सलोक/श्लोक : बाबा शेख फ़रीद

Salok in Hindi : Baba Sheikh Farid

सलोक सेख फरीद के
ੴ सतिगुर प्रसादि
1

जितु दिहाड़ै धन वरी साहे लए लिखाइ ॥
मलकु जि कंनी सुणीदा मुहु देखाले आइ ॥
जिंदु निमाणी कढीऐ हडा कू कड़काइ ॥
साहे लिखे न चलनी जिंदू कूं समझाइ ॥
जिंदु वहुटी मरणु वरु लै जासी परणाइ ॥
आपण हथी जोलि कै कै गलि लगै धाइ ॥
वालहु निकी पुरसलात कंनी न सुणी आइ ॥
फरीदा किड़ी पवंदीई खड़ा न आपु मुहाइ॥1॥

(जितु दिहाड़ै=जिस दिन, धन=स्त्री, वरी=व्याही
जायेगी, साहे=विवाह का नियत समय, मलकु=मौत
का फ़रिश्ता, कूं=को, न चलनी =नहीं टल सकते,
वरु=दूल्हा, परणाइ=विवाह कर, जोलि कै=भेज कर,
कै गलि=किस के गले में, धाइ=दौड़ कर, वालहु=
वाल से, पुरसलात =पुल-सिरात, कंनी=कानों से,
किड़ी पवंदीई=आवाज़ आते, न मुहाइ=न लुटा)

2

फरीदा दर दरवेसी गाखड़ी चलां दुनीआं भति ॥
बंन्हि उठाई पोटली किथै वंञा घति ॥2॥

(गाखड़ी=मुश्किल, दरवेसी=फ़कीरी, दर=परमात्मा
दे दर की, भति=की तरह, बंन्हि=बाँध कर, वंञा=जाऊं,
घति=फैंक कर, पोटली=छोटी सी गाँठ)

3

किझु न बुझै किझु न सुझै दुनीआ गुझी भाहि ॥
सांईं मेरै चंगा कीता नाही त हं भी दझां आहि ॥3॥

(किझु=कुछ भी, बुझै=समझ आती, पता लगता,
गुझी=छुपी, भाहि=आग, सांईं मेरै=मेरे
सांईं ने, हं भी=मैं भी, दझां आहि=
सड़ जाता)

4

फरीदा जे जाणा तिल थोड़ड़े समलि बुकु भरी ॥
जे जाणा सहु नंढड़ा तां थोड़ा माणु करी ॥4॥

(तिल=स्वास, थोड़ड़े=बहुत थोड़े, संमलि =संभल
के, सहु=खसम -प्रभु, नंढड़ा=छोटा सा लड़का)

5

जे जाणा लड़ु छिजणा पीडी पाईं गंढि ॥
तै जेवडु मै नाहि को सभु जगु डिठा हंढि ॥5॥

(लड़ु=पल्ला, छिजणा=टूट जाना है, पीडी=पक्की, तै
जेवडु=तुम्हारे जितना, हंढि=फिर कर)

6

फरीदा जे तू अकलि लतीफु काले लिखु न लेख ॥
आपनड़े गिरीवान महि सिरु नींवां करि देखु ॥6॥

(अकलि लतीफु=बारीक समझ वाला, काले लेखु =मन्दे
करम, गिरीवान=अंदर)

7

फरीदा जो तै मारनि मुकीआं तिन्हा न मारे घुमि ॥
आपनड़ै घरि जाईऐ पैर तिन्हा दे चुमि ॥7॥

(तै=तुझे, तिन्हा=उन को, न मारे =न मार,
घुमि=लौट कर, आपनड़ै घरि=अपने घर में,
शांत अवस्था में, चुमि=चूम कर, जाईऐ=पहुँच जाते है)

8

फरीदा जां तउ खटण वेल तां तू रता दुनी सिउ ॥
मरग सवाई नीहि जां भरिआ तां लदिआ ॥8॥

(तउ=तुम्हारा, खटण वेल=कमाने का समय, रता=
रंगा हुआ,मस्त, सिउ=के साथ, मरग=मौत,
सवाई=बढ़ती गई, जां=जब, भरिआ=स्वास
पूरे हो गए, नीहि=नींव)

9

देखु फरीदा जु थीआ दाड़ी होई भूर ॥
अगहु नेड़ा आइआ पिछा रहिआ दूरि ॥9॥

(थीआ=हो गया है, जु=जो कुछ, भूर=सफ़ेद,
अगहु=अगला पासा, पिछा=पिछला पक्ष)

10

देखु फरीदा जि थीआ सकर होई विसु ॥
सांई बाझहु आपणे वेदण कहीऐ किसु ॥10॥

(जि थीया =जो कुछ हुआ है, सकर=शक्कर,मीठे
पदारथ, विसु=ज़हर,दुखदायी, वेदण=दुख)

11

फरीदा अखी देखि पतीणीआं सुणि सुणि रीणे कंन ॥
साख पकंदी आईआ होर करेंदी वंन ॥11॥

(पतीणीआं=पतली पड़ गई हैं, रीणे=खाली,बोले,
साख=टहनी,शरीर, पकंदी आईआ=पक्क
गयी है, वंन=रंग)

12

फरीदा कालीं जिनी न राविआ धउली रावै कोइ ॥
करि सांई सिउ पिरहड़ी रंगु नवेला होइ ॥12॥

(कालीं=जब केस काले थे, राविआ=माना,
धउली=धउले आए हुए, कोइ=कोई विरला,
पिरहड़ी=प्यार, नवेला=नया, रंगु=प्यार)

13
म: 3

फरीदा काली धउली साहिबु सदा है जे को चिति करे ॥
आपणा लाइआ पिरमु न लगई जे लोचै सभु कोइ ॥
एहु पिरमु पिआला खसम का जै भावै तै देइ ॥13॥

(चिति करे=चित्त में टिकाए, पिरमु=प्यार, सभु कोइ=
हरेक जीव, जै=जिस को, तै=उस को)

14

फरीदा जिन्ह लोइण जगु मोहिआ से लोइण मै डिठु ॥
कजल रेख न सहदिआ से पंखी सूइ बहिठु ॥14॥

(लोइण=आँखें, सूइ=बच्चे, बहिठु=बैठने की जगह)

15

फरीदा कूकेदिआ चांगेदिआ मती देदिआ नित ॥
जो सैतानि वंञाइआ से कित फेरहि चित ॥15॥

(सैतानि=शैतान ने,मन ने, कूकेदिआ
चांगेदिआ=पुकार पुकार के समझाने पर भी,
से=वह बंदे, वंञाइआ =बिगड़ा हुआ है)

16

फरीदा थीउ पवाही दभु ॥
जे सांई लोड़हि सभु ॥
इकु छिजहि बिआ लताड़ीअहि ॥
तां साई दै दरि वाड़ीअहि ॥16॥

(थीउ=बन जा, पवाही=पहियों की,रस्ते की,
दभु=घास, जे लोड़हि=यदि तू ढूँढता है, सभु=
सब मे, इकु=किसी दूब के पौधे को,
छिजहि=तोड़ते हैं, बिआ=कई ओर,
लताड़ीअहि=लताड़े जाते हैं,
साई दै दरि=मालिक के दर पर,
वाड़ीअहि=तू ले जाया जाएगा)

17

फरीदा खाकु न निंदीऐ खाकू जेडु न कोइ ॥
जीवदिआ पैरा तलै मुइआ उपरि होइ ॥17॥

(खाकु=मिट्टी, जेडु=जितना,जैसा)

18

फरीदा जा लबु ता नेहु किआ लबु त कूड़ा नेहु ॥
किचरु झति लघाईऐ छपरि तुटै मेहु ॥18॥

(नेहु किआ=किसका प्यार,असली प्यार नहीं, कूड़ा=झूठा,
किचरु =कितनी देर, झति=समय, छपरि तुटै=टूटे हुए छप्पर
पर, मेहु=बारिश)

19

फरीदा जंगलु जंगलु किआ भवहि वणि कंडा मोड़ेहि ॥
वसी रबु हिआलीऐ जंगलु किआ ढूढेहि ॥19॥

(किआ भवहि=घूमने का क्या लाभ, वणि=जंगल में,
कंडा मोड़ेहि=क्यों लताड़ता है, वसी=बसता है, हिआलीऐ=
हृदय में, किआ ढूढेहि=तलाश का क्या लाभ)

20

फरीदा इनी निकी जंघीऐ थल डूंगर भविओम्हि ॥
अजु फरीदै कूजड़ा सै कोहां थीओमि ॥20॥

(इनी जंघीऐ=इन टांगों के साथ, डूंगर=
पहाड़, भविओम्हि=मैंने घूमा है, अजु=
बुढ़ापे में, फरीदै= फ़रीद को, थीओमि=
हो गया है, कूजड़ा=एक छोटा सा कुल्हड़)

21

फरीदा राती वडीआं धुखि धुखि उठनि पास ॥
धिगु तिन्हा दा जीविआ जिना विडाणी आस ॥21॥

(वडीआं=लम्बी, धुखि उठनि=सुलग उठते हैं, पास=
शरीर के अंग, विडाणी=बिगानी, धिगु=फटकार-योग्य)

22

फरीदा जे मै होदा वारिआ मिता आइड़िआं ॥
हेड़ा जलै मजीठ जिउ उपरि अंगारा ॥22॥

(वारिआ होदा =लुकाआ होता, मिता आइड़िआं=
आए मित्रों से, हेड़ा=शरीर,दिल,मांस, मजीठ जिउ=
मजीठ की तरह, जलै=जलता है)

23

फरीदा लोड़ै दाख बिजउरीआं किकरि बीजै जटु ॥
हंढै उंन कताइदा पैधा लोड़ै पटु ॥23॥

(बिजउरीआं=बिजौर के इलाके की, दाखु=
छोटा अंगूर, किकरि=कीकर का पेड़, हंढै=
पुराना, पैधा लोड़ै =पहनना चाहता है)

24

फरीदा गलीए चिकड़ु दूरि घरु नालि पिआरे नेहु ॥
चला त भिजै क्मबली रहां त तुटै नेहु ॥24॥

(रहां=अगर मैं रह पड़ूँ, त=तो, तुटै=टूटता है)

25

भिजउ सिजउ क्मबली अलह वरसउ मेहु ॥
जाइ मिला तिना सजणा तुटउ नाही नेहु ॥25॥

(अलह=ईश्वर के कारन, भिजउ=बेशक भीगे)

26

फरीदा मै भोलावा पग दा मतु मैली होइ जाइ ॥
गहिला रूहु न जाणई सिरु भी मिटी खाइ ॥26॥

(मै=मुझे, भोलावा=भ्रम, मतु होइ जाइ=
मत हो जाए, गहिला=लापरवाह,गाफिल, जाणई=
जानता)

27

फरीदा सकर खंडु निवात गुड़ु माखिओ मांझा दुधु ॥
सभे वसतू मिठीआं रब न पुजनि तुधु ॥27॥

(निवात=मिशरी, माखिओ=शहद, न पुजनि=नहीं
पहुंचते, तुधु=तुझे)

28

फरीदा रोटी मेरी काठ की लावणु मेरी भुख ॥
जिना खाधी चोपड़ी घणे सहनिगे दुख ॥28॥

(रोटी मेरी काठ=काठ की तरह सूखी रोटी, लावणु=
भाजी,नमकीन, घणे=बड़े, चोपड़ी=स्वादिष्ट,
घी-भीगी)

29

रुखी सुखी खाइ कै ठंढा पाणी पीउ ॥
फरीदा देखि पराई चोपड़ी ना तरसाए जीउ ॥29॥

(रुखी=बगैर दाल सब्ज़ी के, देखि=देख कर,
चोपड़ी=स्वादिष्ट,घी-भीगी)

30

अजु न सुती कंत सिउ अंगु मुड़े मुड़ि जाइ ॥
जाइ पुछहु डोहागणी तुम किउ रैणि विहाइ ॥30॥

(सिउ=के साथ, अंगु=शरीर, मुड़े मुड़ि जाइ=टूट रहा है,
डोहागणी=विधवा,परित्यक्ता, रैणि=रात)

31

साहुरै ढोई ना लहै पेईऐ नाही थाउ ॥
पिरु वातड़ी न पुछई धन सोहागणि नाउ ॥31॥

(साहुरै=ससुराल घर,परलोक में, ढोई=आसरा,
पेईऐ=मायके घर,इस लोक में, पिरु=खसम-प्रभु,
वातड़ी=थोड़ी सी बात, धन=स्त्री)

32
(म: 1)

साहुरै पेईऐ कंत की कंतु अगमु अथाहु ॥
नानक सो सोहागणी जु भावै बेपरवाह ॥32॥

(अगमु =पहुँच से परे, अथाहु=
गहरा, भावै=प्यारी लगती है)

33

नाती धोती स्मबही सुती आइ नचिंदु ॥
फरीदा रही सु बेड़ी हिंङु दी गई कथूरी गंधु ॥33॥

(सम्बही=सजी हुई, नचिन्दु=बे-फ़िक्र, बेड़ी=
लिबड़ी हुई, कथूरी=कस्तूरी, गंधु=खुशबू)

34

जोबन जांदे ना डरां जे सह प्रीति न जाइ ॥
फरीदा कितीं जोबन प्रीति बिनु सुकि गए कुमलाइ ॥34॥

(सह प्रीति=खसम का प्यार, कितीं=कितने ही)

35

फरीदा चिंत खटोला वाणु दुखु बिरहि विछावण लेफु ॥
एहु हमारा जीवणा तू साहिब सचे वेखु ॥35॥

(चिंत=चिंता, खटोला=छोटी खटिया, बिरहि=
विछोड़े में, विछावण=तलाई)

36

बिरहा बिरहा आखीऐ बिरहा तू सुलतानु ॥
फरीदा जितु तनि बिरहु न ऊपजै सो तनु जाणु मसानु ॥36॥

(बिरहा=जुदाई, सुलतानु=राजा, जितु तनि=जिस तन में,
बिरहु=जुदाई, मसानु=मुर्दे जलाने की जगह)

37

फरीदा ए विसु गंदला धरीआं खंडु लिवाड़ि ॥
इकि राहेदे रहि गए इकि राधी गए उजाड़ि ॥37॥

(ए=यह पदार्थ, विसु=ज़हर, खंडु लिवाड़ि=मीठे मे
लपेट कर, इकि=कई जीव, राहेदे=बीजते, रह गए=
थक गए,मर गए, राधी=बीजी हुई)

38

फरीदा चारि गवाइआ हंढि कै चारि गवाइआ समि ॥
लेखा रबु मंगेसीआ तू आंहो केर्हे कमि ॥38॥

(हंढि कै=भटक कर,दौड़-भाग कर, समि=सो कर,
मंगेसीआ=मांगेगा, आंहो=आया था,
केर्हे कमि=किस काम)

39

फरीदा दरि दरवाजै जाइ कै किउ डिठो घड़ीआलु ॥
एहु निदोसां मारीऐ हम दोसां दा किआ हालु ॥39॥

(दरि=दरवाज़े पर, किउ डिठो=क्या नहीं देखा,
निदोसां=बिना दोष, मारिऐ=मार खाता है)

40

घड़ीए घड़ीए मारीऐ पहरी लहै सजाइ ॥
सो हेड़ा घड़ीआल जिउ डुखी रैणि विहाइ ॥40॥

(घड़ीए घड़ीए=घड़ी घड़ी के बाद, पहरी=हरेक
पहर बाद में, सजाइ=सजा, हेड़ा=शरीर, जिउ=जैसे,
डुखी=दुखी, रैणि=रात, विहाइ=बीतती है)

41

बुढा होआ सेख फरीदु क्मबणि लगी देह ॥
जे सउ वर्हिआ जीवणा भी तनु होसी खेह ॥41॥

(देह=शरीर, खेह=राख,मिट्टी, होसी=हो जाएगा)

42

फरीदा बारि पराइऐ बैसणा सांई मुझै न देहि ॥
जे तू एवै रखसी जीउ सरीरहु लेहि ॥42॥

(बारि पराइऐ=पराए दरवाज़े पर,
बैसणा=बैठना, एवै=इसी तरह, जीउ=जिंद,
सरीरहु=शरीर में से)

43

कंधि कुहाड़ा सिरि घड़ा वणि कै सरु लोहारु ॥
फरीदा हउ लोड़ी सहु आपणा तू लोड़हि अंगिआर ॥43॥

(कंधि=कंधे पर, सिरि=सिर पर, वणि=जंगल में,
कै सरु =बादशाह, हउ=मैं, सहु=खसम, लोड़हि=
चाहता है, अंगिआर=अंगारे)

44

फरीदा इकना आटा अगला इकना नाही लोणु ॥
अगै गए सिंञापसनि चोटां खासी कउणु ॥44॥

(अगला=बहुत, लोणु=नमक, अगै=परलोक में,
सिंञापसनि=पहचाने जाएंगे)

45

पासि दमामे छतु सिरि भेरी सडो रड ॥
जाइ सुते जीराण महि थीए अतीमा गड ॥45॥

(पासि=पास, दमामे=धौंसे, छतु=छत्र, सिरि=
सिर पर, भेरी =तूतियां, सडो=बुला, रड=एक 'छंद'
का नाम है जो प्रशन्सा के लिए इस्तेमाल किया
जाता है, जीराण=मसाण, अतीमा=यतीम,बिन माँ
का बच्चा, गड थीए=रल गए)

46

फरीदा कोठे मंडप माड़ीआ उसारेदे भी गए ॥
कूड़ा सउदा करि गए गोरी आइ पए ॥46॥

(मंडप=शामियाने, माड़ीआ=चुबारों वाले महल,
कूड़ा=झूठा, गोरी=गोरी,कब्रों में)

47

फरीदा खिंथड़ि मेखा अगलीआ जिंदु न काई मेख ॥
वारी आपो आपणी चले मसाइक सेख ॥47॥

(खिंथड़ि=गोद, मेखा=टांके,मेखें,
अगलीआ=बहुत, मसाइक=शेख का बहु-वचन)

48

फरीदा दुहु दीवी बलंदिआ मलकु बहिठा आइ ॥
गड़ु लीता घटु लुटिआ दीवड़े गइआ बुझाइ ॥48॥

(दुहु दीवी बलंदिआ=इन दोनों आंखों
के सामने ही, मलकु=मौत का फ़रिश्ता,
गड़ु=किला,शरीर, घटु=हृदय, लीता=कब्जा कर लिया)

49

फरीदा वेखु कपाहै जि थीआ जि सिरि थीआ तिलाह ॥
कमादै अरु कागदै कुंने कोइलिआह ॥
मंदे अमल करेदिआ एह सजाइ तिनाह ॥49॥

(जि=जो कुछ, थीआ=हुआ, सिरि=सिर पर,
कुंने=मिट्टी की हाँडी, सजाइ=दंड,
तिनाह=उन को, अमल=काम,करतूत)

50

फरीदा कंनि मुसला सूफु गलि दिलि काती गुड़ु वाति ॥
बाहरि दिसै चानणा दिलि अंधिआरी राति ॥50॥

(कंनि=कंधे पर, सूफु=काली ख़फनी, गलि=गले में,
दिलि=दिल में)

51

फरीदा रती रतु न निकलै जे तनु चीरै कोइ ॥
जो तन रते रब सिउ तिन तनि रतु न होइ ॥51॥

(रति=थोड़ी जितनी भी, रतु=लहु, रते=रंगे हुए,
सिउ=के साथ, तिन तनि=उनके तन में)

52
म: 3

इहु तनु सभो रतु है रतु बिनु तंनु न होइ ॥
जो सह रते आपणे तितु तनि लोभु रतु न होइ ॥
भै पइऐ तनु खीणु होइ लोभु रतु विचहु जाइ ॥
जिउ बैसंतरि धातु सुधु होइ तिउ हरि का भउ दुरमति मैलु गवाइ ॥
नानक ते जन सोहणे जि रते हरि रंगु लाइ ॥52॥

(सभो=सारा ही, रतु बिनु=रक्त के बिना,
तनि=तन,शरीर, सह रते=खसम के साथ रंगे
हुए, तितु तनि=उस शरीर में, भै पइऐ=डर में
पड़ कर, खीणु=पतला,कमज़ोर, जाइ=दूर हो
जाती है, बैसंतरि =आग में, सुधु=साफ़, जि=
जो, रंगु=प्यार)

53

फरीदा सोई सरवरु ढूढि लहु जिथहु लभी वथु ॥
छपड़ि ढूढै किआ होवै चिकड़ि डुबै हथु ॥53॥

(सरवरु=सुंदर तालाब, वथु=चीज़)

54

फरीदा नंढी कंतु न राविओ वडी थी मुईआसु ॥
धन कूकेंदी गोर में तै सह ना मिलीआसु ॥54॥

(नंढी=जवान स्त्री ने, वडी थी=बुढ़िया हो कर, मुईआसु=
वह मर गई, धन=स्त्री, गोर में=कब्र में, तै=तुझे, सह=पति,
न मिलिआसु=नहीं मिली)

55

फरीदा सिरु पलिआ दाड़ी पली मुछां भी पलीआं ॥
रे मन गहिले बावले माणहि किआ रलीआं ॥55॥

(पलिआ=सफ़ेद हो गया, रे गहले=हे गाफिल, बावले=
बेवकूफ, रलीआं=खुशियां)

56

फरीदा कोठे धुकणु केतड़ा पिर नीदड़ी निवारि ॥
जो दिह लधे गाणवे गए विलाड़ि विलाड़ि ॥56॥

57

फरीदा कोठे मंडप माड़ीआ एतु न लाए चितु ॥
मिटी पई अतोलवी कोइ न होसी मितु ॥57॥

58

फरीदा मंडप मालु न लाइ मरग सताणी चिति धरि ॥
साई जाइ सम्हालि जिथै ही तउ वंञणा ॥58॥

59

फरीदा जिन्ही कमी नाहि गुण ते कमड़े विसारि ॥
मतु सरमिंदा थीवही सांई दै दरबारि ॥59॥

60

फरीदा साहिब दी करि चाकरी दिल दी लाहि भरांदि ॥
दरवेसां नो लोड़ीऐ रुखां दी जीरांदि ॥60॥

61

फरीदा काले मैडे कपड़े काला मैडा वेसु ॥
गुनही भरिआ मै फिरा लोकु कहै दरवेसु ॥61॥

62

तती तोइ न पलवै जे जलि टुबी देइ ॥
फरीदा जो डोहागणि रब दी झूरेदी झूरेइ ॥62॥

63

जां कुआरी ता चाउ वीवाही तां मामले ॥
फरीदा एहो पछोताउ वति कुआरी न थीऐ ॥63॥

64

कलर केरी छपड़ी आइ उलथे हंझ ॥
चिंजू बोड़न्हि ना पीवहि उडण संदी डंझ ॥64॥

65

हंसु उडरि कोध्रै पइआ लोकु विडारणि जाइ ॥
गहिला लोकु न जाणदा हंसु न कोध्रा खाइ ॥65॥

66

चलि चलि गईआं पंखीआं जिन्ही वसाए तल ॥
फरीदा सरु भरिआ भी चलसी थके कवल इकल ॥66॥

67

फरीदा इट सिराणे भुइ सवणु कीड़ा लड़िओ मासि ॥
केतड़िआ जुग वापरे इकतु पइआ पासि ॥67॥

68

फरीदा भंनी घड़ी सवंनवी टुटी नागर लजु ॥
अजराईलु फरेसता कै घरि नाठी अजु ॥68॥

69

फरीदा भंनी घड़ी सवंनवी टूटी नागर लजु ॥
जो सजण भुइ भारु थे से किउ आवहि अजु ॥69॥

70

फरीदा बे निवाजा कुतिआ एह न भली रीति ॥
कबही चलि न आइआ पंजे वखत मसीति ॥70॥

71

उठु फरीदा उजू साजि सुबह निवाज गुजारि ॥
जो सिरु सांई ना निवै सो सिरु कपि उतारि ॥71॥

72

जो सिरु साई ना निवै सो सिरु कीजै कांइ ॥
कुंने हेठि जलाईऐ बालण संदै थाइ ॥72॥

73

फरीदा किथै तैडे मापिआ जिन्ही तू जणिओहि ॥
तै पासहु ओइ लदि गए तूं अजै न पतीणोहि ॥73॥

74

फरीदा मनु मैदानु करि टोए टिबे लाहि ॥
अगै मूलि न आवसी दोजक संदी भाहि ॥74॥

75
महला 5

फरीदा खालकु खलक महि खलक वसै रब माहि ॥
मंदा किस नो आखीऐ जां तिसु बिनु कोई नाहि ॥75॥

76

फरीदा जि दिहि नाला कपिआ जे गलु कपहि चुख ॥
पवनि न इती मामले सहां न इती दुख ॥76॥

77

चबण चलण रतंन से सुणीअर बहि गए ॥
हेड़े मुती धाह से जानी चलि गए ।77॥

78

फरीदा बुरे दा भला करि गुसा मनि न हढाइ ॥
देही रोगु न लगई पलै सभु किछु पाइ ॥78॥

79

फरीदा पंख पराहुणी दुनी सुहावा बागु ॥
नउबति वजी सुबह सिउ चलण का करि साजु ॥79।

80

फरीदा राति कथूरी वंडीऐ सुतिआ मिलै न भाउ ॥
जिंन्हा नैण नींद्रावले तिंन्हा मिलणु कुआउ ॥80॥

81

फरीदा मै जानिआ दुखु मुझ कू दुखु सबाइऐ जगि ॥
ऊचे चड़ि कै देखिआ तां घरि घरि एहा अगि ॥81॥

82
महला 5

फरीदा भूमि रंगावली मंझि विसूला बाग ॥
जो जन पीरि निवाजिआ तिंन्हा अंच न लाग ॥82

83
महला 5

फरीदा उमर सुहावड़ी संगि सुवंनड़ी देह ॥
विरले केई पाईअनि जिंन्हा पिआरे नेह ॥83॥

84

कंधी वहण न ढाहि तउ भी लेखा देवणा ॥
जिधरि रब रजाइ वहणु तिदाऊ गंउ करे ॥84॥

85

फरीदा डुखा सेती दिहु गइआ सूलां सेती राति ॥
खड़ा पुकारे पातणी बेड़ा कपर वाति ॥85॥

86

लमी लमी नदी वहै कंधी केरै हेति ॥
बेड़े नो कपरु किआ करे जे पातण रहै सुचेति ॥86॥

87

फरीदा गलीं सु सजण वीह इकु ढूंढेदी न लहां ॥
धुखां जिउ मांलीह कारणि तिंन्हा मा पिरी ॥87॥

88

फरीदा इहु तनु भउकणा नित नित दुखीऐ कउणु ॥
कंनी बुजे दे रहां किती वगै पउणु ॥88॥

89

फरीदा रब खजूरी पकीआं माखिअ नई वहंन्हि ॥
जो जो वंञैं डीहड़ा सो उमर हथ पवंनि ॥89॥

90

फरीदा तनु सुका पिंजरु थीआ तलीआं खूंडहि काग ॥
अजै सु रबु न बाहुड़िओ देखु बंदे के भाग ॥90॥

91

कागा करंग ढंढोलिआ सगला खाइआ मासु ॥
ए दुइ नैना मति छुहउ पिर देखन की आस ॥91॥

92

कागा चूंडि न पिंजरा बसै त उडरि जाहि ॥
जितु पिंजरै मेरा सहु वसै मासु न तिदू खाहि ॥92॥

93

फरीदा गोर निमाणी सडु करे निघरिआ घरि आउ ॥
सरपर मैथै आवणा मरणहु ना डरिआहु ॥93॥

94

एनी लोइणी देखदिआ केती चलि गई ॥
फरीदा लोकां आपो आपणी मै आपणी पई ॥94॥

95

आपु सवारहि मै मिलहि मै मिलिआ सुखु होइ ॥
फरीदा जे तू मेरा होइ रहहि सभु जगु तेरा होइ ॥95॥

96

कंधी उतै रुखड़ा किचरकु बंनै धीरु ॥
फरीदा कचै भांडै रखीऐ किचरु ताई नीरु ॥96॥

97

फरीदा महल निसखण रहि गए वासा आइआ तलि ॥
गोरां से निमाणीआ बहसनि रूहां मलि ॥
आखीं सेखा बंदगी चलणु अजु कि कलि ॥97॥

98

फरीदा मउतै दा बंना एवै दिसै जिउ दरीआवै ढाहा ॥
अगै दोजकु तपिआ सुणीऐ हूल पवै काहाहा ॥
इकना नो सभ सोझी आई इकि फिरदे वेपरवाहा ॥
अमल जि कीतिआ दुनी विचि से दरगह ओगाहा ॥98॥

99

फरीदा दरीआवै कंन्है बगुला बैठा केल करे ॥
केल करेदे हंझ नो अचिंते बाज पए ॥
बाज पए तिसु रब दे केलां विसरीआं ॥
जो मनि चिति न चेते सनि सो गाली रब कीआं ॥99॥

100

साढे त्रै मण देहुरी चलै पाणी अंनि ॥
आइओ बंदा दुनी विचि वति आसूणी बंन्हि ॥
मलकल मउत जां आवसी सभ दरवाजे भंनि ॥
तिन्हा पिआरिआ भाईआं अगै दिता बंन्हि ॥
वेखहु बंदा चलिआ चहु जणिआ दै कंन्हि ॥
फरीदा अमल जि कीते दुनी विचि दरगह आए कमि ॥100॥

101

फरीदा हउ बलिहारी तिन्ह पंखीआ जंगलि जिंन्हा वासु ॥
ककरु चुगनि थलि वसनि रब न छोडनि पासु ॥101॥

102

फरीदा रुति फिरी वणु क्मबिआ पत झड़े झड़ि पाहि ॥
चारे कुंडा ढूंढीआं रहणु किथाऊ नाहि ॥102॥

103

फरीदा पाड़ि पटोला धज करी क्मबलड़ी पहिरेउ ॥
जिन्ही वेसी सहु मिलै सेई वेस करेउ ॥103॥

104
मः 3

काइ पटोला पाड़ती क्मबलड़ी पहिरेइ ॥
नानक घर ही बैठिआ सहु मिलै जे नीअति रासि करेइ ॥104॥

105
मः 5

फरीदा गरबु जिन्हा वडिआईआ धनि जोबनि आगाह ॥
खाली चले धणी सिउ टिबे जिउ मीहाहु ॥105॥

106

फरीदा तिना मुख डरावणे जिना विसारिओनु नाउ ॥
ऐथै दुख घणेरिआ अगै ठउर न ठाउ ॥106॥

107

फरीदा पिछल राति न जागिओहि जीवदड़ो मुइओहि ॥
जे तै रबु विसारिआ त रबि न विसरिओहि ॥107॥

108
मः5

फरीदा कंतु रंगावला वडा वेमुहताजु ॥
अलह सेती रतिआ एहु सचावां साजु ॥108॥

109
मः5

फरीदा दुखु सुखु इकु करि दिल ते लाहि विकारु ॥
अलह भावै सो भला तां लभी दरबारु ॥109॥

110
मः5

फरीदा दुनी वजाई वजदी तूं भी वजहि नालि ॥
सोई जीउ न वजदा जिसु अलहु करदा सार ॥110॥

111
मः5

फरीदा दिलु रता इसु दुनी सिउ दुनी न कितै कमि ॥
मिसल फकीरां गाखड़ी सु पाईऐ पूर करमि ॥111॥

112

पहिलै पहरै फुलड़ा फलु भी पछा राति ॥
जो जागंन्हि लहंनि से साई कंनो दाति ॥112॥

113

दाती साहिब संदीआ किआ चलै तिसु नालि ॥
इकि जागंदे ना लहन्हि इकन्हा सुतिआ देइ उठालि ॥113॥

114

ढूढेदीए सुहाग कू तउ तनि काई कोर ॥
जिन्हा नाउ सुहागणी तिन्हा झाक न होर ॥114॥

115

सबर मंझ कमाण ए सबरु का नीहणो ॥
सबर संदा बाणु खालकु खता न करी ॥115॥

116

सबर अंदरि साबरी तनु एवै जालेन्हि ॥
होनि नजीकि खुदाइ दै भेतु न किसै देनि ॥116॥

117

सबरु एहु सुआउ जे तूं बंदा दिड़ु करहि ॥
वधि थीवहि दरीआउ टुटि न थीवहि वाहड़ा ॥117॥

118

फरीदा दरवेसी गाखड़ी चोपड़ी परीति ॥
इकनि किनै चालीऐ दरवेसावी रीति ॥118॥

119

तनु तपै तनूर जिउ बालणु हड बलंन्हि ॥
पैरी थकां सिरि जुलां जे मूं पिरी मिलंन्हि ॥119॥

120
(मः 1)

तनु न तपाइ तनूर जिउ बालणु हड न बालि ॥
सिरि पैरी किआ फेड़िआ अंदरि पिरी निहालि ॥120।

121
(मः 4)

हउ ढूढेदी सजणा सजणु मैडे नालि ॥
नानक अलखु न लखीऐ गुरमुखि देइ दिखालि ॥121॥

122
(मः3)

हंसा देखि तरंदिआ बगा आइआ चाउ ॥
डुबि मुए बग बपुड़े सिरु तलि उपरि पाउ ॥122॥

123
(मः3)

मै जाणिआ वड हंसु है तां मै कीता संगु ॥
जे जाणा बगु बपुड़ा जनमि न भेड़ी अंगु ॥123॥

124
(मः1)

किआ हंसु किआ बगुला जा कउ नदरि धरे ॥
जे तिसु भावै नानका कागहु हंसु करे ॥124॥

125

सरवर पंखी हेकड़ो फाहीवाल पचास ॥
इहु तनु लहरी गडु थिआ सचे तेरी आस ॥125॥

126

कवणु सु अखरु कवणु गुणु कवणु सु मणीआ मंतु ॥
कवणु सु वेसो हउ करी जितु वसि आवै कंतु ॥126॥

127

निवणु सु अखरु खवणु गुणु जिहबा मणीआ मंतु ॥
ए त्रै भैणे वेस करि तां वसि आवी कंतु ॥127॥

128

मति होदी होइ इआणा ॥
ताण होदे होइ निताणा ॥
अणहोदे आपु वंडाए ॥
को ऐसा भगतु सदाए ॥128॥

129

इकु फिका न गालाइ सभना मै सचा धणी ॥
हिआउ न कैही ठाहि माणक सभ अमोलवे ॥129॥

130

सभना मन माणिक ठाहणु मूलि मचांगवा ॥
जे तउ पिरीआ दी सिक हिआउ न ठाहे कही दा ॥130॥

नोट= श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज 130 सलोकों में से 18
सलोक सिक्ख गुरू साहिबान के हैं। इनमें से 4(32,113,
120,124) गुरू नानक देव जी के, 5(13,52,104,122,
123) गुरू अमर दास जी के, 1(121) गुरू राम दास जी का,
8(75,82,83,105,108 से 111) गुरू अर्जुन देव जी के हैं।

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