Prof. Mohan Singh
प्रोफ़ैसर मोहन सिंह

प्रोफ़ैसर मोहन सिंह (२० अक्तूबर १९०५ -३ मई १९७८) का जन्म मरदान (पाकिस्तान) में और देहांत लुधियाना में हुआ। उन्होंने फ़ारसी की एम. ए. करने के बाद खालसा कालेज, अमृतसर में बतौर लेक्चरर अध्यापन का काम किया । १੯७० से १੯७४ तक वह पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना में रहे । वह आधुनिक पंजाबी कविता के सिरमौर कवियों की अगली कतार में से हैं। उन्होंने पंजाबी जीवन के हर एक पक्ष पर कविता लिखी। उन की कवितायों के चरित्र आपको पंजाब में हर जगह मिल जाएंगे। उन की कविता का संदेश सादा और स्पष्ट होता है। उन के काव्य संग्रह हैं: सावे पत्र, कसुंभड़ा, अधवाटे, कच्च सच्च, आवाज़ां, वड्डा वेला, जन्दरे, जै मीर, बूहे और नानकायण (महाकाव्य)। उन्होंने कुछ रचनायों का अनुवाद भी किया और कुछ कहानियाँ भी लिखीं।

प्रोफ़ैसर मोहन सिंह की रचनाएँ