ग़ज़लें साहिर लुधियानवी हिंदी कविता
Ghazals in Hindi Sahir Ludhianvi

  • अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
  • अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है
  • अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
  • अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
  • अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
  • इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें
  • इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के
  • कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
  • क्या जानें तिरी उम्मत किस हाल को पहुँचेगी
  • ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ां न कर सके
  • गुलशन गुलशन फूल
  • गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़
  • चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
  • जब कभी उन की तवज्जोह में कमी पाई गई
  • जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
  • जो लुत्फ़-ए-मय-कशी है निगारों में आएगा
  • तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री
  • तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
  • तिरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ
  • तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो
  • तोड़ लेंगे हर इक शय से रिश्ता तोड़ देने की नौबत तो आए
  • दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
  • देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
  • देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
  • न तो ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
  • नफ़स के लोच में रम ही नहीं कुछ और भी है
  • पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
  • पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने
  • फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा
  • बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
  • बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले
  • बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों मोहब्बतों के दिए जला के
  • भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागर से हम
  • भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है
  • मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
  • मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा
  • मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
  • मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए
  • मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
  • ये ज़मीं किस क़दर सजाई गई
  • ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
  • ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ बुला रही हैं तुम्हें
  • लब पे पाबंदी तो है एहसास पर पहरा तो है
  • शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
  • सज़ा का हाल सुनाएँ जज़ा की बात करें
  • सदियों से इंसान ये सुनता आया है
  • संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
  • संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे
  • हवस-नसीब नज़र को कहीं क़रार नहीं
  • हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है
  • हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूस
  • हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें