Hansraj Rahbar
हंसराज रहबर
हंसराज रहबर (1913-23 जुलाई 1994) हिन्दी और उर्दू के महत्त्वपूर्ण लेखक, कवि और आलोचक थे ।
उनका जन्म हरिआऊ संगवां (पूर्व रियासत पटियाला) ज़िला सुनाम में हुआ।
आर्य हाई स्कूल, लुधियाना से मैट्रिक करने के
बाद डी.ए.वी. कालेज, लाहौर से बी.ए. का इम्तिहान पास किया। देश के विभाजन के
बाद प्राईवेट तौर पर इतिहास में ऐम.ए. की डिगरी प्राप्त की। स्कूल में पढ़ते हुए उनको
उर्दू में शेयर कहने का शौक जागा। तब वह अर्श मलसियानी के शागिर्द बन
गए । वह १੯४२ में हिंदी रोज़ाना 'मिलाप ' के संपादकीय मंडल में
शामिल हो गए, परन्तु कुछ महीनों बाद गिरफ़्तारी के कारन यह सिलसिला टूट गया।
वह साहित्य के साथ-साथ राजनीति में भी गहरी रुचि लेने लगे और कई बार
जेल गए। उनके बीस उपन्यास, दस कहानी-संग्रह और समीक्षा व आलोचना की सत्रह पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
उनकी मुख्य कृतियाँ हैं; कहानी संग्रह: नव क्षितिज, हम लोग, झूठ की मुस्कान, वर्षगाँठ;
उपन्यास : हाथ में हाथ, दिशाहीन, उन्माद, बिना रीढ़ का आदमी, पंखहीन तितली, बोले सो निहाल;
आलोचना : प्रेमचंद : जीवन, कला और कृतित्व, प्रगतिवाद : पुनर्मूल्यांकन, गालिब बेनकाब, गालिब हकीकत के आईने में, इकबाल और उनकी शायरी
अन्य : गांधी बेनकाब, नेहरू बेनकाब, भगत सिंह एक ज्वलंत इतिहास, योद्धा संन्यासी विवेकानंद, राष्ट्र नायक गुरु गोविंद
अनुवाद : तुर्गनेव, बालजाक, लू शुन, हाली, जोश मलीहाबादी, इकबाल तथा कई अन्य प्रमुख लेखकों की रचनाओं का अनुवाद ।
उनकी रचना एहसास (ग़ज़लों और नज़्मों का संग्रह) २००४ में प्रकाशित हुई ।

Hansraj Rahbar Hindi Poetry/Shayari