती के पुत्र गजानन

पार्वती के पुत्र गजानन पलना झूल रहे। कौन महीना तेरो जनम भयो हैं, कौने नाम धरायो। गजानन... पार्वती के पुत्र गजानन पलना झूले रहे। भर भादों में जनम भयो गणपति नाम धराओ। गजानन... को जो झूले को जो झुलावें को जो बलैया लेय। गजानन... गणपति झूले गौरा झुलावें शम्भु बलैयां लेय। गजानन... पार्वती के पुत्र गजानन पलना झूल रहे।

सखियां चलो चलें दरशन खों

सखियां चलो चलें दरशन खों, बृज में झूल रहे गोपाल। को जो झूले को जो झुलावें, को जो खेंचे डोर। बृज में झूल रहे गोपाल। राधा झूलें कृष्ण झुलावें, सखियां खैंचे डोर। ब्रज में झूल रहे गोपाल। काहे को तोरो बनो हिंडोला, काहे की लागी डोर। ब्रज... चन्दन काठ को बनो हिंडोला, रोशम लागी डोर। ब्रज... चहुं दिशि छाई कारी बदरिया, पवन चलत झकझोर। झूला...

हरे रामा आज बृज में श्याम

हरे रामा आज बृज में श्याम, बने मनिहारी रे हारी। वृन्दावन की कंुज गलिन में टेरत कृष्ण मुरारी रामा, हरे रामा है कोई बृज में चुड़ियां पहरन वारी रे हारी। खोल किवाड़ राधिका निकरी, चुड़ियां वारी रामा, हरे रामा वो पहराव पिया को जो लगे प्यारी रे हारी।। हाथ पकड़ पहरावन लागे, लाल हरीरी पीली रामा, हरे रामा मोहन निरखत जात, ये राधा भोली भाली रे हारी। हरे रामा...

हरे रामा लागे सावन के महीना

हरे रामा लागे सावन के महीना के झूला डारो रे हारी। रिमझिम रिमझिम बरसत मेघा रामा, भीज गई सब देह कि भीजी मोरी साड़ी रे हारी। हरे... रेशम डोर चन्दन के पलना रामा, झूलें राधा कृष्ण कदम की डारी रे हारी। हरे... दादुर मोर पपीहा बोले रामा, घाट-घाट मोहन की मुरलिया बाजे, प्यारी रे हारी। हरे... हरे रामा लागे सावन के महीना...

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