ग़ज़लें गुलज़ार

Ghazals Gulzar

  • आँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ
  • एक परवाज़ दिखाई दी है
  • एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
  • ऐसा ख़ामोश तो मंज़र न फ़ना का होता
  • ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर
  • कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
  • काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
  • कोई अटका हुआ है पल शायद
  • कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
  • खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
  • ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
  • गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से
  • गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं
  • जब भी आँखों में अश्क भर आए
  • जब भी ये दिल उदास होता है
  • ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें
  • ज़िक्र होता है जहाँ भी मिरे अफ़्साने का
  • ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
  • तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
  • तुझ को देखा है जो दरिया ने इधर आते हुए
  • दर्द हल्का है साँस भारी है
  • दिखाई देते हैं धुँद में जैसे साए कोई
  • दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
  • पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं
  • फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की
  • फूलों की तरह लब खोल कभी
  • बीते रिश्ते तलाश करती है
  • बे-सबब मुस्कुरा रहा है चाँद
  • मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
  • रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
  • वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था
  • शाम से आज साँस भारी है
  • शाम से आँख में नमी सी है
  • सब्र हर बार इख़्तियार किया
  • सहमा सहमा डरा सा रहता है
  • हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
  • हर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए
  • हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
  • हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते