विविध श्लोक : बाबा शेख फ़रीद

Vividh Shalok in Hindi : Baba Sheikh Farid

नोट: यह श्लोक श्री गुरु ग्रंथ साहब में दर्ज नहीं हैं
1

उठ फरीदा सुत्या दुनियां वेखन जाह ॥
मत कोयी बखश्या होवयी तूं वी बखश्या जाह ॥1॥

2

उठ फरीदा सुत्या मन दा दीवा बाल ॥
साहब जेहनां दे जागदे नफर की सोवन नाल ॥2॥

3

अखीं लख पसन्नि रूह न राज़ी कहीं स्युं ॥
मैंडियां सिकां सभ पुजनि जां मुक्ख देखां सज्जना ॥3॥

4

अज कि कल कि चहुं देहीं मलकु असाडी हेर ॥
के जिता के हारआयो सओदा एहा वेर ॥4॥

5

अभड़-वंजै उठ के, लगह धए जाए ॥
देख फरीदा जि थिया, झुरना गया वेहाय ॥5॥

6

आसरा धनी मलाहु कोयी ना लाह हो कडही ॥
विइउं दाज अथाह वर्याने सचा धनी ॥6॥

7

असा तुसाडी सजणों अट्ठो पहर समाल ॥
डीहें वसो मने मे राती सुपने नाल ॥7॥

8

अहन पवे भावे मेहु सिर ही उपर झल्लना ॥
तिकन कासा काठ दा वासा विच वना ॥
फरीदा बारी अन्दर जालना दरवेसा हरना ॥8॥

9

आख फरीदा की करां हुन वखत वेहाना ॥
ओड़क वेला वेख के बहु पछोताना ॥9॥

10

आवो लधो साथड़ो ऐवे वनज करीं ॥
मूल संभालीं आपना पाछे लाहा लईं ॥10॥

11

मंग साहब चंगा गुनी देहन्दा, कहै फरीद सुणावै ॥
बिन गुर निसदिन फिरां नी माए, पिर कै हावै ॥11॥

12

सकर खंड निवात गुड़ माख्युं माझा दुध ॥
मिठड़ियां हभे वसतूआं सांयी न पुजन तुध ॥12॥

13

सचा सांयी सच प्यारा तामूं कूड़ न खेली ॥
जंगल विचि बसेरा होसी तिथि न कोयी बेली ॥13॥

14

सबर मंझ कमान ए सबर का नी होन ॥
सबर सन्दा बाणु, खालकु खता न करी ॥14॥

15

सायी सेव्यां गल गई मास रेहा देह ॥
तब लग साईं सेवसां जब लग होसी खेह ॥15॥

16

सांयी सन्दे नाव खे, दावनि पिरी चवन्नि ॥
रब्ब न भन्ने पोर्या, सन्दे फकीरन्न ॥16॥

17

साजनु कउ पतिया लिखो ऊपरि लिखो सलाम ॥
जब के साजन बीछुरे नैनी नींद हराम ॥17॥

18

साजन तुमरे दरसि कउ चाहत हो दिन रैन ॥
कोरा कागद हाथि दे मुखु स्युं करियहु बैन ॥18॥

19

साजन पतियां तउ लिखो जे किछु अंतरि होइ ॥
हम तुम जियरा एकु है देखनि कउं है दोइ ॥19॥

20

सुख डुखाहुं अगले जे गेहली धींगे ॥
सुखा लाय कथा थीवे जां भुख कबूल करे ॥20॥

21

सुखा झूखां धधलां तिनां दिती झोक ॥
जा सिरि आई आपने तां मजां किते न लोक ॥21॥

22

सुख डुखाहुं अगले जे गिरली धीरे ॥
सुखां लायक त थीवह जां डुख कबूल करे ॥22॥

23

सेख फरीद कहे कलि मै मिठा पीव ॥
इक मुवा अरु जालि मै को नूं रखां जीव ॥23॥

24

सैख फरीद तवकली मालिन धरो पिजार ॥
तले बिछावै कंकरे सेवै सालिक दुआर ॥24॥

25

हथड़ी वटे हथड़े पैरां वट्टे पैर ॥
तुसां न मुतिया गाजरां असां न मुते बेर ॥25॥

26

जिती खुसियां कीतियां तिती थियम रोगु ॥
छिलु कारनि मारीऐ खाधै दा कि होगु ?26॥

27

इह तन रता देख करि, तिलियर ठूंग न मारि ॥
जो रते रबे आपणे, तिन तनि रतु न भाल ॥27॥

28

फरीदा मिरागीं अते आशकी, बाली मीझु न होइ ॥
जो जन रते रब स्युं, तिन मनि रतु न कोइ ॥28॥

29

इह दिल अजब किताब, जिथे दूजा हरफ न लिखीऐ ॥
फरीदा सो दम कित हिसाब, जो दम साईं विसारह ॥29॥

30

कहां करउं प्रीतम बिना कलप बिरछ दी छाउ ॥
ग्रीखम ढक सहेलहउ जो प्रीतम रल बाहु ॥30॥

31

काग कलूली करि गए बग बैठे सिर मलि ॥
संभिलि घिनु फरीद तूं वंञनु अज कि कलि ॥31॥

32

कंचन रास विसारि कर, मुठी धूड़ भरेनि ॥
फरीदा तूं तूं करेदे जो मुए भी तूं तूं करेनि ॥32॥

33

कंतु नेहु तनि गारुड़ी, नागां हथि मनाय ॥
विस गन्दली मसदह नगर, होरीं लहुद लहाय ॥33॥

34

कनक मोल कागद भया अरु मसु भई हीरे मोल ॥
लिखनी भई जु लिख थके ए दोउ पिय के बोल ॥34॥

35

कनत नेह तनि गारड़ी, नागां हथि मनाय ॥
विस गन्दली मसदह नगर, होरी लहदु लुहाय ॥35॥

36

कन्नां दन्दां अखियां सभना दिती हार ॥
वेख फरीदा छड गए मुढ कदीमी यार ॥36॥

37

कर कम्पै लिखनी गिरै रोम रोम अकुलाय ॥
सुघि आए छातीं जलै पतिया लिखी न जाय ॥37॥

38

कागां नैन निकास दूं, पी के दुख ले जाय ॥
फरीदा पहले दरस दिखाए के ता के पाछे खाय ॥38॥

39

तुम हम को क्युं विसार्यु इह भली न रीति ॥
क्या तुम लिखु नहीं जानते कि मनहु विसारी प्रीति ॥39॥

40

कागै आइ ढंडोल्या, पाय मुट्ठ कु हड्ड ॥
जिन पिंजर ब्रेहा बसै मास कहां ते रत ॥40॥

41

कागदु घनो होरु मस घनो हमारो प्यार ॥
अंतरि हियरे बसि रहे कि लिखे प्यारे यार ॥41॥

42

कोट ढठा गढ लुट्या डेरे पए कहार ॥
जीवदिया होरे मामले फरीदा मुयां होरे हार ॥42॥

43

कूक फरीदा कूक तू, ज्युं राखा जुआर ॥
जब लग टांडा न गिरै तब लगि कूक पुकार ॥43॥

44

खाकां विचि गड़ी सन्ही पानी पीविन पुनै ॥
लिखी मुहलति चलना फरीदा जयूं जयूं पए सुनै ॥44॥

45

खिड़की खुली अरब दी खुलै सभ दवार ॥
मंग फरीदा मंगणां एहा मंगन बार ॥45॥

46

फरीदा खेती उजड़ी सचे सिaुं लिव लाय ॥
जे अध खाधी उबरे तां फल बहुतेरा पाय ॥46॥

47

चड़्ह चलनि सुखवास नी, उपरि चउर झुलन्नि ॥
सेज विछावन पाहरू, जिथे जाय सवन्नि ॥
तिनां जनां दियां ढेरियां, दूरहुं पईआं दिसन्नि ॥47॥

48

जसा सै रातीं वड्डियां डू डू गांढणियां ॥
तुम इक जालु न संघिया असां सभै जालणियां ॥48॥

49

जसा राती वडियां धूखि धूखि उडनि पास ॥
ध्रिग तिन्नां दा जीव्या जिन्हां विडानी आस ॥49॥

50

जंगल जाय बिलास कर, भुख न साड़ि सरीर ॥
भोजन शेख फरीद दा, जाली जंड करीर ॥50॥

51

जां जां रूह रुकू मैं तां तां देही नोरंग ॥
दाना पानी बावदा मसतकि लिखया अंग ॥51॥

52

जा मूं लगा नेहु, तां मैं डुख वेहाज्या ॥
झुरां हभो ही डेह, कारनि सचै मा पिअरी ॥52॥

53

जितु मुखि कदी न देदियां, तता भोजन वाति ॥
तिसह उपरि ढंढड़ी बलसि सरंग राति ॥53॥

54

जो दिता तै जिता रस पिया यूं लीन ॥
वारया तै हारया कहु सेख फरीद प्यार्या ॥54॥

55

जि इट सरान अते गोर घर कीड़ा लड़िअसी मास ॥
केतड़्यां जुग जाणगे जि पया इकते पास ॥55॥

56

जि फरीदा भनी घड़ी सुवनवीं अतै तुटै नगर लजु ॥
अजराईलु फरैसता भै घरि नाठी अजु ॥
घिन आया जिन्द कू केहा करेसी पजु ॥56॥

57

जिती खुसियां कीतियां तिती थियम रोग ॥
छिलु कारनि मारीऐ खाधै दा कि होगु ॥57॥

58

जिन्दगी दा वसाह नहीं समझ फरीदा तूं ॥
कर लै अच्छे अमल तूं हो जा सरनगूं ॥58॥

59

जिनी तूं तूं किया तिनी सिवातो तन्नि ॥
रब न पंठे खोर्या धन्दे फकीरन ॥59॥

60

जी जी जीवे दुनी ते खुरीए कही न लाय ॥
इको खरनु रखि कै होर सभे देइ लुटाय ॥60॥

61

टूबी मारनी गाखड़ी सधरां लख करेन ॥
जिनां दा मनु धाप्या सोयी मानक लडेन ॥61॥

62

तन समुन्द मनसा लहरु अरु तारू तरह अनेक ॥
ते बिरही क्युं जीवते जि आहे न करते एक ॥62॥

63

तन रहया मनु सड़िया पंजां नूं होयी ताकि ॥
ढेरी होयी भसम दी (ज्युं) बसती गुजराकि ॥63॥

64

तिना अति प्यार्यां कोइ न पुछे जाय ॥
खन्निअहु तिखी पुरसलात तै कन्नी न सुण्याइ ॥
फरीदा किड़ी पवन्दीए तूं खड़ा न आपु मुहाय॥64॥

65

दर भीड़ा घरु संगुड़ा गोर निमानी वासु ॥
देखु फरीदा जो थीया आड़वंजि करयासु ॥65॥

66

परीतम तुम मति जाण्या तुम बिछरत हम चैन ॥
दाधे बनि की लाकड़ी सुलघतु हूं दिन रैन ॥66॥

67

पलका सो पग झारती जो घर आवै पीउ ॥
अउर बधावा क्या करो मैं पल पल वारे जीउ ॥67॥

68

पलका सो पग झारती असूअन करत छिरकाउ ॥
भउहां ऊपरि पाउं धरि स्याम सलोने आउ ॥68॥

69

पिरी विसारनु ना करनु जे मूह भागेन ॥
फरीदा पिरी विसारे नाअते ब्या रवन कबुधी रवेनि ॥69॥

70

पीर विसारनि ब्या रवन कुबुधी चवेनि ॥
कंचन राम विसार कै मुठी धूड़ भओएन ॥70॥

71

फरीदा उचा न कर सदु रब दिलां दियां जाणदा ॥
जु तुध विच कलब सो मंझाहू दूर करि ॥71॥

72

फरीदा उथां टिकीऐ जिथे वसन अन्न्हे ॥
ना को सानूं जाने बुझे ना सानूं मन्ने ॥72॥

73

फरीदा असां केरी भई सुरीत ॥
जाऊं प्रीतम की गली कि जाऊं मसीत ॥73॥

74

फरीदा अकै त सिकन सिकु, अकै त पुछि सिकन्द्यां ॥
तिनां पिछे न लुक, जो सिकन सार न जाणनी ॥74॥

75

फरीदा अकै त लोड़ मुकद्दमी, अकै त अल्लहु लोड़ ॥
दो धरि बेड़ीं न लत्त धरि, वंझह वखत बोड़ि ॥75॥

76

फरीदा अति रंगड़े विगुचयो वंञि पुछा मंजिठ ॥
टके तोल बिकांवदी सु गोली रुलन्दी दिट्ठ ॥76॥

77

फरीदा अज कि कल कि चहु दिनी ओड़क दिनी दसीं ॥
एस सुहावड़े देसड़े ना होवहगे असीं ॥77॥

78

फरीदा अन्दर तै जे मामले बाहर क्या सीगार ॥
पाज तिथाऊ उघड़ै जिथे मिले कंधार ॥78॥

79

फरीदा अन्दर भरिया सांमली बाहरि की संगयार ॥
पाज तिधाईं उघड़ै जिथे मिलन्ह कंधार ॥79॥

80

फरीदा आह हिकड़ा अते हुन भि थीसी हिक ॥
ओपयी टन्ना न करे, तेही आइअसु सिक ॥80॥

81

फरीदा ऐसा होइ रहु जैसा कख मसीति ॥
पैरां तले लिताड़ियां, तूं कदे न छोडैं प्रीत ॥81॥

82

फरीदा इह सहज दियां बूथियां रखियां रब सवार ॥
जां जां इस जहान मह तां तां देखह जार ॥82॥

83

फरीदा इह जो जंगल रुखड़े हरियलु पतु तिनहां ॥
पोथां लिख्या अरथु दा एकसु एकसु मांह ॥83॥

84

फरीदा इह तन भौकना नित नित दुखे कौन ॥
कन्नी बुज्जे दे रहां किती वगे पौन ॥84॥

85

फरीदा इह दम गए बाउरै, जागन दी करि रोप ॥
इह दम हीरै लाल नै, गिने शाह नूं सोंप ॥85॥

86

फरीदा इक वेहजे लून ब्या कसतूरी झुंग रवह ॥
बाहरि लाय सबून अन्दरि हच्छा न थीवह ॥86॥

87

फरीदा इकना मति खुदाय दी इकना मंग लई ॥
इक दिती मूल न धिन्नदे, ज्यूं पथर बून्द पई ॥87॥

88

फरीदा इके तां सिकन सिक, इक तां पुच्छ सकिन्दियां ॥
तिनहां पिछे न मुक, जो सिकन सार न जाणनी ॥88॥

89

फरीदा इकै लोड़ मकसदी इकै ता अलाह लोड़ ॥
दोहु बेड़ी न लतु धरि वंञी वखर बोड़ु ॥89॥

90

फरीदा इट सिराने गोर घर कीड़ा पवसी मासि ॥
कितड़्यां जुग जानगे पया इकतु पासि ॥90॥

91

फरीदा इन जहान बिचि ए त्रै चंगे टोल ॥
हथों डेवे नवि चले मुखों मिठा बोल ॥91॥

92

फरीदा एस जहान विच, तिन्ने टोल करेनि ॥
मिठा बोलन, निव चलन, हथहुं भि किझु देइन ॥92॥

93

फरीदा ए बह जांदियां घुथियां रखियां रब धवार ॥
जां जां इस जहान मे तां तां रब चितार ॥93॥

94

फरीदा एक मूरति लोयना एक मूरति दुइ सास ॥
एक मूरति घट दोइ है दो मूरति इक आस ॥94॥

95

फरीदा सजे सबर जिनां पाधियां, छुटे कबहूं बनी ॥
जिन्हां सिर परि वंञना तिनां कूड़ मनी ॥95॥

96

फरीदा साहब लोड़ह हभ्भ ॥
तां थीaुं पवाहे दभ्भ ॥
हक छिजह ब्या लताड़ियह ॥
ता साहब दे दर वाड़ियह ॥96॥

97

फरीदा सायया सिका वेख कै, लोक जाने दरवेस ॥
अन्दर भरिया मांसुली, बाहरि कूड़ा वेस ॥97॥

98

फरीदा सिका सिक सिकन्द्यां, सिकीं डीहे राति ॥
मैंडियां सिकां सभ पुजन्नि जा पिरिया पायी झाति ॥98॥

99

फरीदा सुखां कूं ढूंढेदियां डुख न बारी डेन्ह ॥
इक भरि भरि पूर लंघायनि ब्या पतन आइ खलेन्ह ॥99॥

100

फरीदा सुता अह नींदम पिवदो ईव ॥
जिन्नी नैन नीदावले से धनी मिलन्दे कीव ॥100॥

101

फ़रीदा सुता है त जाग, घना सवसीं गोर महं ॥
बिन अमलां सोहाग गलीं रब्ब ना पाईअह ॥101॥

102

फ़रीदा से दाड़्हियां कूड़ावियां जो सेतान भुचन्नि ॥
अहरन तले वदान ज्यूं दोजक खड़ि धरियन्नि ॥102

103

फ़रीदा सो दर सच्चा देह जित मन लबु जाह ॥
राज माल कह खउ अमालन वच लिखाह ॥103॥

104

फ़रीदा सो दर सच्चा सेव तूं जितु मुकलूब नी जाह ॥
रिज मस्सतक हड खउ अमल न विकन खाह ॥104॥

105

फ़रीदा है जिया खड़सी जबि ते कसीसी सुवुन्न ज्युं ॥
क्या दवसी तर जगु रैही कूड़ा थिया ॥105॥

106

फ़रीदा हाथी सोन अम्बारियां, पीछे कटक हज़ार ॥
जां सिर आवी आपने तां को मीत न यार ॥106॥

107

फ़रीद कदे आहो हेकड़ा अते हिन थीयो प्रगट ॥
एवीं पान मशाहरो जा लाय बैठो हट्ट ॥107॥

108

फ़रीद कडै आह ढंढोल्यां पाए मुठि कु हड ॥
जितु पंजरि बिरहा बसै मास कहां ते रड ॥108॥

109

फ़रीद कडै अह हिकड़ा अते हुन भी थीसी हिक ॥
यो पई टन्नां न करे तेही लायउस सिक ॥109॥

110

फ़रीद कडै अह केहड़ा अतै हुन भी थीसी हिक ॥
तेही लायअमु सिक ओ पई टन्ना ना करे ॥110॥

111

फ़रीदा करन हकूमत दुनी दी हाकम नाउ धरन्न ॥
अगे धाउल प्याद्यां पिछे कोत चलन्न ॥
चड़्ह चलन सुख वाहनी उपर चौर झुलन्न ॥
सेज विछावन पाहरू जिथे जाय सवन्न ॥
तिनां जनां दियां ढेरियां दूरों पईआं दिसन्न ॥111॥

112

फ़रीदा करंग ढंढोल्यां ऊुडन नाही थाउं ॥
हक ना चूडीं मैंडी जीभड़ी जितु घिनां हरि नाउं ॥112॥

113

फ़रीदा कारी कांबरी और कारी नस ॥
आपहै ही मर जाएंगे चोर बाघा बस ॥113॥

114

फ़रीदा काली मैडी कंमली काला मैडा वेस ॥
गुनही भर्या मू फिरां लोकु जाने दरवेस ॥114॥

115

फ़रीदा कापड़ रता पायह मजीठै कउन रता दरियावै ॥
बन्दा नाउ अलह दे रता सत बिन अवर न भावै ॥
भठ पई साहगती मजलस जित साहब चित न आवै ॥115॥

116

फ़रीदा क्या लुड़ चटे लट बी जायी चुंज वने ॥
जे तूं मरह पट तां केहा तेरा सु पिरी ॥116॥

117

फ़रीदा किथे से तैडे माउ प्यु जिनी तूं जण्योह ॥
तै देखद्यां लढ गए तूं अजे न पतीणोह ॥117॥

118

फ़रीदा कुरीऐ कुरीऐ वैद्या तले चाड़ा महरेरु ॥
देखै छिट छिट थीवदा मतु खिसेयी पेरु ॥118॥

119

फ़रीदा कूकेंदड़ा कूकु कदे तां रब सुणैसिया ॥
निकल वैसी फूकु तां फिर कूक न होसिया ॥119॥

120

फ़रीदा कूड़ न कायी सिझ्या, सचु न लगनि दागु ॥
हक पिरिया दी पलक दा सारी उमर सुहागु ॥120॥

121

फ़रीदा कोट ढठा गड़ु लुट्या डेरे पई कहाह ॥
जीवद्यां सुता रहआ मुया देयी दी राह ॥
अज कि कलि कि चहु दिनी मलक असाडी हेर ॥
कै जित को है हार्यो सौदा एहा वेर ॥121॥

122

फ़रीदा खेती उजड़ी सचे स्यु लिव लाय ॥
जे अधखाधी उबरह तां फल बहुतेरा पाय ॥122॥

123

फ़रीदा खाकु सन्दियां ढेरियां उपर मेले कख ॥
ओचै हो कोयी न आवयी इथे वंङे लख ॥123॥

124

फ़रीदा गुर बिन न वड्याईआं धन जोबन असगाह ॥
खाली सले धनी स्यु टिबे ज्यु मियाह ॥124॥

125

फ़रीदा घरे दमामे मउत दे सगलि जहान सुने ॥
जगु छतीह वपारे, घाहै वागु लुने ॥
नेजी बधे धांवदे, से भि मलक चुने ॥
चीरी आई चलना ज्युं ज्युं पवनि चुने ॥125॥

126

फ़रीदा चले बन कउं कुतब देव बहायो ॥
बाप चोर बाबे भेरिया चारो डारि बंधायो ॥126॥

127

फ़रीदा चले परदेस कउ कुतब जू के भांउ ॥
सांपां जोधां नाहरां तिन्नां दांत बंधाउ ॥127॥

128

फ़रीदा चुड़ेली स्युं रत्या दुनिया कूड़ा भेत ॥
एनी अखीं देखद्यां, उजड़ वंञह कूड़ा खेत ॥128॥

129

फ़रीदा छप्पर बद्धा कान्या, भए पुराने कक्ख ॥
से सज्जन क्युं वीसराह, गुन जिन्नां दे लक्ख ॥129॥

130

फ़रीदा जंगल ढूंढे संघना लंमे लुड़्या न वति ॥
तनु हुजरा दरगाह दा तिस विच झाती घति ॥130॥

131

फ़रीदा जंगल दिता सोवणा, अरु अंधयारी गोर ॥
मिटी मिटी रल गई उते पउसी होर ॥131॥

132

फ़रीदा जंघी निकयी थल ुगर भ्रम्योम ॥
मझ ससीती कूजड़ा सै कोहा थीउम ॥132॥

133

फ़रीदा जल झींगारन माझियां, थलि झींगारन मोर ॥
विधन राती आईआं, तिति निमानी गोरि ॥133॥

134

फ़रीदा जा जा रंग बाज़ार मैं सौदा ना कीतोम ॥
हट वारिया वथ घडां याद पइओमु ॥134॥

135

फ़रीदा जां जां जीवे तां तां फिरे अलक्खु ॥
दरगह सचा ता थीवे, जां खफनु मूल ना रख ॥135॥

136

फ़रीदा माउ महंडी कंमली जिन जीवन रख्या नाउं ॥
जा दिन पुने मौत दे, ना जीवन ना नाउं ॥136॥

137

फ़रीदा जागना ई तां जाग रातड़्ही हभ वेहाणियां ॥
जे मू मत्थे भाग पिरी विसारन ना करनि॥137॥

138

फ़रीदा जागना ई तां जागु रातड़ियां हभ वेहाणियां ॥
पिरी विसान ना करनु जे मू मत्थे भाग ॥138॥

139

फ़रीदा जाना ई तां जाग होयी आ परभात ॥
इस जागन नूं पछताएंगा घना सोवेंगा रात ॥139॥

140

फ़रीदा जे मैं पुछां हस के, सो मैं पूछन रोइ ॥
जग सभोयी ढूंड्यां, डुक्खां बाझु न कोइ ॥140॥

141

फ़रीदा जित कलंमा लिखया, जे मैं होवां पासि ॥
कर मिन्नति कर जोदड़े, फिरी लिखावां रासि ॥141॥

142

फ़रीदा जितु मनि बिरहा उपजै तित तन कैसा मासु ॥
इतु तनि इह वी बहुत है हांडा चाग अरु मासु ॥142॥

143

फ़रीदा जिनी सबर कमाल जि कर कमावन कानिया ॥
हन्ने सन्दे बान खलक खाली न करै ॥143॥

144

फ़रीदा जे जाना दरवेसी डाखड़ी तां चला दुनियां भति ॥
बन्नि उठायी पोटली हुन वंझे किथै घति ॥144॥

145

फ़रीदा जे तूं दिल दरवेसे रख अकीदा सामना ॥
दरहीं सेती देख, मथा मोड़ ना कंड दे ॥145॥

146

फ़रीदा जे तूं वंञे हजु हज हभो ही जिया में ॥
लाह दिले दी लज सच्चा हाजी तां थीवें ॥146॥

147

फ़रीदा जे दाहड़ियां कुड़ायी सो संतान(शैतान) भुचैन ॥
अहरन तले वदाड़ जो दोजक खड़े धरीऐन ॥147॥

148

फ़रीदा जेते अवगुन मुझ मैं चंमी अन्दर वार ॥
घनी खुआरी हो रहे जे आनन बाहरवार ॥148॥

149

फ़रीदा जे दर लगे नेहु, सो दर नाहीं छडना ॥
आहन पवह भावैं मेहु, सिर ही उपर झल्लना ॥149॥

150

फ़रीदा टुभी मारन गाखड़ी सद्धरां लक्ख करेनि ॥
जिनां दा मन धुप्या, से मानक लभेनि ॥150॥

151

फ़रीदा ढेरी दिसै छार दी उपरि ढहरियां ॥
भी होदे मानवीं माणदे रलियां ॥151॥

152

फ़रीदा तत्ते ठंडे वंवसनि, सिर तांन जो अडि ॥
जे लोड़हं दीदार नो तां तन धर तल गडि ॥152॥

153

फ़रीदा तन हर्या मन फट्या, तागति रही न काय ॥
उठ पिरी तबीब थीउ, कारी दारूए लाय ॥153॥

154

फ़रीदा तिकल कासा काठ दा वासा विच वना ॥
बारी अन्दर जालना दरवेशा हरना ॥154॥

155

फ़रीदा तिन्ने टोल करेनि ॥
मिठा बोलन निवु चलन हथों भी कुछ देनि ॥155॥

156

फ़रीदा तूं तूं करेदे जो मुए मुए भी तू तू करन ॥
जिनी तूं तूं न किया तिनी न संझातो तन ॥
सांईं सन्दे नाखवे दायम पिरी रवन्नि ॥
रब्ब न भन्ने पोरियां मन्दे फ़कीरन ॥156॥

157

फ़रीदा दर भीड़ा घर संकड़ा गोर निबाहू नितु ॥
देख फ़रीदा जो थिया सो कलि चले मितु ॥157॥

158

फ़रीदा दरद जिन्हां दे दायरे दी इस सूल सहन्नि ॥
मंझे चड़्हहनि कहा हियां मंझे ही तलियन्नि ॥158॥

159

फ़रीदा दर वरसाईआ कानियां रब न घड़ीएनि ॥
लगन तिना मुनाफकां जो न कदर जणेनि ॥159॥

160

फ़रीदा दरद न वंञमि दारू जि लक्ख तबीब लगन्नि ॥
चंगी भली थी बहां, जो मूं पिरी मिलन्नि ॥160॥

161

फ़रीदा दरवेसी गाखड़ी चोपड़ी प्रीत ॥
इक न कन्ने चलीए दरवेशीं दी रीत ॥161॥

162

फ़रीदा दाड़्हियां लख वतन्न हभि ना हिक्के जेहियां ॥
इक दर लख लहन हिकु कखों कन्नउ हउलियां ॥162॥

163

फ़रीदा दुख सुखु इकु करि न दिल ते लाह विकारु ॥
अलहु भावै सो भला तां लभी दरबार ॥163॥

164

फ़रीदा दुनी दे लालच लग्या मेहनत भुल गई ॥
जा सिर आई आपने तां सभो विसर गई ॥164॥

165

फ़रीदा देह जहसरि भई, नैनी वहै सरेस ॥
सै कोहां मंजा भया अंङन थिया बिदेश ॥165॥

166

फ़रीदा देखि जु सज्जन अहु गए चड़ि चन्दन की नाउं ॥
मनि पछतावा रह गया, दउड़ि न चुंमे पाउं ॥166॥

167

फ़रीदा देखि जि सज्जन आहु गए, मैंडनि मैला वेसु ॥
नसो आवनु न मिलन, वंञ लथे वह देस ॥167॥

168

फ़रीदा दिल अन्दर दर्याउ कंधी लगा की फिरैं ॥
टुबी मार मंझाही रीझों ही मानक लहैं ॥168॥

169

फ़रीदा दिल दी तोड़ तकब्बरी मन दी लाह भरांदि ॥
दरवेसा कू लोड़ीऐ रुखां दी जीरांदि ॥169॥

170

फ़रीदा निकड़ी जेहीऐ जंङड़ीऐ हभे जग भव्योम ॥
विच मसीती कूजड़ा सउ कोहा थीयोम ॥170॥

171

फ़रीदा नेहु त लब केहा लब ता कूड़ा नेहु ॥
किचर तांईं रखीऐ तुटे झूम्बर मेहु ॥171॥

172

फ़रीदा पहु फुटी झालू थियां, हभ वेहानी राति ॥
ऐथे अमल करेंदीए, देसी कउन जगाति ॥172॥

173

फ़रीदा पाउ पसार के अट्ठे पहर ही सउं ॥
लेखा कोयी न पुछई, जे विचहुं जावी हउं ॥173॥

174

फ़रीदा पिती विसारन ब्यार वण कबुध चवैनि ॥
कंचन्न रास विसार कर मुठी धूड़ भरेनि ॥174॥

175

फ़रीदा पैरी बेड़ा ठेल के कंढे खड़ा न होउ ॥
वतन आवन थीसिया एत न निन्दड़ी सोउ ॥175॥

176

फ़रीदा पैरीं कंडे पंधड़ा, सेती सुजाना ॥
भट्ठ हिंडोलह दा पींघणा, सेती अजाना ॥176॥

177

फ़रीदा फटिया लख मिलिनि फटी लिखे न काय ॥
फटी नूं फटी मिलै तां देवै दर बताय ॥177॥

178

फ़रीदा बेड़ा ज़रजरा, कम्बन लगा जीउ ॥
जे तुझ पार लंघावणा, तां आपि मुहाना थीउ ॥178॥

179

फ़रीदा भुख न लावन मंगिया इशक न पुछी जाति ॥
नींद न सथर मंगिया किवें बेहानी राति ॥179॥

180

फ़रीदा मंझ दरवाजे वैहद्या डिठम मैं ढड़्याल ॥
गलहु जंजीर न उतरे चोट सहे कपाल ॥
बेगुनाहां एह मारीऐ गुनाहा दा क्या हाल ॥180॥

181

फ़रीदा मंझि मक्का मंझि माड़ींआ, मंझे ही मेहराब ॥
मंझे ही काबा थिया कैदे करी निवाज़ ॥181॥

182

फ़रीदा मलक दीया अक्खीं गदियां बिजू लवै चमकार ॥
तिन्ना को नीदड़ी कयूं पवे जिन्हां मलक जेहे जन्दार ॥182॥

183

फ़रीदा मानक मोल अथाहु, कदर की जानह सीसगर ॥
इके त गूड़्हा शाह, इके तां जानह जउहरी ॥183॥

184

फ़रीदा मिठा बोलन निव चलन हैथहु भी कछु देन ॥
रब्ब तिनां दी बुकली जंगल क्युं ढूंढेन ॥184॥

185

फ़रीदा मृत(मित्र) विछोड़ा ब्रेह झल न बूझे गवार ॥
क्या जाणनि अव्यारा बूला सन्दी सार ॥185॥

186

फ़रीदा मिरशी अते आसकी बाली मीझु न होइ ॥
जे जन रते रब सयूं तिन तनि रतु न कोइ ॥186॥

187

फ़रीदा मैं नूं मुंज करि, निक्की करि करि कुट्टि ॥
भरे खज़ाने रब्ब दे जो भावह सो लुट्टि ॥187॥

188

फ़रीदा मैं तन अउगन एतड़े, जेते धरती कक्खु ॥
तउं जेहा मैं न लहां, मैं जेहियां कई लक्ख ॥188॥

189

फ़रीदा रातीं अते डेह वंञनि विदा करेद्यां ॥
इह भि कूड़ा नेहु, रब जागह तूं पै सवहं ॥189॥

190

फ़रीदा राती सोवह खट्ट, डीहे पिटहं पेट कूं ॥
जा तउं खट्टन वेल, तडाहीं ते सउं रहआ ॥190॥

191

फ़रीदा राती चार पहर तू सुता कूं जाग ॥
घना सोवसी गोर मह लहसिया इहु विरागु ॥191॥

192

फ़रीदा रोटी तेरी काठ की लावन तैडी भुक्ख ॥
जो खावसनि चोपड़ी घने लहसनि डुख ॥192॥

193

फ़रीदा होवन जलन निवार, न करि अखीं गाढीयां ॥
लंमी नदरि नेहाल, सभो जग ही वांढड़ा ॥193॥

194

फ़रीदा लहरी सायर सन्दियां, भी सो हंस तरैनि ॥
क्या तरेनि बगबपुड़े जि पहली लहर डुबन्नि(डुबैनि) ॥194॥

195

फ़रीदा वडी इह बहादुरी, करि कूगंग कोत्यासु ॥
दरगाह थीवी मुखि उजला कोइ न लगी दाग ॥195॥

196

फ़रीदा वड वेर ना जाग्यो जीवन्दा मुइयोइ ॥
जे तै रब विसार्या तूं रब ना विसारयोइ ॥196॥

197

फ़रीदा विछोड़ा बुर्यारु जिति विछड़े जग दुबला ॥
ते माहनु हैस्यार विछुड़ि के मोटे थीवन ॥197॥

198

बाजे बज्जे मउत दे सगल जहान सुने ॥
पीर पिकम्बर अउलीए से भी मउत चुने ॥
खाकां विच घड़ीसनी, पानी पीन पुनै ॥
लिखी मुहलति चलणा, फ़रीदा ज्युं ज्युं पए गुनै ॥198॥

199

बाजे बजे मौति दे चड़या मलकअुल मौतु ॥
घिनन वाहीं जयन्दुड़ी ढाहन वाहें कोट ॥199॥

200

बिना गुर निस दिन फिरां नी माए, पिर के हावे ॥
अउगण्यारी नूं क्युं कर कंत वसावे ॥200॥

201

बुढा थिया सेख फ़रीदा कम्बन लगे टाल ॥
टिंडड़ियां जल लाणियां तुरन लग्गी माल्ह ॥201॥

202

भन्नी घड़ी सुवन्नवी टुटी नागर लज्ज ॥
अजराईल फरेसता कै घरि नाठी अज्ज ॥
घिन्नन आया जिन्द कू इका करेसी पज ॥202॥

203

मुहंमद चले दसवारी अव्वल पंचा बन्द ॥
सांप चोर बाघ भेड़िया चारो रसते बन्द ॥203॥

204

मंझि मका मंझि मैं तियां मंझे ही फिरियाद ॥
नयाव मंझाऊ निकले मंझे पावनिज दादि ॥204॥

205

मुला अके तां लोड़ि मुकदमी अके तां अलहु लोड़ि ॥
डू बेड़ी ना लत धरि मत वंञें वखर बोड़ि ॥205॥

206

मूसा नठा मौत तों ढंडे काए गली ।
चारे कूंटां ढूंडियां अग्गे मौत खली ॥206॥

207

यह तन रता वेखि करि तिलयुर ठुंग न मार ॥
जो रते रब आपने तिन तनि रतु न भालि ॥207॥

208

लख करोड़ी खटि के बन्दा जायी नि नंगु ॥
फ़रीदा जिन्दुड़ी न छडदा अजराईलु मलंग ॥208॥

209

वैयी वगि वुही वालि पवी हू न थीऐ ॥
सकुर करि सम तुधु उधार थीवै ॥209॥

210

फ़रीदा जां जां जीवे दुनी ते तां तां फिरो अलख ॥
दरगह सचा तां थीवे जां खफन मूल न रख ॥210॥

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