शब्द राग हुसेनी बंगाल : संत दादू दयाल जी

Shabd Raag Hussaini Bengal : Sant Dadu Dayal Ji

शब्द राग हुसैनी बंगाल संत दादू दयाल जी
(गायन समय पहर दिन चढ़े चन्द्रोदय ग्रन्थ के मतानुसार)

1 त्रिताल

है दाना है दाना, दिलदार मेरे कान्हा।
तूं हीं मेरे जान जिगर, यार मेरे खाना।टेक।
तूं ही मेरे मादर पिदर, आलम बेगाना।
साहिब शिरताज मेरे, तूं ही सुलताना।1।
दोस्त दिल तूं ही मेरे, किसका खिल खाना।
नूर चश्म जिंद मेरे, तूं ही रहमाना।2।
एकै असनाब मेरे, तूं ही हम जाना।
जानिबा अजीब मेरे, खूब खजाना।3।
नेक नजर महर मीराँ, बंदा मैं तेरा।
दादू दरबार तेरे, खूब साहिब मेरा।4।

2 त्रिताल

तूं घर आव सुलक्षण पीव,
हिक तिल मुख दिखलावहु तेरा, क्या तरसावे जीव।टेक।
निश दिन तेरा पंथ निहारूँ, तूं घर मेरे आव।
हिरदय भीतर हेत सौं रे वाल्हा, तेरा मुख दिखलाव।1।
वारी फेरी बलि गई रे, शोभित सोई कपोल।
दादू ऊपरि दया करीने, सुणाइ सुहावे बोल।2।

।इति राग हुसेनी बंगाल सम्पूर्ण।

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