शायरी संग्रह दीपक सिंह
Hindi Shayari Deepak Singh



शायरी संग्रह-1

१. वो नाव ही क्या, जो मंझधार पार न कर दे। वो तीर ही क्या, जो शिकार न कर दे।। वो काम ही क्या, जो आसमान में तान न भर दे। वो प्रेम ही क्या, जो मदहोशी का गुलाम न कर दे।। २. वो ईश्वर किसी को ऊँचा तो किसी को पहचान देता है। किसी को नाम तो किसी को नमामि देता है। आजमाता है जब वह किसी को, उसी को वो नेक काम देता है।। ३. मुझसे दुश्मनी निभाकर, तुम्हें क्या मिला। मैं दीपक मेरे तले, अंधेरा मिला।। हमने रोशनी देनी चाही, तो वे हमें बुझाकर बोले । तू जलता था तो मुस्कुराता था, तेरी रोशनी से हमें क्या मिला।। ४. दीन दुखी असहायो का दर्द, कौन देखें और किसे दिखेगा। सिर पर बोझ पीठ पर ममता, ये दर्द हम न लिखे तो कौन लिखेगा।। ५. सबकी मुरादें पूरी करना एक मुझे छोड़कर । फिर भी मैं तुझे छोड़ दूं ऐसा हो ही नहीं सकता।। ६. इन आंखों में वो, राज दफन आज भी है । उनसे इस कदर है दुश्मनी, पर मोहब्बतें ऐहतराम आज भी है। कुछ तस्बीरे आज भी, गुजरती है आंखों से । उनकी भोली सूरत पे न जाना, उनकी आंखों में दागे इल्जाम आज भी है।। ७. मसरूफ रहकर हम, याद कर लेंगे। तन्हा है तन्हाई से,फरियाद करेंगे ।। हर रिश्ते में सब,धोखेपन की बात करते हैं ।। यही सोचकर हम,खुद का हिसाब कर लेंगे। ८. मेरा हिसाब तुम क्या लगाओगे । अपना लगाकर देखा है ।। जख्म देने की बजाय किसी का जख्म खींचा है । तुम्हारी झूठो की नाव है और मैं सच की भंवर । किनारे ही रहना, भवरो ने बहुत उफान देखा है।। ९. जिसकी तुम्हें बड़ी हसरत है । देखना, औरों को देते तुम पर न भारी पड़ जाए। और इस एहसास की दरिया में, कहीं तेरा दिल भी न उतर जाए।। १०. वो तस्वीर आंखों से गुजारने की जरूरत नहीं होती। जिसे आंख बंद करते ही एहसास जगाकर दिल स्वयं को जगारने लगे। ११. सबके जीने का अपना ढ़ग होता है। किसी की बोली मे तीखापन तो किसी की बोली में शहद सा रंग होता है ।। किसने जीना कब शुरु किया इसको वो ही जाने इस दुनिया के संघर्षों में लड़ते झगड़ते गिरने उठने का जिसमे दम होता है।। १२. अब वो आस नहीं जो हुआ करती थी । मन न चाहे तो न चाहे, पर दिल को छुआ करती थी।। कुछ कहने से अच्छा है खो जाना । जिनकी इबादत, कभी नजरें किया करती थी। १३. एक दिन मैंने उनकी, आंखों में देखा था । सच्चाई महसूस, करके पूछा था ।। वो बोले कि हम साथ नहीं छोड़ेंगे । उनका पता नहीं आज भी वो मेरे साथ है। जिन्होंने झूठों मे, मुझे लूटा था।। १४. जब अपने है गैर निकले किसी पर ऐतवार क्या करना । दिल से है दिल का वार उनसे आंखें लड़ाकर क्या कहना।। तस्वीरें हैं आवाजें हैं यही थी पहले भी तो रोज बदलते उनके चेहरे का, दीदार क्या करना।। १५. वो नजरों में है पर, पहचान नहीं रखते । दिल में रहते हैं पर, हिसाब नहीं रखते। जब खुलेगा ऊपरी अदालत में हिसाब का पन्ना तब उनकी रुह तड़प, कर मर जाएगी । जो खुद इजहार करके, अंजाम नहीं रखते।। १६. जो प्यार का दावा करते थे वो साथ क्या निभाएंगे जो कहते है हम चाहते हैं आपको वो यह बात क्या समझ पाएंगे हमने चाहत कम दिखाई, सोचा कह दे कि जी लेंगे तेरे यादों के साथ। लेकिन जिसे रस मिला हो कई फूलो का, वो एक डाली पर ठहर ना पाएंगे।। १७. हम किसी को दर्द देते रहे सोचा प्यार परवान चढ़ जाए । सालों से हमें जानते हैं शायद कुछ दिल में उतर जाए। हम दर्द लिए घूमते रहे उन्हें दिखाने को और वो व्यस्त थे किसी और को बहलाने में तब हमने समझा इतिहास क्यों न लाल हो जाए। काश जो पन्नों में लिखे हकीकत में उतर जाए।।

शायरी संग्रह-2

१. एक दिन का वो रूबरू, एहसास काम कर गया। जो देते थे तेरी सुंदरता मे मिसाल, उन्हें गुलाम कर गया।। वो तेरा पहली बार हंसकर मिलना, खंजर की तरह दिल को पार कर गया ।। २. दुश्वारी न मिले तो जो, अपने होने का हक जताते हैं। उनकी औकात पता नहीं चलती । लम्हा ,मुकद्दर, मौका सबको मिलता है बस पहचानने की सबमे नजाकत नहीं होती।। ३. नींद क्यों वापस करू मैं भी तो याद में जागता हूं। ख्वाब छीना तो तेरे, ख्वाब में रहता हूं।। उम्मीद वापस करूं, तो मेरा क्या ? मैं भी तो तेरी, उम्मीद में रहता हूं।। ४. जिंदगी की थकान में, मौत भी जरूरी है । क्योंकि कुछ लोगों ने तो, अगले जन्म का वादा किया ।। ५. निगाहे धड़कन जब उतरना, तो सीधे दिल में उतरना । तेरा घूम फिर कर दिल में, उतरना सख्त मना है।। ६. अगर मोहब्बत होती , तो वह अपनी मोहब्बत बिकने न देता। पैमाइस करता मोहब्बत मे, उसे बदनाम होने न देता।।

शायरी संग्रह-3

१. महफिल हमेशा सजी है मेरी, पर एक आग है सीने में जो न दिखे तू पर बेशक दिल में है मेरी, पर कुछ बाते चुभती है मन मे। लाख चाहत हो पर वादे का पक्का हू, समुद्र की तरह हर राज रखूगा मन मे। दीपक हू जल जाऊगा, सब खुशिया दे दूगा तुममे। २ वो तेरा तस्बीरो मे हँसते दिखना, आवाजो की अंताबछड़ी है। तेरा जिक्र खुद से है हर रोज, बस जो तू दूर खड़ी है। एक दिन दर्द ही दर्द को निगलता है। पर क्या कर लोगे यादो का, जो मेरे पास पड़ी है। ३ अगर दर्द देना फित़रत हो , तो बर्दाश्त करना सीखो। अगर हिसाब लेना फित़रत हो, तो हिसाब देना सीखो। खुद की नजरों में गिरे, और गवाही खुद ही का दिल न दे। तो दूसरों का दर्द क्या समझोगे, हो सके तो खुद ऐहतराम करके सीखो।

शायरी संग्रह-4

१. अब वो साथ नही,वो बात नही। वो खुश रहे ,अपनी कुछ बात नही।। दिल है दुखता, किसे सुनाये। उनके वादो मे ,वो बात नही।। वो बदले फितरत है उनकी, हम क्यो बदले दिन रात नही। कर लो सित्तम अब पत्थर है हम, आँख नही कान नही, अब वो जज्बात नहीं ।। २. ये मोहब्बत है, अंजाम गवारा नही होता। दिल जो लग जाये, दिल ही हमारा नही होता। ये प्रेम है बना रहे, टूटे तो दर्द ही निगलता है दर्द को। ये इश्क है, इसमे शरीर ही हमारा नही होता।।

शायरी संग्रह-5

१. मैं मौन हूँ खफा समझ लेना। मैं धायल हूँ वफा समझ लेना।। दिल पर है तेरा कब्जा जो धड़कता है। तो अपनी बजह समझ लेना।। २. मैं कहाँ परेशां हूँ। जैसा हूँ लाजवाब हूँ।। कैसा आजमाना किसी को, खुद को आजमा खुश मिजाज हूँ।।

शायरी संग्रह-6

1. मुझे देखकर मंजिल भी सहम गई। बोली भला इतनी शोहरत कैसे कोई पाता है । मैंने कहा यहां बात शोहरत की नहीं शब्दों का जादू है। जो बसा हो हर दिल में उसे निकाल कौन पाता है।। 2. देशहित पर न बोलू, ऐसा गद्दार नहीं। पहले मेरा देश है, मेरा आधार नहीं। ऐसे लोगों को न बक्सूगा, देशभक्त हू केवल कविराज नही।‌। 3. देशहित पर बात करो। जो जैसा वैसा व्यवहार करो। बातों से समझाना लाजिमी है, पर ना समझे तो वार करो।।

शायरी संग्रह-7

1. कोई नजरों से वार करता, कोई इजहार करता है। कोई खामोश बैठा है, कोई दीदार करता है।। मोहब्बत में जो डूबे, उनकी कशिश न पूछो ग़ालिब। कोई कह के बदनाम होता, किसी को यार करता है।। नींद भी है बेबस सी, ज़मीं भी है हैरत सी। ख्वाब भी हैं रुठे से, सांस भी है गैरत सी।। आंखों ने आंखों से लड़कर बतलाया है, प्रेम भी है इबादत सी, वो भी हैं खैरियत सी।। जब तुम वफ़ा न करते, तो इल्जाम क्यों करते हो। सांसे लेते खुद हो, तो हिसाब क्यों करते हो।। तुम गलियों से भी गुजरो, तो मेरा दिल धड़क जाता है। नजरे लड़ाओ मुझसे, तो बदनाम क्यों करते हो।। 2. मुंह की भाषाओं में न पैमाना, पैमाने छलकाते नेताजी। जो वादा कर देते, उस पर टिक न पाते नेताजी।। जो रंग बदले झूठा है गिरगिट, दिन भर भौके नेताजी। कड़ी धूप गांवो में कीचड़, थामें पैजामा कूदे नेताजी।।

शायरी संग्रह-8

१. अपने वपने दिल विल प्यार वार, इसमें धोका किसने नहीं खाया। फिर भी सब इसी राह पर चलते क्यो है। मुझे बताओ इस जहां में, किसका दिल नहीं टूटा। फिर अपने ही मोहब्बत पर सियासत करते क्यो है।। २. गांवों की फिजाओं में वही महक आज भी है। झुकते सरो में जिंदा वही संस्कार आज भी है। जींस पहने मांओं के बच्चे क्या जाने वो आंचल, जिसमे सलामत गांवों का लाल आज भी है। ३. इजहार करते हो इजहार कर लेना इकरार करते हो इकरार कर लेना निभा पाओ बंधन सातों जन्मों तक, हाथ पकड़ते हो ये याद कर लेना।। ४. जब उनको देखूं, तब वे शर्माने लगते हैं। कवियों में स्वयं को कवि, गिनाने लगते हैं। हेरा फेरी चोरी से, साहित्यकार बन गये अर्थ दूसरों की कविता से कमाने लगते हैं।। ५. वो मेरी में वाह वाह करते,मैं उनकी में कर लेता हूं। जब शब्दों में बेरुखी हो, समर्पण मैं कर देता हूं। देखा है कविता के मुख को कुंद होते हुवे। जो मुझसे राम राम करते,मैं भी कर लेता हूं।। ६. एक किसान मरा तो शहर से, जमाखोर आ गये। उन्हें चिंता सूत की ,जो उसकी रूह खा गये। सच्चे बनते गांव शहरों मे जो तमाशा देख रहे। नेता आते ही ज़मीन की बोली तक लगा गये।। ७. मेरे देश का रुतबा विश्व में, नजर आना चाहिए। जमीर जिंदा हो तो जिंदा, नजर आना चाहिए। मेरे देश पर बुरी नजर रखने वालों ये सुन लो, जवानों का खौफ तेरे सीने में नजर आना चाहिए।। ८. भारत के लाख जवानों ने, एक साथ कदमताल कर दी।। पाकिस्तानी धरती हिल गई। खौफ से अपने आह कर दी।। कश्मीर में जो अफजल थे छुप गए नरक के कोनों में, कोई मजाल है कुछ बोले। जब हिन्दुस्तान ने हा कर दी।। ९. कुछ दिन की ही बात सही हम घरों में रह लेंगे। शासन की जो बात न मानी तो बगावत कह देंगे।। अंतर्मन से संयमित हम भारत का हाथ थामे बैठे हैं। कोरोना रोयेगा यहां जो भारत मां की जय कह देंगे।।