हिन्दी शायरी : पूजा चक्रवर्ती

Hindi Shayari : Pooja Chakravarti


भाग - 1

1 रात की नब्ज़ ज़रा थमी सी है आज आँख में थोड़ी ज़्यादा नमी सी है, ऐ शख़्स तू आकर इसे भर दे ज़रा कमरे में मेरे आज एक कमी सी है... 2 उसके ऐतबार से अब इंकार नहीं किया जा सकता कि उसके काँपते लबों से, मेरी सिसकती साँसों की बात हुई है... 3 एक बलवान है जो अपने ही बल से लड़ रहा अतीत के पन्ने पलट, अपने ही कल से लड़ रहा लाखों की भीड़ में, दिल उसका अकेला खड़ा है उसके दुःख से ज़्यादा, उसका प्यार बड़ा है 4 माना अंजाम ख़ूबसूरत न रहा इस सफ़र का, मगर उनकी "नहीं नहीं अभी नहीं" के दीवाने थे हम... 5 लड़ते बहुत हो तुम अंदर ही अंदर वो आते तो ये कहते, वो आते तो वो कहते, सब फ़िज़ूल है जनाब जब वो आते तो तुम कभी कुछ नहीं कहते 6 ख़ुदा, कोई उनको भी उनके जैसा मिले, हमारा मुद्दा अब सिर्फ़ इंतक़ाम से है... 7 शौक़ीन हम भी बहुत-सी चीज़ों के थे, एक शौक़ था जो हमें नीरस कर गया... 8 मोहब्बत की कुछ आख़िरी सीढ़ी, मुझे लगता है मैं चढ़ न पाऊँगा नहीं, इश्क़ तो मेरा साथ है मेरे, मेरी उम्र ने मुझसे बेवफ़ाई की है... 9 कैसा हो अगर तेरे एहसासों को, मेरी ख़्वाहिशों की तरफ़ मोड़ दिया जाए, मानो जैसे काग़ज़ के फूलों को, ख़ुशबू से जोड़ दिया जाए.... 10 एक समझदार रिझाया, एक को बेमन अपनाया एक से प्यार बहुत लिया, तो एक का विश्वास बहुत पाया हमने उस एक शख़्स को भुलाने में साहब, लगभग सारा ज़माना आज़माया... 11 एक बार फिर मुझे प्यार में हराया जा रहा है, मेरा इतिहास बेदर्दी से दोहराया जा रहा है... 12 इश्क़ मोहब्बत से मैं वाक़िफ़ नहीं, पर अभी इस पल में लगता है मैं तुम्हारे लिए मर भी सकती हूँ... 13 उम्र आधी गुज़र गई उनके क़दमों को निहारते हुए, ना सोचा था उनसे नज़रें मिलेंगी, तो तबाह हो जाएँगे 14 मैं इश्क़ में हार जाती हूँ तो माहौल ऐसा है, जिस दिन हम दोनों जीतेंगे माहौल ही कुछ और होगा। 15 कोई पूछे मुझसे, मुझे तुम्हारे साथ कैसा लगता है, दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत इंसान के साथ हूँ ऐसा लगता है। 16 तुम्हें कुछ देर और रोकने की साज़िश में हूँ, क्या तुम मेरी साज़िश के शिकार बनोगे... 17 बहुत क़रीब आ गए हो तुम, बहुत दूर जाने का इरादा है कहकर… 18 मेरे मन, मैं ऐसा क्या कह दूँ उनसे, कि लगे दिल की हर बात कह दी उनसे... 19 उन आँखों में खोने की सज़ा भी सुन ऐ शख़्स, दिल भी गिरवी रहेगा और रिहाई भी न मिलेगी... 20 इतनी खाली थी मैं अंदर से, मानो कुछ दिनों तो वो शख़्स रहा मुझमें... 21 मैंने तकल्लुफ़ ही नहीं की ढूँढ़ने की, वो मुझमें ही खोया रहा उम्र भर.... 22 कितनी खिड़कियाँ गवाह बनी मेरे इंतज़ार की, तुमने लौट आने में इस बार बहुत देर की है 23 हमारे बिस्तर की सिलवटों का मैंने इस क़दर ख़्याल रखा, कि हवाओं को हर बार अंदर आने की इजाज़त माँगनी पड़ी... 24 अजीब सा एहसास है उसका, वो जुदा होकर भी आस-पास लगता है, मैं चाहती हूँ, जुदा है वो तो जुदा ही लगे 25 ना जाने उसने सुना भी होगा के नहीं, जज़्बातों की ज़ुबान से मैं सब कहा था 26 मुलाक़ातें बहुत की मैंने उनसे, जिनसे आख़िर में मुझे बिछड़ जाना था 27 अपने जज़्बातों से उसकी तस्वीर आँक रही हूँ, कि मेरे अलावा, मेरे बाद कोई उसे देख न सके। 28 मेरी खुली आँखों की चाहत हो तुम, बंद आँखों का ख़्वाब नहीं जो बिखर जाओ... 29 उनकी मोहब्बत भरी निगाहें जब भी हम पर पड़ें, हमारा शर्म से पलकें झुका लेना ज़रूरी है... 30 मैं जिस पल सोच लूँ तेरे बारे में बहुत, दुनिया मुझे बहुत ख़ुश और रंगीन नज़र आती है 31 जो मुझमें-तुझमें अभी तक बाक़ी है कहीं इश्क़ इसी का नाम तो नहीं?.... 32 क्या दुख है इस जलधारा को बता भी नहीं सकती, ज़रा आराम फ़रमा सके, किनारे आ भी नहीं सकती... 33 चारों तरफ़ काग़ज़ उजड़े-मुचड़े पड़े हैं, समझ नहीं आता जो दिल में तुझे लिखूँ कैसे?... 34 चाय की कटिंग-चुस्की का भी अपना मज़ा है, क्या जाने, शराबख़ाने में शाम बिताने वाले ... 35 वो जहाँ जाएगा, रोशनी बाँटेगा, कि चिराग़ों का कोई मकान नहीं होता...

भाग - 2

1. रात उसकी बाहों में गुज़री तो जाना, जैसे कभी सोई ही नहीं थी आँखें… 2. मैं जानती हूँ एक छलावा है तू, तुझसे ख़ास मेरा राब्ता भी नहीं, फिर न जाने क्यों, मुझे छूने के सारे हक़ तुझे अदा हैं, मेरे मन की ये दग़ाबाज़ी मेरी समझ से परे है… 3. ये सारी क़ानूनी धाराओं से परे एक धारा होनी चाहिए, जिनसे हम प्यार करें, वो हमारा होना चाहिए… 4. वक़्त को थोड़ी रिश्वत देकर ठहर जाने को कहा है हमने, कि आज उसने सालों बाद मिलने की बात कही है… 5. दो चीज़ें मुझे आज भी उससे जोड़े रखती हैं , एक उसके लिए ख़रीदा मेरा पहला तोहफ़ा जो कभी दिया न जा सका और कुछ आँसू, जो बहते हुए उसे बताएँगे कि उसने लौट आने में कितनी देरी की है… 6. ज़रा सा अकेले बैठते हैं तो दर्द उठता है, ज़रा सा दर्द उठता है तो अकेले बैठ जाते हैं… 7. फ़र्क़ बहुत था हम दोनों की मोहब्बत में, वो मेरी ख़्वाहिश था, मैं उसकी फरमाइश… 8. तुझे चाहने का इल्ज़ाम लगाया है दिल ने, कशमकश में हूँ — गुनाह क़बूल करूँ या इंकार… 9. हम इश्क़ करते रहे इबादत की तरह, ना पूछा, कि वो ख़ुदा है भी या नहीं… 10. हाँ, ये सच है कि ‘ना’ कहकर मैंने कुछ नहीं पाया, पर ये भी सच है कि अगर हाँ, कह देती तो कुछ खो जाता… 11. जैसे मुद्दतों से जुदाई के इंतज़ार में हो, मेरी नाराज़गी से वो शख़्स ऐसा ख़ुश नज़र आता है… 12. कभी सोचती हूँ, है कोई पैमाना, जिसमें ख़ुद को उतारकर उसे बता पाऊँ, इतनी मोहब्बत है तुमसे… 13. देखा है मैंने अक्सर विश्वास के पुल के नीचे प्रेम की नदियाँ बहते हुए, तारीफ़ों की झाड़ पर मैंने स्वार्थ के फूल लगते देखा है… 14. मैं अल्हड़, शतरंज की रानी, उसके ढाई क़दम पर मर गई… 15. वो बोले, “जानता हूँ तुम जैसे लोगों को” उसने मुझे रूह से नहीं देखा, मैं मोम थी, पत्थर नहीं, उसने मुझे छू कर नहीं देखा… 16. तेरे नाम से कुछ तारे मैंने भी आसमान पर सजाए हैं, जिनमें से दो तारे बहुत चमकते हैं — एक तेरे प्यार का, दूसरा मेरे इंतज़ार का… 17. नहीं, मत गुज़रा करो मेरे आस-पास से भी तुम, मेरे दिल में एहसासों का तूफ़ान नहीं संभलता… 18. तेरी पनाह में गर्मी बहुत थी, तेरे जाने से ज़िंदगी ठिठुरने लगी है… 19. वो बिखरी ज़ुल्फ़ें मेरी सँवार देता है, पर मोहब्बत है कह दूँ इसे तो नकार देता है… 20. तुम्हें देखना, तुमसे मिलना, तुम्हें सुनना काफ़ी था मेरे लिए, पर तुमने जो ख़्वाबों में आकर किया — बवाल मच गया… 21. उसकी रुसवाई से लेकर जुदाई तक, कसूर सारा बंदिशों का था, बंधन का नहीं… 22. वो अपना होकर भी कोई और लगता है, जो धड़कन हुआ करते थे कभी दिल की, आज उनका बस धड़कना भी दिल को शोर लगता है… 23. आईना हो अगर मेरा तुम, बराबर की वफ़ा दिखाओ ना, तुम्हारे दर्द से मैं तड़पूँ तो, मरहम मुझे भी लगाने आओ ना… 24. सिर्फ़ तुम ही तो नहीं हो पास मेरे, बाक़ी — इश्क़, प्यार, लाज़मी इज़हार, तेज़ धड़कनें, दिल बेकरार, यादें बेशुमार, आस बरक़रार, निशानियाँ भरमार, और लंबा इंतज़ार… 25. सिर्फ़ सुनने को ही नहीं, कहने को भी बेताब हूँ, वो लफ़्ज़ जो सालों से ज़ुबान पर हैं, पर ज़ुबान पर नहीं… 26. हमने हाथ नहीं थामा किसी का, इस आस में कि तुम लौट आओ कभी… 27. सातों पहर दिन के अच्छे से बिता लेती हूँ, नहीं कटता ये रात का आठवाँ पहर, ऐसा नहीं कि रहा नहीं जाता तुम बिन, माने जैसे मैं रहना नहीं चाहती तुम बिन… 28. ना जाने किसकी वफ़ा का क़र्ज़ लिए हुए हूँ, जवानी घिस रही है किश्तें चुकाते-चुकाते… 29. ग़ज़ब तो ये भी हुआ, साहब, मैं मीलों दूर चला आया, काँटे, पत्थर, ठोकर, साहब, वो कोहिनूर दोबारा नहीं पाया… 30. अज़ीज़ तो इतना रखा हमने उन्हें कि घाव में जड़ी-बूटी का काम दे, अब दवा ही दर्द हो जाए, साहब, तो कहिए किस बीमारी का नाम लें… 31. नहीं पता मुझे तुम्हारी छुअन कैसी है, पर हर वक़्त, तुम्हें आस-पास महसूस करती हूँ — क्या ये मुमकिन है… 32. एक मरम्मत मेरी क़िस्मत की भी हो, ख़ुदा क़सम बहुत ख़राब चलती है… 33. तुम तो क़यामत तक साथ देने वाले थे, अब बीच में छोड़ कर क़यामत ढा रहे हो… 34. वैसे तो मैं तुम्हें रोकना नहीं चाहती थी, पर तुम पलटते, तो मैं ठहर जाती… 35. ये शहर अब धोखेबाज़ों से घिर गया है, एक शख़्स यहाँ अपने हिस्से की वफ़ा खा गया… 36. ना तुमसे ज़्यादा, ना कम चाहिए था, जिसे मेरी ख़ामियों तक से हो प्यार, मुझे ऐसा हमदम चाहिए था… 37. जहाँ से शुरू किया था, आज वहीं आकर खड़ी हूँ, बे-शक़ हार गई हूँ क़िस्मत से, पर तुम्हारे लिए बहुत लड़ी हूँ… 38. मुझे प्यार हो गया है, एक बार फिर से, वो मेरा नहीं हो सकता — एक बार फिर से… 39. नहीं, ऐसा नहीं कि मुझे परेशानी है तुमसे, लेकिन तुम्हारे पास आने से मुझमें मुझ-सा कुछ नहीं रहता… 40. मेरी अधूरी मोहब्बत में, क़सूर सिर्फ़ क़िस्मत का ही नहीं, कुछ मेरे उसूल भी थे, जो ख़ुदगर्ज़ नहीं होने देते… 41. वक़्त ने वक़्त दिया, बहुत क़रीब से उसे अलविदा कहने को… 42. वो अपना होकर भी कोई और लगता है, उसके साथ दो पल बिताना भी ज़ोर लगता है, जो धड़कन हुआ करते थे कभी दिल की, आज उसका धड़कना भी दिल को शोर लगता है… 43. कोई रोज़ मिले तुमसे, सुख-दुख बाँटे दिल से, फिर भी वो तुम्हारा हमदम नहीं होता, किसी को तुमसे प्यार न हुआ हो, इससे तुम्हारा प्यार कम नहीं होता… 44. हवा ज़रा-सी तूफ़ानी क्या हुई, वो किनारे से मुँह मोड़ गया, इस दिल के गहरे समुंदर में एक शख़्स अपनी कश्ती छोड़ गया… 45. धूल-सी जम जाती है तेरी यादों की मेरे मन पर, कितना भी साफ़ कर लूँ, रह ही जाती है किसी कोने में… 46. भीड़ से दूर जाकर देखा, वादियों से दिल लगाकर देखा, मगर जो सुकून तेरी मौजूदगी से है, वो और कहीं नहीं… 47. नमकीन — हाँ, नमकीन-सी थी तुम, नहीं, हसीन — हाँ, हसीन-सी थी तुम, या फिर थोड़ी ग़मगीन कभी-कभी, पता नहीं — तुम्हें ये दिल निहारता था मेरा, तोलना तो दिमाग़ी तकल्लुफ़ है…

  • मुख्य पृष्ठ : पूजा चक्रवर्ती - काव्य रचनाएँ
  • मुख्य पृष्ठ : हिन्दी कविता वेबसाइट (hindi-kavita.com)