Acharya Sanjeev Salil
आचार्य संजीव सलिल
कलम के धनी कायस्थ परिवार में कवयित्री स्व. श्रीमती शान्ति देवी तथा लेखक स्व. श्री
राज बहादुर वर्मा, सेवानिवृत्त जेल अधीक्षक के ज्येष्ठ पुत्र आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। आपने नागरिक अभियंत्रण में
त्रिवर्षीय डिप्लोमा, बी.ई., एम.आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ए, एल-एल. बी., विशारद, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में
डिप्लोमा किया है। साहित्य सेवा की आपको अपनी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा तथा माँ स्व. शांति देवी से विरासत में मिली है। आपकी रचनाओं में कलम के देव,
लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, 'भूकंप के साथ जीना सीखें, निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नाम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:,
यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी शामिल हैं।
आचार्य संजीव सलिल की प्रसिद्ध कविताएँ