हिंदी कविता : योगेश छिब्बर ‘आनन्द’
Hindi Poetry : Yogesh Chhibber Anand



अम्मा

लेती नहीं दवाई अम्मा, जोड़े पाई-पाई अम्मा । दुःख थे पर्वत, राई अम्मा हारी नहीं लड़ाई अम्मा । इस दुनियां में सब मैले हैं किस दुनियां से आई अम्मा । दुनिया के सब रिश्ते ठंडे गरमागरम रजाई अम्मा । जब भी कोई रिश्ता उधड़े करती है तुरपाई अम्मा । बाबू जी तनख़ा लाये बस लेकिन बरक़त लाई अम्मा । बाबूजी थे छड़ी बेंत की माखन और मलाई अम्मा । बाबूजी के पाँव दबा कर सब तीरथ हो आई अम्मा । नाम सभी हैं गुड़ से मीठे माँ जी, मैया, माई, अम्मा । सभी साड़ियाँ छीज गई थीं मगर नहीं कह पाई अम्मा । अम्मा में से थोड़ी - थोड़ी सबने रोज़ चुराई अम्मा । घर में चूल्हे मत बाँटो रे देती रही दुहाई अम्मा । बाबूजी बीमार पड़े जब साथ-साथ मुरझाई अम्मा । लड़ते-लड़ते, सहते-सहते, रह गई एक तिहाई अम्मा । बेटी की ससुराल रहे खुश सब ज़ेवर दे आई अम्मा । अम्मा से घर, घर लगता है घर में घुली, समाई अम्मा । बेटे की कुर्सी है ऊँची, पर उसकी ऊँचाई अम्मा । दर्द बड़ा हो या छोटा हो याद हमेशा आई अम्मा। घर के शगुन सभी अम्मा से, है घर की शहनाई अम्मा । सभी पराये हो जाते हैं, होती नहीं पराई अम्मा ।

दोहे

बैठी आंगन प्रेम के, लेकर मन का सूप थोथा जगत् उड़ा दिया, बचा पिया का रूप पिया तुम्हारा रूप है, कैसा साहूकार नैना गिरवी रख लिये, दरस दिया इक बार एक पहर ठहरी सखी, कान्हा जी के ठौर पहुँची कोई और थी, लौटी कोई और इक गोपी लड़ती फिरे, माखन लिया चुराय दूजी बैठी रो रही, छिना न माखन, हाय मटकी फूटे से मिले, मुझको जो सुख श्याम उस सुख से मैं पा गई, सौ मटकी का दाम एक पहर ठहरी सखी कान्हाजी के ठौर आयी कोई और थी, लौटी कोई और

चिड़िया बम नहीं बनाएगी

चिड़िया को भी खतरा है लंबे डैनों वाले बाज से उसके बच्चों को खतरा है भूखे काले नाग से उनका घोंसला डरता है शैतान लड़कों के हाथ से मगर चिड़िया बम नहीं बनाएगी चिड़िया के भी दुश्मन हैं मगर वह बम नहीं बनाती चिड़िया की किसी पीढ़ी में बुद्ध ने जन्म नहीं लिया चिड़िया के संसार में कोई ईसा नहीं हुआ फिर भी इतने दुश्मनों और इतने खतरों के बीच चिड़िया ऐसे जीती है जैसे उसे समझ आ गए हों बुद्ध और ईसा कल बच्चे हैरान होंगे सोचेंगे यह चिड़िया सुरक्षित कैसे है बम के बिना जिये जाती है उड़ती है गाती है बार-बार घोंसला बनाती है जिसमें न कोई चारदीवारी है न काँटेदार तारें न कोई लाठी वाला चैकीदार जिन्दा रहने की तमीज नहीं चिड़िया को कुछ बच्चे सोचेंगे चिड़िया 'एब्नॉर्मल' होती है दुश्मनों के होते हुए बम की नहीं सोचती मगर चिड़िया नहीं सोचेगी वह बम नहीं सोचेगी वह युद्ध नहीं सोचेगी चिड़िया आदमी नहीं है।

तितली

तितली जब भी उड़ेगी किसी फूल की तरफ उड़ेगी तितली जब भी उतरेगी किसी फूल पर उतरेगी तितली जब भी नष्ट होगी कहीं फूलों के बीच नष्ट होगी उसे जीना आता है उसे मरना आता है।

क्षणिकाएँ

1. सुख यह नहीं कि जीवन में तुम भी हो सुख यह है कि जीवन में तुम ही हो। 2. न उतने हो न इतने हो तुम अपनी प्यास जितने हो। 3. लो, तुम्हारे भीतर रखता हूँ खरे विचार की चिनगारी अब आग जले तुम्हारी जिम्मेदारी।

टप्पे

1. ये मेरी अर्ज़ी है, मैं वो बन जाऊँ जो तेरी मर्ज़ी है। 2. सारा जग सौदाई, तुमको देखा तो, ये बात समझ आई।