हिन्दी लोक गीत कजरी/कजली
Hindi Lok Geet Kajri/Kajli

1. देखो सावन में हिंडोला झूलैं

देखो सावन में हिंडोला झूलैं मन्दिर में गोपाल।
राधा जी तहाँ पास बिराजैं ठाड़ी बृज की बाल।।

सोना रूपा बना हिंडोला, पलना लाल निहार।
जंगाली रंग, सजा हिंडोला, हरियाली गुलज़ार।।

भीड़ भई है भारी, दौड़े आवैं, नर और नार।
सीस महल का अजब हिंडोला, शोभा का नहीं पार ।।

फूल काँच मेहराब जु लागी पत्तन बांधी डार।
रसिक किशोरी कहै सब दरसन करते ख़ूब बहार।।

2. छैला छाय रहे मधुबन में

छैला छाय रहे मधुबन में सावन सुरत बिसारे मोर।
मोर शोर बरजोर मचावै, देखि घटा घनघोर।।

कोकिल शुक सारिका पपीहा, दादुर धुनि चहुंओर।
झूलत ललिता लता तरु पर, पवन चलत झकझोर।।

ताखि निकुंज सुनो सुधि आवै श्याम संवलिया तोर।
विरह विकल बलदेव रैन दिन बिनु चितये चितचोर।।

3. आई सावन की बहार

छाई घटा घनघोर बन में, बोलन लागे मोर।
रिमझिम पनियां बरसै जोर मोरे प्यारे बलमू।।

धानी चद्दर सिंआव, सारी सबज रंगाव।
वामें गोटवा टकाव, मोरे बारे बलमू।।

मैं तो जइहों कुंजधाम, सुनो कजरी ललाम।
जहाँ झूले राधे-श्याम, मोरे बारे बलमू।।

बलदेव क्यों उदास पुनि अइहौ तोरे पास।
मानो मोरा विसवास, मोरे बारे बलमू।।

4. हरि संग डारि-डारि गलबहियाँ

हरि संग डारि-डारि गल बहियाँ झूलत बरसाने की नारि।
प्रेमानन्द मगन मतवारी सुधि बुधि सकल बिसारि।।

करि आलिंग प्रेमरस भीजत अंचल अलक उघारि।
टूटे बोल हिंडोल उठावति रुकि-रुकि अंग संवारि।।

श्रीधर ललित जुगल छबि ऊपर डारत तन-मन वारि।
हरि संग डाल-डाल गलबहियाँ, झूलत बरसाने की नारि।।

5. हरि बिन जियरा मोरा तरसे

हरि बिन जियरा मोरा तरसे, सावन बरसै घना घोर।

रूम झूम नभ बादर आए, चहुँ दिसी बोले मोर।
रैन अंधेरी रिमझिम बरसै, डरपै जियरा मोर।।

बैठ रैन बिहाय सोच में, तड़प तड़प हो भोर।
पावस बीत्यौ जात, श्याम अब आओ भवन बहोर।।

आओ श्याम उर सोच मिटाऔ, लागौं पैयां तोर।
हरिजन हरिहिं मनाय 'हरिचन्द' विनय करत कर जोर।।

6. झूला झूलन हम लागी हो रामा

झूला झूलन हम लागी हो रामा, मिल गए साजनवा।

आज तलक हम किन्हीं न बतियाँ, साजन देखे घर की छतियाँ,
नैना से नैना मिलाए न रामा, मिल गए साजनवा।

एक सखि मोरे ढिंग आई, आँख दिखा मोहे बात सुनाई
ऎसी क्यूं रूठी साजन से, फिर गए साजनवा।

मैं बोली सखि लाज की मारी, गोरी हँसती दे-दे तारी,
कैसी करूँ अब जतन बताय सखि, मिल जायें साजनवा।

7. अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी

अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी

बरसत सावन तरसत बीता, कजरी के आइन बहार । छोटी ननदी०।।
सब सखि झूला झूलन सावन मां गावत कजरी मलार । छोटी ननदी०।।
पी-पी रटत पपीहा नाचत, मोर किए किलकार । छोटी ननदी०।।
प्रिया प्रेमघन बिन एको छन लागैना जियरा हमार । छोटी ननदी०।।

8. तरसत जियरा हमार नैहर में

तरसत जियरा हमार नैहर में ।
बाबा हठ कीनॊ, गवनवा न दीनो
बीत गइली बरखा बहार नैहर में ।

फट गई चुन्दरी, मसक गई अंगिया
टूट गइल मोतिया के हार, नैहर में ।

कहत छ्बीले पिया घर नाही
नाही भावत जिया सिंगार, नैहर में ।