होली गीत : बुन्देली लोकगीत

Holi Geet : Bundeli Lok Geet

	

आज बिरज में होरी रे रसिया

आज बिरज में होरी रे रसिया। कौना गांव के कुंअर कन्हैया, कौना गांव की गोरी रे रसिया। आज... नन्दगांव के कुंअर कन्हैया, बरसाने की गोरी रे रसिया। आज... अपने-अपने महल से निकरीं सखी सब कोऊ श्यामल कोऊ गोरी रे रसिया। आज... उड़त गुलाल लाल भये बादर, मारत भर-भर रोरी रे रसिया। आज...

पनियां कैसे जाऊ सांवरिया मैं

पनियां कैसे जाऊ सांवरिया मैं, रसिया रोके मोखों डगरिया में। घूंघट की ओर चोट तक मारे, कांकरिया घाले गगरिया में। रसिया... केसरिया रंग अबीर अरगजा, भरि-भरि डारे चुनरिया में। रसिया... लख या हाल हंसे नर नारी, दे दे ताल बजरिया में। रसिया... कंचन कुँअरि करी बदनामी, नाहक अवध नगरिया में। रसिया...

पीरे पट वाले मेरे सैयां

पीरे पट वाले मेरे सैयां कै तुम संग किये साधुन के कै सरजू में दई गैयां। पीरे... ना हम संग किये साधुन के ना सरजू में दई गैयां। पीरे... गुण अवगुण तुम तो सब जानो तुम से नाथ झुपी नैयां। पीरे...

रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत

रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत रे होरी। कर झटकत घूंघट पट खोलत, मलत कपोलन रोरी। महल... कंचन की पिचकारी घालत, तक मारत उर ओरी। महल... सोने के घड़न अतर अरगजा, लै आईं सब गोरी। महल... हिलमिल फाग परस्पर खेलत, केसर रंग में बोरी। महल... अपनी-अपनी घात तके दोऊ, दाव करत बरजोरी। महल... कंचन कुँअरि नृपत सुत हारे, जीती जनक किशोरी। महल...

रसिया रंग भर-भर जिन मारो

रसिया रंग भर-भर जिन मारो, पिचकारी दृगन तक न मारो। न गहो छैल गैल बिच बहियां, पैयां पडूं मैं बलिहारी। पिचकारी... जो सुन पैहें सास ननद मोरी, सुन रूठ जैहें पिया प्यारो। पिचकारी... चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि, चरण कमल पे बलिहारी। पिचकारी...

सरजू के तीर चलो गोरी

सरजू के तीर चलो गोरी, जहाँ राजकुंअरि खेलें होरी। सखन सहित इत जनक दुलारी, अनुज सखन संग रघुबीरा जी। जहाँ... भरि अनुराग फाग सब गावत, खेलत सब हिलमिल होरी। जहाँ... केसर रंग भरे पिचकारी, मलत कपोलन पे रोरी। जहाँ... अपनी-अपनी घात तके दोऊ, दाव करत बरजोरी। जहाँ... कंचन कुंअरि नृपत सुत हारे, जीती जनक किशोरी। सरजू के तीर...

होली खेलूं आज किसन

होली खेलूं आज किसन, प्यारे होली खेलूं। आवत महल तुम्हें गह लूंगी सगले सखन से कर न्यारे। होली... लेहों काड़ कसर पिया सगरी बन प्रमोद तुमने रंग डारे। होली... देखों लाल आज तुम कैसे रसिया अजब बने बारे। होली... राधा दुलारी जान नें पावें रसिया अजब बने न्यारे।

होली खेले लाड़ली मोहन सें

होली खेले लाड़ली मोहन सें। बाजत ताल मृदंग झांझ ढप शहनाई बजे सुर तानन से। होली... भर पिचकारी मोरे सन्मुख मारी भीज गईं मैं तन मन से। होली... उड़त गुलाल लाल भये बादल रोरी भलें दोऊ गालन सें। होली... फगुआ मिले बिन जाने न दूंगी कह दो यशोदा अपने लालन सें। होली खेले लाड़ली मोहन सें।

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