Shah Sharaf शाह शरफ़
शाह शरफ़ (१६४०-१७२४) जिन को शेख़ शरफ़ के नाम से भी जाना जाता है, बटाला ज़िला गुरदासपुर (पंजाब) के रहने वाले थे । उन्होने हिंदी और पंजाबी में काव्य रचना की है। उनकी रचनायें दोहे, काफ़ियाँ और शुतुरनामा हैं।
काफ़ियाँ शाह शरफ़
1. होरी
होरी आई फाग सुहाई बिरहुं फिरै निसंगु ।
उड रे कागा देसु सुदच्छन कबि घरि आवै कंत ।१।
होरी को खेलै को खेलै जां के पिया चले परदेसु ।१।रहाउ।
होरी खेलनि तिन कउ भावै जिन के पिया गल बाहिं ।
हउ बउरी होरी कै संगि खेलऊं हम घरि साजन नाहिं ।२।
अन जानत पिया गवन कियो री मैं भूली फिरउ निहोरी ।
नैन तुम्हारे रिदे चुभे रहे मैं तनि नाहिं सतिओ री।३।
जान बूझ पिया मगनि भए हैं बिरहु करी बिधंसु ।
शाह शरफ़ पिया बेग मिलउ होरी खेलऊं मैं अनन्द बसंतु ।४।
(राग किदारा)
2. काफ़ी होरी
होरी मैं कैसे खेलों रुति बसंत,
मैं पावोंगी साजन करों अनन्द ।१।रहाउ।
जब की भई बसंत पंचमी,
घरि नाहिं हमारो अपनो कंत ।१।
अउध बीती पिया अजहुं न आए,
हउ खरी निहारों पिया पंथि ।२।
खान पान मोहि कछु न भावे,
चिति फसिओ मोहि प्रेम फंधि ।३।
शाहु शरफ़ पिया प्यारे बाझहु,
जैसे चकोर है बिन चन्दु ।४।
(राग बसंत)
3. तू क्या जाने शरफ़ा खेल प्रेम का
तू क्या जाने शरफ़ा खेल प्रेम का,
प्रेम का खेल नहीं तैं खेला ।१।रहाउ।
बाती होय कै तन नहीं जारा,
लकड़ी होय जल भयो न अंगारा,
न तैं सिर कलवत्र सहारा ।१॥
ना तुझ को वोहि जोत समानी,
ना तुध जागत रैन विहानी,
लोहू उलट न किया पानी ।२।
ना तुध अंग बिभूत चढ़ाई,
ना तुध कामन अंग लगाई,
ऐसी कीनी तैं लोक हसाई ।३।
शेख़ शरफ़ तैं जीवन खोया,
पाँव पसार क्या निस भर सोया,
प्रीत लगाई न कबहुं रोया ।४।
(राग आसा)
4. तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे
तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे ।
इस चितवनि पर तनु मनु वारउ जो वारउ सो थोरा रे ।१।रहाउ।
प्रीति की रीति कठिन भई मितवा खिनै बनावत रोरा रे ।
जब लागिओ तब जानिओ नाहीं अबह परिओ जगि सोरा रे ।१।
जो पिया भावै साई सुहागनि क्या सावल क्या गोरा रे ।
बचनिनि मै किछु पेचि परिउ है मन अटक्यो तह मोरा रे ।२।
आओ प्यारे गल मिल रहिए इस जग मह जीवनु थोरा रे ।
शाह शरफ़ पिया दरसन दीजै मिटहि जनम के खोरा रे ।३।
(श्री राग राग)
पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़
1. अगै जलै तां पानी पाईऐ
अगै जलै तां पानी पाईऐ,
पानी जलै तां काय बुझाईऐ,
मैं तती नूं जतन बताईऐ ।१।
मति अण-मिल्यां मर जाईऐ,
इह अउसर बहुड़ न पाईऐ ।१।रहाउ।
घिन वखर लदि सिधाईऐ,
देखि लाहा ना लुभाईऐ,
सन वखर आपि विचाईऐ ।२।
सहु नूं मिल्या लोड़ीए,
मद माते बंधनि तोड़ीए,
शेख़ शरफ़ ना मोढा मोड़ीए ।३।
(राग धनासरी)
2. बरखै अगनि दिखावै पानी
बरखै अगनि दिखावै पानी,
रोंद्यां रैनि वेहाणी,
तां मैं सार विछोड़े दी जानी ।१।
मैं बिरहु खड़ी रिझानियां,
मैं सार विछोड़े दी जाणियां ।१।रहाउ।
मेरे अन्दरि जलनि अंगीठियां,
योह जलदियां किनै न डिठियां,
मैं दरद दिवाने लूठियां,
मैं प्रेम बिछोहे झूठियां(कूठियां) ।२।
सानूं पीर बतायी वाटड़ी,
असां लंघी अउघटि घाटड़ी,
शेख़ शरफ़ सहु अंतरि पायआ,
कर करम दिदारु दिखायआ ।३।
(राग धनासरी)
3. हथीं छल्ले बाहीं चूड़ियां
हथीं छल्ले बाहीं चूड़ियां,
गलि हार हमेलां जूड़ियां,
सहु मिले तां पाउंदियां पूरियां ।१।
नैन भिन्नड़े कजल सांवरे,
सहु मिलन नूं खरे उतावरे ।१।रहाउ।
रातीं होईआं नी अंधेरियां,
चउकीदारां ने गलियां घेरियां,
मैं बाझ दंमां बन्दी तेरियां ।२।
मैं बाबल दे घरि भोलड़ी,
गल सोहे ऊदी चोलरी,
सहु मिले तां वंञा मैं घोलरी ।३।
मैं बाबलि दे घरि नंढड़ी,
गलि सोहे सोइने कंढड़ी,
सहु मिले तां थीवां ठंडड़ी ।४।
जे तूं चल्यों चाकरी,
मैं होईआं जोबनि मातड़ी,
सहु मिले तां थीवां मैं साकरी ।५।
मेरे गलि विचि अलकां खुल्हियां,
मानो प्रेम सुराहियां डुल्हियां,
दुइ नागनियां घरि भुलियां ।६।
आवहु जे कही आवणा,
असां दही कटोरे नावना,
शेख़ शरफ़ असां सहु रीझावना ।७।
(राग धनासरी)
4. इक पुछदियां पंडति जोइसी
इक पुछदियां पंडति जोइसी,
कदि पिया मिलावा होइसी,
मिलि दरद विछोड़ा खोइसी ।१।
तप रहीसु माए मेरा जिय बले,
मै पीउ न देख्या दुइ नैन भरे ।१।रहाउ।
नित काग उडारां बनि रहां,
निस तारे गिणदी न सवां,
ज्युं लवे पपीहा त्युं लवां ।२।
सहु बिन कद सुख पावई,
ज्युं जल बिन मीन तड़फावई,
ज्युं बिछड़ी कूंज कुरलावयी ।३।
शेख़ शरफ़ न थीउ उतावला,
इकसे चोट न थींदे चावला,
मत भूलें बाबू रावला ।४।
(राग धनासरी)
5. रहु वे अड़्या तूं रहु वे अड़्या
रहु वे अड़्या तूं रहु वे अड़्या,
बोलनि दी जाय नहीं वे अड़्या,
जो बोले सो मारीए मनसूर जिवें
कोयी बुझदा नाहीं वे अड़्या ।१।रहाउ।
जै तै हक दा राह पछाता,
दम ना मार वे तूं रहीं चुपाता,
जो देवी सो सहु वे अड़्या ।१।
कदम ना पाछे देयी हालों,
तोड़े सिर वखि कीचै धड़ि नालों,
तां भी हाल ना कहीं वे अड़्या ।२।
गोरि निमानी विचि पउदियां कहियां,
हूहु हवायी तेरी इत्थे ना रहियां,
जांझी मांझी मुड़ि घरि आए,
महलीं वड़्या सहु वे अड़्या ।३।
शेख़ शरफ़ इह बात बताई,
करमु ल्या लिख्या भाई,
कर शुकराना बहु वे अड़्या ।४।
(राग आसावरी)
6. विचि चकी आपि पीसाईऐ
विचि चकी आपि पीसाईऐ,
विच रंगन पाय रंगाईऐ,
होइ कपड़ काछि कछाईऐ,
ता सहु दे अंग समाईऐ ।१।
इउं प्रेम प्याला पीवणा,
जगि अन्दरि मरि मरि जीवना ।१।रहाउ।
विचि आवी आपि पकाईऐ,
होइ रूंयी आपि तूम्बाईऐ,
विचि घानी आपि पीड़ाईऐ,
तां दीपक जोति जगाईऐ ।२।
विचि आरनि आपि तपाईऐ,
सिरि घणियर मारि सहाईऐ,
करि सिकल सवार बनाईऐ,
तां आपा आपि दिखाईऐ ।३।
होइ छेली आपि कुहाईऐ,
कटि बिरख रबाब बजाईऐ,
शेख़ शरफ़ सरोद सुणाईऐ ।४।
(राग धनासरी)
7. पंडित पुछदी मैं वाटा भुलेंदी
पंडित पुछदी मैं वाटा भुलेंदी हारियां मेरी जानि ।
दिलि विचि वसदा अखीं नाहीं दिसदा बिरहु तुसाडे मारियां मेरी जानि ।१।रहाउ।
दरसन तेरे दी दरमांदी करसो मेरी कारियां ।१।
शाह शरफ़ पिया अजब सहारा मेहर जिनां दी तारियां ।२।
(झंझोटी)
8. चाय बख़शीं रब्बा मेरे कीते नूं
चाय बख़शीं रब्बा मेरे कीते नूं ।१।रहाउ।
अउगुण्यारी नूं को गुन नाही
लाज पई तउ मीते नूं ।१।
दामनु लग्ग्यां दी सरमु तुसानूं
घति डोरी मेरे चीते नूं ।२।
तउ बिनु दूजा द्रिसटि न आवै
ढाह भरम दे भीते नूं ।३।
शेख़ शरफ़ हाल कैनूं आखां
उमरि गई निसि बीते नूं ।४॥
(बिलावलु)
9. अखियां दुख भरी मेरी
अखियां दुख भरी मेरी देखनि यार तुसानूं ।
डिठे बाझूं रहन न मूले लग्गी चोट नैणां नूं ।१।रहाउ।
जै तन लगी सो तन जाने गुझड़ी वेदन असानूं ।१।
शाहु शरफ़ दिल दरदु घणेरे मालुमु हाल मित्रां नूं ।२।
(किदारा)