श्लोक गुरू अर्जन देव जी
Salok Guru Arjan Dev Ji in Hindi

1. पतित असंख पुनीत करि

पतित असंख पुनीत करि पुनह पुनह बलिहार ॥
नानक राम नामु जपि पावको तिन किलबिख दाहनहार ॥१॥॥248॥

2. गुरदेव माता गुरदेव पिता

गुरदेव माता गुरदेव पिता गुरदेव सुआमी परमेसुरा ॥
गुरदेव सखा अगिआन भंजनु गुरदेव बंधिप सहोदरा ॥
गुरदेव दाता हरि नामु उपदेसै गुरदेव मंतु निरोधरा ॥
गुरदेव सांति सति बुधि मूरति गुरदेव पारस परस परा ॥
गुरदेव तीरथु अम्रित सरोवरु गुर गिआन मजनु अपर्मपरा ॥
गुरदेव करता सभि पाप हरता गुरदेव पतित पवित करा ॥
गुरदेव आदि जुगादि जुगु जुगु गुरदेव मंतु हरि जपि उधरा ॥
गुरदेव संगति प्रभ मेलि करि किरपा हम मूड़ पापी जितु लगि तरा ॥
गुरदेव सतिगुरु पारब्रहमु परमेसरु गुरदेव नानक हरि नमसकरा ॥1॥250॥

3. आपहि कीआ कराइआ

आपहि कीआ कराइआ आपहि करनै जोगु ॥
नानक एको रवि रहिआ दूसर होआ न होगु ॥1॥250॥

4. निरंकार आकार आपि

निरंकार आकार आपि निरगुन सरगुन एक ॥
एकहि एक बखाननो नानक एक अनेक ॥1॥250॥

5. सेई साह भगवंत से

सेई साह भगवंत से सचु स्मपै हरि रासि ॥
नानक सचु सुचि पाईऐ तिह संतन कै पासि ॥1॥250॥

6. धनु धनु कहा पुकारते

धनु धनु कहा पुकारते माइआ मोह सभ कूर ॥
नाम बिहूने नानका होत जात सभु धूर ॥1॥250॥

7. अनिक भेख अरु ङिआन धिआन

अनिक भेख अरु ङिआन धिआन मनहठि मिलिअउ न कोइ ॥
कहु नानक किरपा भई भगतु ङिआनी सोइ ॥1॥251॥

8. आवन आए स्रिसटि महि

आवन आए स्रिसटि महि बिनु बूझे पसु ढोर ॥
नानक गुरमुखि सो बुझै जा कै भाग मथोर ॥1॥251॥

9. आवत हुकमि बिनास हुकमि

आवत हुकमि बिनास हुकमि आगिआ भिंन न कोइ ॥
आवन जाना तिह मिटै नानक जिह मनि सोइ ॥1॥251॥

10. किरत कमावन सुभ असुभ

किरत कमावन सुभ असुभ कीने तिनि प्रभि आपि ॥
पसु आपन हउ हउ करै नानक बिनु हरि कहा कमाति ॥1॥251॥

11. राचि रहे बनिता बिनोद

राचि रहे बनिता बिनोद कुसम रंग बिख सोर ॥
नानक तिह सरनी परउ बिनसि जाइ मै मोर ॥1॥251॥

12. टूटे बंधन जासु के

टूटे बंधन जासु के होआ साधू संगु ॥
जो राते रंग एक कै नानक गूड़ा रंगु ॥1॥252॥

13. लालच झूठ बिकार मोह

लालच झूठ बिकार मोह बिआपत मूड़े अंध ॥
लागि परे दुरगंध सिउ नानक माइआ बंध ॥1॥252॥

14. लाल गुपाल गोबिंद प्रभ

लाल गुपाल गोबिंद प्रभ गहिर ग्मभीर अथाह ॥
दूसर नाही अवर को नानक बेपरवाह ॥1॥252॥

15. आतम रसु जिह जानिआ

आतम रसु जिह जानिआ हरि रंग सहजे माणु ॥
नानक धनि धनि धंनि जन आए ते परवाणु ॥1॥252॥

16. यासु जपत मनि होइ अनंदु

यासु जपत मनि होइ अनंदु बिनसै दूजा भाउ ॥
दूख दरद त्रिसना बुझै नानक नामि समाउ ॥1॥252॥

17. अंतरि मन तन बसि रहे

अंतरि मन तन बसि रहे ईत ऊत के मीत ॥
गुरि पूरै उपदेसिआ नानक जपीऐ नीत ॥1॥253॥

18. अति सुंदर कुलीन चतुर

अति सुंदर कुलीन चतुर मुखि ङिआनी धनवंत ॥
मिरतक कहीअहि नानका जिह प्रीति नही भगवंत ॥1॥253॥

19. कुंट चारि दह दिसि भ्रमे

कुंट चारि दह दिसि भ्रमे करम किरति की रेख ॥
सूख दूख मुकति जोनि नानक लिखिओ लेख ॥1॥253॥

20. खात खरचत बिलछत रहे

खात खरचत बिलछत रहे टूटि न जाहि भंडार ॥
हरि हरि जपत अनेक जन नानक नाहि सुमार ॥1॥253॥

21. गनि मिनि देखहु मनै माहि

गनि मिनि देखहु मनै माहि सरपर चलनो लोग ॥
आस अनित गुरमुखि मिटै नानक नाम अरोग ॥1॥254॥

22. घोखे सासत्र बेद सभ

घोखे सासत्र बेद सभ आन न कथतउ कोइ ॥
आदि जुगादी हुणि होवत नानक एकै सोइ ॥1॥254॥

23. ङणि घाले सभ दिवस सास

ङणि घाले सभ दिवस सास नह बढन घटन तिलु सार ॥
जीवन लोरहि भरम मोह नानक तेऊ गवार ॥1॥254॥

24. चिति चितवउ चरणारबिंद

चिति चितवउ चरणारबिंद ऊध कवल बिगसांत ॥
प्रगट भए आपहि गोबिंद नानक संत मतांत ॥1॥254॥

25. छाती सीतल मनु सुखी

छाती सीतल मनु सुखी छंत गोबिद गुन गाइ ॥
ऐसी किरपा करहु प्रभ नानक दास दसाइ ॥1॥254॥

26. जोर जुलम फूलहि घनो

जोर जुलम फूलहि घनो काची देह बिकार ॥
अह्मबुधि बंधन परे नानक नाम छुटार ॥1॥255॥

27. झालाघे उठि नामु जपि

झालाघे उठि नामु जपि निसि बासुर आराधि ॥
कार्हा तुझै न बिआपई नानक मिटै उपाधि ॥1॥255॥

28. ञतन करहु तुम अनिक बिधि

ञतन करहु तुम अनिक बिधि रहनु न पावहु मीत ॥
जीवत रहहु हरि हरि भजहु नानक नाम परीति ॥1॥255॥

29. टूटे बंधन जनम मरन

टूटे बंधन जनम मरन साध सेव सुखु पाइ ॥
नानक मनहु न बीसरै गुण निधि गोबिद राइ ॥1॥255॥

30. ठाक न होती तिनहु दरि

ठाक न होती तिनहु दरि जिह होवहु सुप्रसंन ॥
जो जन प्रभि अपुने करे नानक ते धनि धंनि ॥1॥256॥

31. डंडउति बंदन अनिक बार

डंडउति बंदन अनिक बार सरब कला समरथ ॥
डोलन ते राखहु प्रभू नानक दे करि हथ ॥1॥256॥

32. ढाहन लागे धरम राइ

ढाहन लागे धरम राइ किनहि न घालिओ बंध ॥
नानक उबरे जपि हरी साधसंगि सनबंध ॥1॥256॥

33. जह साधू गोबिद भजनु

जह साधू गोबिद भजनु कीरतनु नानक नीत ॥
णा हउ णा तूं णह छुटहि निकटि न जाईअहु दूत ॥1॥256॥

34. तनु मनु धनु अरपउ तिसै

तनु मनु धनु अरपउ तिसै प्रभू मिलावै मोहि ॥
नानक भ्रम भउ काटीऐ चूकै जम की जोह ॥1॥256॥

35. थाके बहु बिधि घालते

थाके बहु बिधि घालते त्रिपति न त्रिसना लाथ ॥
संचि संचि साकत मूए नानक माइआ न साथ ॥1॥257॥

36. दासह एकु निहारिआ

दासह एकु निहारिआ सभु कछु देवनहार ॥
सासि सासि सिमरत रहहि नानक दरस अधार ॥1॥257॥

37. धर जीअरे इक टेक तू

धर जीअरे इक टेक तू लाहि बिडानी आस ॥
नानक नामु धिआईऐ कारजु आवै रासि ॥1॥257॥

38. नानक नामु नामु जपु

नानक नामु नामु जपु जपिआ अंतरि बाहरि रंगि ॥
गुरि पूरै उपदेसिआ नरकु नाहि साधसंगि ॥1॥257॥

39. पति राखी गुरि पारब्रहम

पति राखी गुरि पारब्रहम तजि परपंच मोह बिकार ॥
नानक सोऊ आराधीऐ अंतु न पारावारु ॥1॥258॥

40. फाहे काटे मिटे गवन

फाहे काटे मिटे गवन फतिह भई मनि जीत ॥
नानक गुर ते थित पाई फिरन मिटे नित नीत ॥1॥258॥

41. बिनउ सुनहु तुम पारब्रहम

बिनउ सुनहु तुम पारब्रहम दीन दइआल गुपाल ॥
सुख स्मपै बहु भोग रस नानक साध रवाल ॥1॥258॥

42. भै भंजन अघ दूख नास

भै भंजन अघ दूख नास मनहि अराधि हरे ॥
संतसंग जिह रिद बसिओ नानक ते न भ्रमे ॥1॥258॥

43. माइआ डोलै बहु बिधी

माइआ डोलै बहु बिधी मनु लपटिओ तिह संग ॥
मागन ते जिह तुम रखहु सु नानक नामहि रंग ॥1॥258॥

44. मति पूरी परधान ते

मति पूरी परधान ते गुर पूरे मन मंत ॥
जिह जानिओ प्रभु आपुना नानक ते भगवंत ॥1॥259॥

45. यार मीत सुनि साजनहु

यार मीत सुनि साजनहु बिनु हरि छूटनु नाहि ॥
नानक तिह बंधन कटे गुर की चरनी पाहि ॥1॥259॥

46. रोसु न काहू संग करहु

रोसु न काहू संग करहु आपन आपु बीचारि ॥
होइ निमाना जगि रहहु नानक नदरी पारि ॥1॥259॥

47. लालच झूठ बिखै बिआधि

लालच झूठ बिखै बिआधि इआ देही महि बास ॥
हरि हरि अम्रितु गुरमुखि पीआ नानक सूखि निवास ॥1॥259॥

48. वासुदेव सरबत्र मै

वासुदेव सरबत्र मै ऊन न कतहू ठाइ ॥
अंतरि बाहरि संगि है नानक काइ दुराइ ॥1॥259॥

49. हउ हउ करत बिहानीआ

हउ हउ करत बिहानीआ साकत मुगध अजान ॥
ड़ड़कि मुए जिउ त्रिखावंत नानक किरति कमान ॥1॥260॥

50. साधू की मन ओट गहु

साधू की मन ओट गहु उकति सिआनप तिआगु ॥
गुर दीखिआ जिह मनि बसै नानक मसतकि भागु ॥1॥260॥

51. खुदी मिटी तब सुख भए

खुदी मिटी तब सुख भए मन तन भए अरोग ॥
नानक द्रिसटी आइआ उसतति करनै जोगु ॥1॥260॥

52. सति कहउ सुनि मन मेरे

सति कहउ सुनि मन मेरे सरनि परहु हरि राइ ॥
उकति सिआनप सगल तिआगि नानक लए समाइ ॥1॥260॥

53. हरि हरि मुख ते बोलना

हरि हरि मुख ते बोलना मनि वूठै सुखु होइ ॥
नानक सभ महि रवि रहिआ थान थनंतरि सोइ ॥1॥260॥

54. लेखै कतहि न छूटीऐ

लेखै कतहि न छूटीऐ खिनु खिनु भूलनहार ॥
बखसनहार बखसि लै नानक पारि उतार ॥1॥261॥

55. खात पीत खेलत हसत

खात पीत खेलत हसत भरमे जनम अनेक ॥
भवजल ते काढहु प्रभू नानक तेरी टेक ॥1॥261॥

56. आए प्रभ सरनागती

आए प्रभ सरनागती किरपा निधि दइआल ॥
एक अखरु हरि मनि बसत नानक होत निहाल ॥1॥261॥

57. हथि कलम अगम

हथि कलम अगम मसतकि लिखावती ॥
उरझि रहिओ सभ संगि अनूप रूपावती ॥
उसतति कहनु न जाइ मुखहु तुहारीआ ॥
मोही देखि दरसु नानक बलिहारीआ ॥1॥261॥

58. आदि गुरए नमह

आदि गुरए नमह ॥
जुगादि गुरए नमह ॥
सतिगुरए नमह ॥
स्री गुरदेवए नमह ॥1॥262॥

59. दीन दरद दुख भंजना

दीन दरद दुख भंजना घटि घटि नाथ अनाथ ॥
सरणि तुम्हारी आइओ नानक के प्रभ साथ ॥1॥263॥

60. बहु सासत्र बहु सिम्रिती

बहु सासत्र बहु सिम्रिती पेखे सरब ढढोलि ॥
पूजसि नाही हरि हरे नानक नाम अमोल ॥1॥265॥

61. निरगुनीआर इआनिआ

निरगुनीआर इआनिआ सो प्रभु सदा समालि ॥
जिनि कीआ तिसु चीति रखु नानक निबही नालि ॥1॥266॥

62. देनहारु प्रभ छोडि कै

देनहारु प्रभ छोडि कै लागहि आन सुआइ ॥
नानक कहू न सीझई बिनु नावै पति जाइ ॥1॥268॥

63. काम क्रोध अरु लोभ मोह

काम क्रोध अरु लोभ मोह बिनसि जाइ अहमेव ॥
नानक प्रभ सरणागती करि प्रसादु गुरदेव ॥1॥269॥

64. अगम अगाधि पारब्रहमु सोइ

अगम अगाधि पारब्रहमु सोइ ॥
जो जो कहै सु मुकता होइ ॥
सुनि मीता नानकु बिनवंता ॥
साध जना की अचरज कथा ॥1॥271॥

65. मनि साचा मुखि साचा सोइ

मनि साचा मुखि साचा सोइ ॥
अवरु न पेखै एकसु बिनु कोइ ॥
नानक इह लछण ब्रहम गिआनी होइ ॥1॥272॥

66. उरि धारै जो अंतरि नामु

उरि धारै जो अंतरि नामु ॥
सरब मै पेखै भगवानु ॥
निमख निमख ठाकुर नमसकारै ॥
नानक ओहु अपरसु सगल निसतारै ॥1॥274॥

67. उसतति करहि अनेक जन

उसतति करहि अनेक जन अंतु न पारावार ॥
नानक रचना प्रभि रची बहु बिधि अनिक प्रकार ॥1॥275॥

68. करण कारण प्रभु एकु है

करण कारण प्रभु एकु है दूसर नाही कोइ ॥
नानक तिसु बलिहारणै जलि थलि महीअलि सोइ ॥1॥276॥

69. सुखी बसै मसकीनीआ

सुखी बसै मसकीनीआ आपु निवारि तले ॥
बडे बडे अहंकारीआ नानक गरबि गले ॥1॥278॥

70. संत सरनि जो जनु परै

संत सरनि जो जनु परै सो जनु उधरनहार ॥
संत की निंदा नानका बहुरि बहुरि अवतार ॥1॥279॥

71. तजहु सिआनप सुरि जनहु

तजहु सिआनप सुरि जनहु सिमरहु हरि हरि राइ ॥
एक आस हरि मनि रखहु नानक दूखु भरमु भउ जाइ ॥1॥281॥

72. सरब कला भरपूर प्रभ

सरब कला भरपूर प्रभ बिरथा जाननहार ॥
जा कै सिमरनि उधरीऐ नानक तिसु बलिहार ॥1॥282॥

73. रूपु न रेख न रंगु किछु

रूपु न रेख न रंगु किछु त्रिहु गुण ते प्रभ भिंन ॥
तिसहि बुझाए नानका जिसु होवै सुप्रसंन ॥1॥283॥

74. आदि सचु जुगादि सचु

आदि सचु जुगादि सचु ॥
है भि सचु नानक होसी भि सचु ॥1॥285॥

75. सति पुरखु जिनि जानिआ

सति पुरखु जिनि जानिआ सतिगुरु तिस का नाउ ॥
तिस कै संगि सिखु उधरै नानक हरि गुन गाउ ॥1॥286॥

76. साथि न चालै बिनु भजन

साथि न चालै बिनु भजन बिखिआ सगली छारु ॥
हरि हरि नामु कमावना नानक इहु धनु सारु ॥1॥288॥

77. फिरत फिरत प्रभ आइआ

फिरत फिरत प्रभ आइआ परिआ तउ सरनाइ ॥
नानक की प्रभ बेनती अपनी भगती लाइ ॥1॥289॥

78. सरगुन निरगुन निरंकार

सरगुन निरगुन निरंकार सुंन समाधी आपि ॥
आपन कीआ नानका आपे ही फिरि जापि ॥1॥290॥

79. जीअ जंत के ठाकुरा

जीअ जंत के ठाकुरा आपे वरतणहार ॥
नानक एको पसरिआ दूजा कह द्रिसटार ॥1॥292॥

80. गिआन अंजनु गुरि दीआ

गिआन अंजनु गुरि दीआ अगिआन अंधेर बिनासु ॥
हरि किरपा ते संत भेटिआ नानक मनि परगासु ॥1॥293॥

81. पूरा प्रभु आराधिआ

पूरा प्रभु आराधिआ पूरा जा का नाउ ॥
नानक पूरा पाइआ पूरे के गुन गाउ ॥1॥295॥

82. जलि थलि महीअलि पूरिआ

जलि थलि महीअलि पूरिआ सुआमी सिरजनहारु ॥
अनिक भांति होइ पसरिआ नानक एकंकारु ॥1॥296॥

83. करउ बंदना अनिक वार

करउ बंदना अनिक वार सरनि परउ हरि राइ ॥
भ्रमु कटीऐ नानक साधसंगि दुतीआ भाउ मिटाइ ॥2॥296॥

84. तीनि बिआपहि जगत कउ

तीनि बिआपहि जगत कउ तुरीआ पावै कोइ ॥
नानक संत निरमल भए जिन मनि वसिआ सोइ ॥3॥297॥

85. चतुर सिआणा सुघड़ु सोइ

चतुर सिआणा सुघड़ु सोइ जिनि तजिआ अभिमानु ॥
चारि पदारथ असट सिधि भजु नानक हरि नामु ॥4॥297॥

86. पंच बिकार मन महि बसे

पंच बिकार मन महि बसे राचे माइआ संगि ॥
साधसंगि होइ निरमला नानक प्रभ कै रंगि ॥5॥297॥

87. खट सासत्र ऊचौ कहहि

खट सासत्र ऊचौ कहहि अंतु न पारावार ॥
भगत सोहहि गुण गावते नानक प्रभ कै दुआर ॥6॥297॥

88. संत मंडल हरि जसु कथहि

संत मंडल हरि जसु कथहि बोलहि सति सुभाइ ॥
नानक मनु संतोखीऐ एकसु सिउ लिव लाइ ॥7॥298॥

89. आठ पहर गुन गाईअहि

आठ पहर गुन गाईअहि तजीअहि अवरि जंजाल ॥
जमकंकरु जोहि न सकई नानक प्रभू दइआल ॥8॥298॥

90. नाराइणु नह सिमरिओ

नाराइणु नह सिमरिओ मोहिओ सुआद बिकार ॥
नानक नामि बिसारिऐ नरक सुरग अवतार ॥9॥298॥

91. दस दिस खोजत मै फिरिओ

दस दिस खोजत मै फिरिओ जत देखउ तत सोइ ॥
मनु बसि आवै नानका जे पूरन किरपा होइ ॥10॥298॥

92. एको एकु बखानीऐ

एको एकु बखानीऐ बिरला जाणै स्वादु ॥
गुण गोबिंद न जाणीऐ नानक सभु बिसमादु ॥11॥299॥

93. दुरमति हरी सेवा करी

दुरमति हरी सेवा करी भेटे साध क्रिपाल ॥
नानक प्रभ सिउ मिलि रहे बिनसे सगल जंजाल ॥12॥299॥

94. तीनि गुणा महि बिआपिआ

तीनि गुणा महि बिआपिआ पूरन होत न काम ॥
पतित उधारणु मनि बसै नानक छूटै नाम ॥13॥299॥

95. चारि कुंट चउदह भवन

चारि कुंट चउदह भवन सगल बिआपत राम ॥
नानक ऊन न देखीऐ पूरन ता के काम ॥14॥299॥

96. आतमु जीता गुरमती

आतमु जीता गुरमती गुण गाए गोबिंद ॥
संत प्रसादी भै मिटे नानक बिनसी चिंद ॥15॥300॥

97. पूरनु कबहु न डोलता

पूरनु कबहु न डोलता पूरा कीआ प्रभ आपि ॥
दिनु दिनु चड़ै सवाइआ नानक होत न घाटि ॥16॥300॥

98. दुख बिनसे सहसा गइओ

दुख बिनसे सहसा गइओ सरनि गही हरि राइ ॥
मनि चिंदे फल पाइआ नानक हरि गुन गाइ ॥17॥300॥

99. रहदे खुहदे निंदक मारिअनु

रहदे खुहदे निंदक मारिअनु करि आपे आहरु ॥
संत सहाई नानका वरतै सभ जाहरु ॥1॥315॥

100. मुंढहु भुले मुंढ ते

मुंढहु भुले मुंढ ते किथै पाइनि हथु ॥
तिंनै मारे नानका जि करण कारण समरथु ॥2॥315॥

101. सेवक सचे साह के

सेवक सचे साह के सेई परवाणु ॥
दूजा सेवनि नानका से पचि पचि मुए अजाण ॥1॥315॥

102. जो धुरि लिखिआ लेखु

जो धुरि लिखिआ लेखु प्रभ मेटणा न जाइ ॥
राम नामु धनु वखरो नानक सदा धिआइ ॥2॥315॥

103. नरक घोर बहु दुख घणे

नरक घोर बहु दुख घणे अकिरतघणा का थानु ॥
तिनि प्रभि मारे नानका होइ होइ मुए हरामु ॥1॥315॥

104. अवखध सभे कीतिअनु

अवखध सभे कीतिअनु निंदक का दारू नाहि ॥
आपि भुलाए नानका पचि पचि जोनी पाहि ॥2॥315॥

105. गुर नानक हरि नामु द्रिड़ाइआ

गुर नानक हरि नामु द्रिड़ाइआ भंनण घड़ण समरथु ॥
प्रभु सदा समालहि मित्र तू दुखु सबाइआ लथु ॥1॥317॥

106. खुधिआवंतु न जाणई

खुधिआवंतु न जाणई लाज कुलाज कुबोलु ॥
नानकु मांगै नामु हरि करि किरपा संजोगु ॥2॥317॥

107. हरि हरि नामु जो जनु जपै

हरि हरि नामु जो जनु जपै सो आइआ परवाणु ॥
तिसु जन कै बलिहारणै जिनि भजिआ प्रभु निरबाणु ॥
जनम मरन दुखु कटिआ हरि भेटिआ पुरखु सुजाणु ॥
संत संगि सागरु तरे जन नानक सचा ताणु ॥1॥318॥

108. भलके उठि पराहुणा

भलके उठि पराहुणा मेरै घरि आवउ ॥
पाउ पखाला तिस के मनि तनि नित भावउ ॥
नामु सुणे नामु संग्रहै नामे लिव लावउ ॥
ग्रिहु धनु सभु पवित्रु होइ हरि के गुण गावउ ॥
हरि नाम वापारी नानका वडभागी पावउ ॥2॥318॥

109. चेता ई तां चेति

चेता ई तां चेति साहिबु सचा सो धणी ॥
नानक सतिगुरु सेवि चड़ि बोहिथि भउजलु पारि पउ ॥1॥318॥

110. वाऊ संदे कपड़े

वाऊ संदे कपड़े पहिरहि गरबि गवार ॥
नानक नालि न चलनी जलि बलि होए छारु ॥2॥318॥

111. नानक सोई दिनसु सुहावड़ा

नानक सोई दिनसु सुहावड़ा जितु प्रभु आवै चिति ॥
जितु दिनि विसरै पारब्रहमु फिटु भलेरी रुति ॥1॥318॥

112. नानक मित्राई तिसु सिउ

नानक मित्राई तिसु सिउ सभ किछु जिस कै हाथि ॥
कुमित्रा सेई कांढीअहि इक विख न चलहि साथि ॥2॥318॥

113. डिठड़ो हभ ठाइ

डिठड़ो हभ ठाइ ऊण न काई जाइ ॥
नानक लधा तिन सुआउ जिना सतिगुरु भेटिआ ॥1॥318॥

114. दामनी चमतकार

दामनी चमतकार तिउ वरतारा जग खे ॥
वथु सुहावी साइ नानक नाउ जपंदो तिसु धणी ॥2॥319॥

115. अंतरि चिंता नैणी सुखी

अंतरि चिंता नैणी सुखी मूलि न उतरै भुख ॥
नानक सचे नाम बिनु किसै न लथो दुखु ॥1॥319॥

116. मुठड़े सेई साथ

मुठड़े सेई साथ जिनी सचु न लदिआ ॥
नानक से साबासि जिनी गुर मिलि इकु पछाणिआ ॥2॥319॥

117. चिड़ी चुहकी पहु फुटी

चिड़ी चुहकी पहु फुटी वगनि बहुतु तरंग ॥
अचरज रूप संतन रचे नानक नामहि रंग ॥1॥319॥

119. खखड़ीआ सुहावीआ

खखड़ीआ सुहावीआ लगड़ीआ अक कंठि ॥
बिरह विछोड़ा धणी सिउ नानक सहसै गंठि ॥1॥319॥

120. विसारेदे मरि गए

विसारेदे मरि गए मरि भि न सकहि मूलि ॥
वेमुख होए राम ते जिउ तसकर उपरि सूलि ॥2॥319॥

121. जिना सासि गिरासि न विसरै

जिना सासि गिरासि न विसरै हरि नामां मनि मंतु ॥
धंनु सि सेई नानका पूरनु सोई संतु ॥1॥319॥

122. अठे पहर भउदा फिरै

अठे पहर भउदा फिरै खावण संदड़ै सूलि ॥
दोजकि पउदा किउ रहै जा चिति न होइ रसूलि ॥2॥319॥

123. जाचकु मंगै दानु

जाचकु मंगै दानु देहि पिआरिआ ॥
देवणहारु दातारु मै नित चितारिआ ॥
निखुटि न जाई मूलि अतुल भंडारिआ ॥
नानक सबदु अपारु तिनि सभु किछु सारिआ ॥1॥320॥

124. सिखहु सबदु पिआरिहो

सिखहु सबदु पिआरिहो जनम मरन की टेक ॥
मुख ऊजल सदा सुखी नानक सिमरत एक ॥2॥320॥

125. सतिगुरि पूरै सेविऐ

सतिगुरि पूरै सेविऐ दूखा का होइ नासु ॥
नानक नामि अराधिऐ कारजु आवै रासि ॥1॥320॥

126. जिसु सिमरत संकट छुटहि

जिसु सिमरत संकट छुटहि अनद मंगल बिस्राम ॥
नानक जपीऐ सदा हरि निमख न बिसरउ नामु ॥2॥320॥

127. कामु न करही आपणा

कामु न करही आपणा फिरहि अवता लोइ ॥
नानक नाइ विसारिऐ सुखु किनेहा होइ ॥1॥320॥

128. बिखै कउड़तणि सगल माहि

बिखै कउड़तणि सगल माहि जगति रही लपटाइ ॥
नानक जनि वीचारिआ मीठा हरि का नाउ ॥2॥320॥

129. नानक आए से परवाणु है

नानक आए से परवाणु है जिन हरि वुठा चिति ॥
गाल्ही अल पलालीआ कमि न आवहि मित ॥1॥320॥

130. पारब्रहमु प्रभु द्रिसटी आइआ

पारब्रहमु प्रभु द्रिसटी आइआ पूरन अगम बिसमाद ॥
नानक राम नामु धनु कीता पूरे गुर परसादि ॥2॥320॥

131. उठंदिआ बहंदिआ

उठंदिआ बहंदिआ सवंदिआ सुखु सोइ ॥
नानक नामि सलाहिऐ मनु तनु सीतलु होइ ॥1॥321॥

132. लालचि अटिआ नित फिरै

लालचि अटिआ नित फिरै सुआरथु करे न कोइ ॥
जिसु गुरु भेटै नानका तिसु मनि वसिआ सोइ ॥2॥321॥

133. जाचड़ी सा सारु

जाचड़ी सा सारु जो जाचंदी हेकड़ो ॥
गाल्ही बिआ विकार नानक धणी विहूणीआ ॥1॥321॥

134. नीहि जि विधा मंनु

नीहि जि विधा मंनु पछाणू विरलो थिओ ॥
जोड़णहारा संतु नानक पाधरु पधरो ॥2॥321॥

135. वत लगी सचे नाम की

वत लगी सचे नाम की जो बीजे सो खाइ ॥
तिसहि परापति नानका जिस नो लिखिआ आइ ॥1॥321॥

136. मंगणा त सचु इकु जिसु

मंगणा त सचु इकु जिसु तुसि देवै आपि ॥
जितु खाधै मनु त्रिपतीऐ नानक साहिब दाति ॥2॥321॥

137. पारब्रहमि फुरमाइआ

पारब्रहमि फुरमाइआ मीहु वुठा सहजि सुभाइ ॥
अंनु धंनु बहुतु उपजिआ प्रिथमी रजी तिपति अघाइ ॥
सदा सदा गुण उचरै दुखु दालदु गइआ बिलाइ ॥
पूरबि लिखिआ पाइआ मिलिआ तिसै रजाइ ॥
परमेसरि जीवालिआ नानक तिसै धिआइ ॥1॥321॥

138. जीवन पदु निरबाणु

जीवन पदु निरबाणु इको सिमरीऐ ॥
दूजी नाही जाइ किनि बिधि धीरीऐ ॥
डिठा सभु संसारु सुखु न नाम बिनु ॥
तनु धनु होसी छारु जाणै कोइ जनु ॥
रंग रूप रस बादि कि करहि पराणीआ ॥
जिसु भुलाए आपि तिसु कल नही जाणीआ ॥
रंगि रते निरबाणु सचा गावही ॥
नानक सरणि दुआरि जे तुधु भावही ॥2॥321॥

139. धरणि सुवंनी खड़ रतन जड़ावी

धरणि सुवंनी खड़ रतन जड़ावी हरि प्रेम पुरखु मनि वुठा ॥
सभे काज सुहेलड़े थीए गुरु नानकु सतिगुरु तुठा ॥1॥322॥

140. फिरदी फिरदी दह दिसा

फिरदी फिरदी दह दिसा जल परबत बनराइ ॥
जिथै डिठा मिरतको इल बहिठी आइ ॥2॥322॥

141. सलोक दोहा-एकु जि साजनु मै कीआ

एकु जि साजनु मै कीआ सरब कला समरथु ॥
जीउ हमारा खंनीऐ हरि मन तन संदड़ी वथु ॥1॥322॥

142. जे करु गहहि पिआरड़े

जे करु गहहि पिआरड़े तुधु न छोडा मूलि ॥
हरि छोडनि से दुरजना पड़हि दोजक कै सूलि ॥2॥322॥

143. धंधड़े कुलाह चिति न आवै

धंधड़े कुलाह चिति न आवै हेकड़ो ॥
नानक सेई तंन फुटंनि जिना सांई विसरै ॥1॥323॥

144. परेतहु कीतोनु देवता

परेतहु कीतोनु देवता तिनि करणैहारे ॥
सभे सिख उबारिअनु प्रभि काज सवारे ॥
निंदक पकड़ि पछाड़िअनु झूठे दरबारे ॥
नानक का प्रभु वडा है आपि साजि सवारे ॥2॥323॥

145. तिंना भुख न का रही

तिंना भुख न का रही जिस दा प्रभु है सोइ ॥
नानक चरणी लगिआ उधरै सभो कोइ ॥1॥323॥

146. जाचिकु मंगै नित नामु

जाचिकु मंगै नित नामु साहिबु करे कबूलु ॥
नानक परमेसरु जजमानु तिसहि भुख न मूलि ॥2॥323॥

147. अंतरि गुरु आराधणा

अंतरि गुरु आराधणा जिहवा जपि गुर नाउ ॥
नेत्री सतिगुरु पेखणा स्रवणी सुनणा गुर नाउ ॥
सतिगुर सेती रतिआ दरगह पाईऐ ठाउ ॥
कहु नानक किरपा करे जिस नो एह वथु देइ ॥
जग महि उतम काढीअहि विरले केई केइ ॥1॥517॥

148. रखे रखणहारि

रखे रखणहारि आपि उबारिअनु ॥
गुर की पैरी पाइ काज सवारिअनु ॥
होआ आपि दइआलु मनहु न विसारिअनु ॥
साध जना कै संगि भवजलु तारिअनु ॥
साकत निंदक दुसट खिन माहि बिदारिअनु ॥
तिसु साहिब की टेक नानक मनै माहि ॥
जिसु सिमरत सुखु होइ सगले दूख जाहि ॥2॥517॥

149. जा तूं तुसहि मिहरवान

जा तूं तुसहि मिहरवान अचिंतु वसहि मन माहि ॥
जा तूं तुसहि मिहरवान नउ निधि घर महि पाहि ॥
जा तूं तुसहि मिहरवान ता गुर का मंत्रु कमाहि ॥
जा तूं तुसहि मिहरवान ता नानक सचि समाहि ॥1॥518॥

150. किती बैहन्हि बैहणे

किती बैहन्हि बैहणे मुचु वजाइनि वज ॥
नानक सचे नाम विणु किसै न रहीआ लज ॥2॥518॥

151. चंगिआईं आलकु करे

चंगिआईं आलकु करे बुरिआईं होइ सेरु ॥
नानक अजु कलि आवसी गाफल फाही पेरु ॥1॥518॥

152. कितीआ कुढंग

कितीआ कुढंग गुझा थीऐ न हितु ॥
नानक तै सहि ढकिआ मन महि सचा मितु ॥2॥518॥

153. साजन तेरे चरन की

साजन तेरे चरन की होइ रहा सद धूरि ॥
नानक सरणि तुहारीआ पेखउ सदा हजूरि ॥1॥518॥

154. पतित पुनीत असंख

पतित पुनीत असंख होहि हरि चरणी मनु लाग ॥
अठसठि तीरथ नामु प्रभ जिसु नानक मसतकि भाग ॥2॥518॥

155. कामु क्रोधु लोभु छोडीऐ

कामु क्रोधु लोभु छोडीऐ दीजै अगनि जलाइ ॥
जीवदिआ नित जापीऐ नानक साचा नाउ ॥1॥519॥

156. सिमरत सिमरत प्रभु आपणा

सिमरत सिमरत प्रभु आपणा सभ फल पाए आहि ॥
नानक नामु अराधिआ गुर पूरै दीआ मिलाइ ॥2॥519॥

157. मन महि चितवउ चितवनी

मन महि चितवउ चितवनी उदमु करउ उठि नीत ॥
हरि कीरतन का आहरो हरि देहु नानक के मीत ॥1॥519॥

158. द्रिसटि धारि प्रभि राखिआ

द्रिसटि धारि प्रभि राखिआ मनु तनु रता मूलि ॥
नानक जो प्रभ भाणीआ मरउ विचारी सूलि ॥2॥519॥

159. लगड़ी सुथानि

लगड़ी सुथानि जोड़णहारै जोड़ीआ ॥
नानक लहरी लख सै आन डुबण देइ न मा पिरी ॥1॥519॥

160. बनि भीहावलै हिकु साथी लधमु

बनि भीहावलै हिकु साथी लधमु दुख हरता हरि नामा ॥
बलि बलि जाई संत पिआरे नानक पूरन कामां ॥2॥519॥

161. प्रेम पटोला तै सहि दिता

प्रेम पटोला तै सहि दिता ढकण कू पति मेरी ॥
दाना बीना साई मैडा नानक सार न जाणा तेरी ॥1॥520॥

162. तैडै सिमरणि हभु किछु लधमु

तैडै सिमरणि हभु किछु लधमु बिखमु न डिठमु कोई ॥
जिसु पति रखै सचा साहिबु नानक मेटि न सकै कोई ॥2॥520॥

163. नदी तरंदड़ी मैडा खोजु न खु्म्भै

नदी तरंदड़ी मैडा खोजु न खु्म्भै मंझि मुहबति तेरी ॥
तउ सह चरणी मैडा हीअड़ा सीतमु हरि नानक तुलहा बेड़ी ॥1॥520॥

164. जिन्हा दिसंदड़िआ दुरमति वंञै

जिन्हा दिसंदड़िआ दुरमति वंञै मित्र असाडड़े सेई ॥
हउ ढूढेदी जगु सबाइआ जन नानक विरले केई ॥2॥520॥

165. बारि विडानड़ै हुमस धुमस

बारि विडानड़ै हुमस धुमस कूका पईआ राही ॥
तउ सह सेती लगड़ी डोरी नानक अनद सेती बनु गाही ॥1॥520॥

166. सची बैसक तिन्हा संगि

सची बैसक तिन्हा संगि जिन संगि जपीऐ नाउ ॥
तिन्ह संगि संगु न कीचई नानक जिना आपणा सुआउ ॥2॥520॥

167. विछोहे ज्मबूर खवे

विछोहे ज्मबूर खवे न वंञनि गाखड़े ॥
जे सो धणी मिलंनि नानक सुख स्मबूह सचु ॥1॥520॥

168. जिमी वसंदी पाणीऐ

जिमी वसंदी पाणीऐ ईधणु रखै भाहि ॥
नानक सो सहु आहि जा कै आढलि हभु को ॥2॥521॥

169. कड़छीआ फिरंन्हि

कड़छीआ फिरंन्हि सुआउ न जाणन्हि सुञीआ ॥
सेई मुख दिसंन्हि नानक रते प्रेम रसि ॥1॥521॥

170. खोजी लधमु खोजु

खोजी लधमु खोजु छडीआ उजाड़ि ॥
तै सहि दिती वाड़ि नानक खेतु न छिजई ॥2॥521॥

171. लधमु लभणहारु

लधमु लभणहारु करमु करंदो मा पिरी ॥
इको सिरजणहारु नानक बिआ न पसीऐ ॥1॥521॥

172. पापड़िआ पछाड़ि

पापड़िआ पछाड़ि बाणु सचावा संन्हि कै ॥
गुर मंत्रड़ा चितारि नानक दुखु न थीवई ॥2॥521॥

173. जा कउ भए क्रिपाल प्रभ

जा कउ भए क्रिपाल प्रभ हरि हरि सेई जपात ॥
नानक प्रीति लगी तिन राम सिउ भेटत साध संगात ॥1॥521॥

174. रामु रमहु बडभागीहो

रामु रमहु बडभागीहो जलि थलि महीअलि सोइ ॥
नानक नामि अराधिऐ बिघनु न लागै कोइ ॥2॥521॥

175. कोटि बिघन तिसु लागते

कोटि बिघन तिसु लागते जिस नो विसरै नाउ ॥
नानक अनदिनु बिलपते जिउ सुंञै घरि काउ ॥1॥522॥

176. पिरी मिलावा जा थीऐ

पिरी मिलावा जा थीऐ साई सुहावी रुति ॥
घड़ी मुहतु नह वीसरै नानक रवीऐ नित ॥2॥522॥

177. किलविख सभे उतरनि

किलविख सभे उतरनि नीत नीत गुण गाउ ॥
कोटि कलेसा ऊपजहि नानक बिसरै नाउ ॥1॥522॥

178. नानक सतिगुरि भेटिऐ

नानक सतिगुरि भेटिऐ पूरी होवै जुगति ॥
हसंदिआ खेलंदिआ पैनंदिआ खावंदिआ विचे होवै मुकति ॥2॥522॥

179. उदमु करेदिआ जीउ तूं

उदमु करेदिआ जीउ तूं कमावदिआ सुख भुंचु ॥
धिआइदिआ तूं प्रभू मिलु नानक उतरी चिंत ॥1॥522॥

180. सुभ चिंतन गोबिंद रमण

सुभ चिंतन गोबिंद रमण निरमल साधू संग ॥
नानक नामु न विसरउ इक घड़ी करि किरपा भगवंत ॥2॥522॥

181. काम क्रोध मद लोभ मोह

काम क्रोध मद लोभ मोह दुसट बासना निवारि ॥
राखि लेहु प्रभ आपणे नानक सद बलिहारि ॥1॥523॥

182. खांदिआ खांदिआ मुहु घठा

खांदिआ खांदिआ मुहु घठा पैनंदिआ सभु अंगु ॥
नानक ध्रिगु तिना दा जीविआ जिन सचि न लगो रंगु ॥2॥523॥

183. जीवदिआ न चेतिओ

जीवदिआ न चेतिओ मुआ रलंदड़ो खाक ॥
नानक दुनीआ संगि गुदारिआ साकत मूड़ नपाक ॥1॥523॥

184. जीवंदिआ हरि चेतिआ

जीवंदिआ हरि चेतिआ मरंदिआ हरि रंगि ॥
जनमु पदारथु तारिआ नानक साधू संगि ॥2॥523॥

185. आदि मधि अरु अंति

आदि मधि अरु अंति परमेसरि रखिआ ॥
सतिगुरि दिता हरि नामु अम्रितु चखिआ ॥
साधा संगु अपारु अनदिनु हरि गुण रवै ॥
पाए मनोरथ सभि जोनी नह भवै ॥
सभु किछु करते हथि कारणु जो करै ॥
नानकु मंगै दानु संता धूरि तरै ॥1॥523॥

186. तिस नो मंनि वसाइ

तिस नो मंनि वसाइ जिनि उपाइआ ॥
जिनि जनि धिआइआ खसमु तिनि सुखु पाइआ ॥
सफलु जनमु परवानु गुरमुखि आइआ ॥
हुकमै बुझि निहालु खसमि फुरमाइआ ॥
जिसु होआ आपि क्रिपालु सु नह भरमाइआ ॥
जो जो दिता खसमि सोई सुखु पाइआ ॥
नानक जिसहि दइआलु बुझाए हुकमु मित ॥
जिसहि भुलाए आपि मरि मरि जमहि नित ॥2॥523॥

187. रामु जपहु वडभागीहो

रामु जपहु वडभागीहो जलि थलि पूरनु सोइ ॥
नानक नामि धिआइऐ बिघनु न लागै कोइ ॥1॥524॥

188. कोटि बिघन तिसु लागते

कोटि बिघन तिसु लागते जिस नो विसरै नाउ ॥
नानक अनदिनु बिलपते जिउ सुंञै घरि काउ ॥2॥524॥

189. हरि नामु न सिमरहि साधसंगि

हरि नामु न सिमरहि साधसंगि तै तनि उडै खेह ॥
जिनि कीती तिसै न जाणई नानक फिटु अलूणी देह ॥1॥553॥

190. घटि वसहि चरणारबिंद

घटि वसहि चरणारबिंद रसना जपै गुपाल ॥
नानक सो प्रभु सिमरीऐ तिसु देही कउ पालि ॥2॥554॥

191. ऊचा अगम अपार प्रभु

ऊचा अगम अपार प्रभु कथनु न जाइ अकथु ॥
नानक प्रभ सरणागती राखन कउ समरथु ॥1॥704॥

192. निरति न पवै असंख गुण

निरति न पवै असंख गुण ऊचा प्रभ का नाउ ॥
नानक की बेनंतीआ मिलै निथावे थाउ ॥2॥704॥

193. रे मन ता कउ धिआईऐ

रे मन ता कउ धिआईऐ सभ बिधि जा कै हाथि ॥
राम नाम धनु संचीऐ नानक निबहै साथि ॥3॥704॥

194. चिति जि चितविआ

चिति जि चितविआ सो मै पाइआ ॥
नानक नामु धिआइ सुख सबाइआ ॥4॥2॥705॥