हिन्दी कविताएँ : प्रेम ठक्कर

Hindi Poetry : Prem Thakker


करवा चौथ

सुनो दिकु... अपना सर्वस्व मैने तुम्हें सौंप दिया है तुम्हारे लिए मैने करवा चौथ व्रत किया है तुम व्रत करती हो पूरा दिन निर्जला कैसे खाने के लिए इच्छा करेगा मेरा मन भला कहते हैं स्त्रीयाँ यह व्रत अपने पति के लिए रखती हैं उनकी लंबी आयु की मंगल कामना करती हैं तो क्या ईश्वर ने भूख प्यास से काम करने का अधिकार सिर्फ महिलाओं को दिया है मुझे यह गवारा नहीं इसलिये यह व्रत मैने अपने प्रेम के लिए किया है जिस तरह तुम सब की चिंता में रहती हो वैसे मुझे सिर्फ तुम्हारी फ़िक्र में रहना है जीवन भर मिले चाहे ना मिल पाए मुझे तुम्हारे एहसासों की खुशबू में ढलना है तुम्हारे हृदय में अपना स्थान बनाने का अमूल्य उपहार ईश्वर ने मुझे दिया है बस यही खुशी में मैने तुम्हारे लिए करवा चौथ व्रत किया है बहुत कुछ लिखना है पर मेरे पास शब्दों की वर्णमाला नहीं है मेरे सारे शब्द अमर्यादित हैं तुम्हारे लिए इस कि कोई पाठशाला नहीं है हर वह लम्हा उतार देता हूँ अपने शब्दों में जो प्रकृति ने तुम्हारी यादों के स्वरूप में मुझे दिया है आज प्रेम ने तुम्हारे लिए करवा चौथ व्रत किया है व्रत के लिए बंधन ज़रुरी नहीं होता जो इच्छापूर्ति के लिए एक दूसरे को जीवन भर है ढोता मैने बंधन से भी परे अनूठे एहसास को तुम संग जिया है इसलिये प्रेम ने अपनी दिकु के लिए करवा चौथ व्रत किया है

प्रेम इंतज़ार कर रहा है

सुनो दिकु... दिल के दर्द की पीड़ा अब नहीं सही जा रही मेरे होंठों पर पहले-सी खिलखिलाहट अब नहीं आ रही बस करो, अब और ना तड़पाओ प्रेम इंतजार कर रहा है, चले आओ सांसे रुक-रुक कर चलती हैं बस अब ऐसे ही मेरी हर शाम ढलती हैं क्यों दूर हो मुझ से, कारण तो बताओ प्रेम इंतजार कर रहा है, चले आओ मैं जानता हूँ कि तुम्हें भी प्रेम हैं प्रेम से पर बंधी हुई हो ज़िम्मेदारी से मैं तुम्हारे हर निर्णय से सहमत हूँ बस सिर्फ एक बार प्रेम की हालत देख जाओ प्रेम इंतजार कर रहा है दिकु, प्लीज़ चले आओ

पवित्र रिश्ता

सुनो दिकु... दुख अब अकेले नहीं सहा जा रहा तुम आज होती तो लिपटकर रो लेता मेरी आँखें सुख गयी जागकर इतनी रातों में तुम आज होती तो गोद में सर रखकर सो लेता तुम गंगा-सी पवित्र, मैं भटकता मुसाफ़िर तुम्हारे प्रेमरूपी निर्मल जल से काश, मैं अपने पापों को धो लेता

दिवाली

सुनो दिकु... अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगा तुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा धरा होगी नर्म-सी शीतल इश्क में यह आसमान भीग जाएगा अंधकार में डूबा हुआ जीवन प्रेम का तुम्हारे पैरों की आहट सुनकर खुशी से प्रज्वलित हो जाएगा अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगा तुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा

मैं ज़रूर मिलूंगा

सुनो दिकु... मैं एकबार तुम्हें ज़रूर मिलूंगा साथ में ना सही पास में ना सही मेरे अंतर्मन के विश्वास में साथ बिताए हुए पलों के एहसास में किसी किताब के पन्नो में ज़मीन पर बहते हुए झरनों में हवाओं में झूलती हुई शाख में स्मशान की जलती हुई राख में तुम जो ना कह पाई वह आखरी शब्दों में तुम्हारी आँखों से कभी बहते हुए अश्क़ों में अंतिम समय में चल रहे मेरे वनवास में मेरी यादों के साथ तुम्हारी निकलती हुई सांस में शरीर छोड़कर तुम्हारे आसपास फूलों में खिलूंगा हाँ दिकु, मैं एकबार तुम्हें ज़रूर मिलूंगा

तुम्हारी यादें

सुनो दिकु... मुझ से लोग पूछते है इतने आंसू रोज़ कहाँ से आ जाते है उसका जवाब है जिस तरह पानी का घड़ा भर रहा है और एक समय वह छलक जाता है क्योंकि घड़ा अपना कद नहीं बढ़ा सकता बस उसी तरह तुम्हारी यादें पानी की तरह हरदम आती है और वह आंसुओ के रूप में छलक जाती है मेरे पास तुम्हारी यादों का समंदर है जो कभी खत्म नहीं हो सकता प्रेम की तुम जीवनी हो उसे वह कभी नहीं खो सकता तुम्हारी यादें भले ही समंदर जितनी है पर वह यादों के पानी को में खारा नहीं होने दूंगा चाहे जितने भी तूफान क्यों ना आ जाये प्रेम के जीवन में मैं अपनी मोहब्बत को किनारा नहीं होने दूंगा तुम कभी यह देखो तो बोर ना हो जाओ इसलिये हररोज़ कुछ नया लिखने की कोशिश करता हूँ मैं तुम्हें कल भी प्यार करता था मैं तुम्हें अब भी प्यार करता हूँ

प्रेम तुम से ही रहेगा

सुनो दिकु... प्रेम तुम से हुआ है तुम से ही रहेगा तुम आओ ना आओ तुम दिखो ना दिखो तुम मिलो ना मिलो प्रेम का शरीर भले ही जुदा है पर आत्मा से वह तुम्हारे पास ही रहेगा नहीं आ सकता कोई और तुम्हारे सिवा चाहे उम्रभर प्रेम आंसुओं में ही जियेगा प्रेम तुम से हुआ है आखरी सांस तक तुम से ही रहेगा

तुम बिन

सुनो दिकु... तुम बिन दिल की बातें कहां करें तुम संग पहले-सा मिलन हम कहां करें तुम बिन सूना-सा संसार मेरा तुम बिन ठीक नहीं रहा किसी से व्यवहार मेरा तुम बिन सूखी हरे भरे पौधों की डाली तुम बिन खाली पड़ी है मेरी चाय की प्याली दिल का ये दर्द किसको बयाँ करें तुम्हें ये कहने के लिए दिकु बताओ तुम संग पहले-सा मिलन हम कहाँ करें तुम बिन यह तन-मन सूना दिल की धड़कनें और चमन सूना सन्नाटों भरी तन्हाई की शाम ढली तुम्हारी कमी खूब मचाती है दिल में खलबली तुम्हारे जाने से खो चुके हैं खुद को अपने आप का कैसे हम पता करें बताओ दिकु तुम संग पहले-सा मिलन हम कहाँ करें

ठंड शुरू हो गयी

सुनो दिकु... ठंड शुरू हो गयी है खुद की तकलीफ को भूलकर मेरा ख्याल रखती थी हमेशा जैकेट पहनने के लिए मुझे टोका करती थी आज भी याद आती है वह तुम्हारी फिक्र मेरे लिए कभी गुस्सा करना समय पर खाने के लिए तो कभी नाराज़ होना समय पर सोने के लिए हाँ, नहीं रखता अब खुद का ख्याल मैं तड़प रहा हूँ दिल से, तुम्हें वापिस बुलाने के लिए पर सुनो तुम अपना भी ख्याल रखना अब लिमिट में करना है काम सब थोड़ी-सी भी लापरवाही ना करना अब तुम्हारी पसन्द गर्मी अब चली गयी है क्योंकि ठंड शुरू हो गयी है

तुम्हारी यादों का सैलाब

सुनो दिकु... आखों में भरा हुआ घना-सा अंधेरा पर तुम बिन मैं सो ना सका दिल में है बन्द असह्य पीड़ाओं का समंदर फिर भी उछलती लहरों की तरह मैं रो ना सका कमी रह गयी शायद मेरे प्यार में कुछ जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें टूटकर बिखर गया हमारे इश्क का हार शिद्दत से सम्भाले हुए एहसासों के धागों को प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका तुम्हारे इंतज़ार में पल-पल तड़प रहा ये अंतर्मन सिर्फ तुम्हारा ही रहकर चल दिया यह उम्रभर अब किसी और का हो ना सका

मुसाफिर प्रेम

सुनो दिकु..... आज खोलकर देखें पुराने मेसेज हमारे जिन्होंने बीते लम्हों में महफ़िल सजाई थी जैसे वक्त साथ था हमारे और कायनात ने भी इजाज़त फरमाई थी उगते हुए सूरज से लेकर ढलती हुई चांदनी तक हम दोनों ने एकदूजे के लिए आपस की दुनिया बनाई थी जीवन के उन हसीन पलों में बहकर हमने ख़ुशी-ख़ुशी अपनी कश्ती चलाई थी तुम्हारे जाने के बाद उखड गयी साँसे बेजान हो गयी वह आखें जो तूम्हें देखकर हर वक्त मुस्कुराई थी आज खोलकर देखें पुराने मेसेज हमारे महसूस हुआ की वीरान हो गयी ज़िन्दगी उजड़ गयी वह महफिल जो कभी शिद्दत से हम ने सजाई थी

दिकुप्रेम मिलन

सुनो दिकु... मैं जानता हूँ कि वक्त ने तुम्हें बहुत ज़्यादा तकलीफें दी है बड़ी मुश्किल से तुम ने खुद को संभाला होगा न चाहते हुए भी तुम ने हमारी यादों को अपने दिमाग से निकाला होगा हर वोह वक्त, हर वोह जगह, जहाँ हम ने बाते की थी हकीकत से भी खूबसूरत वीडियो कॉल पर मुलाकातें की थी वहां मेरी यादों ने तुम्हें खूब सताया होगा तुम्हारा कोमल-सा ह्रदय न जाने इसे कैसे सह पाया होगा? जीवनभर मेरी यही कामना रहेगी, की तुम सदा सुखी रहो ज़्यादा जगह नहीं चाहता, बस अपने दिल के किसी कोने में मुझे रखी रहो प्रेम अपने जीवन के आखरी क्षणों तक तुम से प्यार करता रहेगा दिकुप्रेम के एक मिलन के लिए निरंतर तरसता रहेगा

दिकुप्रेम की जुदाई का एक वर्ष

सुनो दिकु... आज एक वर्ष पूरा हुआ दिकुप्रेम कि जुदाई का फिर भी पहले की तरह शब्दों से में तुम्हारी मूरत घड़ रहा हूँ इन अश्रुभिनी आँखों से, मैं दिकुप्रेम की कहानी पढ़ रहा हूँ मैंने अपना सर्वस्व तुम्हें समर्पित कर दिया था मैं हरपल, हर लम्हाँ, हर घड़ी, सिर्फ तुम्हारे नाम से ही जिया था नही समेट पा रहा उन यादों को जो तुम्हारे जाने के बाद बिखर गई तुम से दूरी मेरे हरेभरे जीवन को सूखे वृक्ष और ज़मीन की तरह बंजर कर गयी पीड़ा से लथपथ हृदय के साथ में कतरा-कतरा जी जाऊंगा विरह और वेदना के साथ ही सही मैं हमारा पवित्र रिश्ता निभाउंगा हार कर नहीं पर थकान से भर तुम्हारे इंतज़ार के साथ जीवन में बढ़ रहा हूँ आज एक वर्ष पूरा हो गया दिकुप्रेम की जुदाई को फिर भी पहले की तरह शब्दों से मैं तुम्हारी मूरत घड़ रहा हूँ

अंतिम इच्छा

सुनो दिकु... बस एक अंतिम इच्छा है तुम से मुलाकात करने की मेरे जीवन में तुम्हारा जो महत्त्व है उसपर बात करने की यही बस एक अंतिम इच्छा है समन्दर किनारे पैर को डुबोते हुए हमारी आँखें एकदूजे में खोते हुए आवश्यकता नहीं अब हमें रोने की जीवन के गमगीन पलों को और ढोने की प्रेमरूपी माला में हमारे एहसास के मोती पिरोने की यही बस एक अंतिम इच्छा है बंज़र पड़ी दिल की ज़मीन पर तप रही असह्य पीड़ा है राहत मिलेगी अगर दिकुप्रेम मिलन की बरसात हो बस अंतिम बार तुम्हारी और मेरी मुलाकात हो मुज़े तुम्हारे प्रेम को लेकर जीवन में आगे बढ़ना है तुम्हारे एहसासों के साथ कदम मिलाकर चलना है यही बस एक अंतिम इच्छा है यही बस एक अंतिम इच्छा है यही बस एक अंतिम इच्छा है

तुम्हारा इंतज़ार

सुनो दिकु... तुम्हारे इश्क में टूटकर बिखर रहा हूँ मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ कभी इस जीवन में वीरानपन तो कभी आखों में समंदर का पानी पी रहा हूँ मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ तुम तक एकबार मेरी बात पहुँचाने की ख्वाइश है मैं कोई बड़ी सख्शियत को नहीं जानता मेरे पास तो मेरा परिश्रम ही मेरी गुंजाइश है हज़ारों चोटें खाकर खुद के दर्दो को तुम्हारी यादों के सहारे-सी रहा हूँ मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ एक दिन तो ज़रूर आएगा जो दिकुप्रेम के रिश्ते की किस्मत चमकाएगा खुद को ठोकर देकर भी अपने इरादों की मज़बूती कर रहा हूँ सुनो दिकु मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ

दिकुप्रेम

सुनो दिकु... में ठीक हूँ तुम अपना ख्याल रखना मेरी फिक्र में मत रहना कोई भी आये परेशानी अगर हौंसला रखना खुद पर मुश्केलियों से कभी ना डरना में जानता हूँ और समझता भी हूँ कि बहुत ज़िम्मेदारियों से घिरी हो तुम पर कभी फुर्सत मिले तो दिकुप्रेम के हसीन पलों को याद ज़रूर करना

दिल में रह गया मलाल

सुनो दिकु... बीत गया एक और साल तुम फिर भी ना आये बस यही छोटा सा दिल में रह गया मलाल में भटकता रहा तुम्हारी गलियों में पर तुम्हें पता न चल सका तुम्हारी एक झलक की प्रतीक्षा में खुद को ही कर दिया मैने बेहाल पर तुम फिर भी ना आये बस यही छोटा सा दिल में रह गया मलाल जिसका कभी हुआ करता था राजा-सा मित्रो का दरबार देते थे लोग मेरी मित्रता की भी मिसाल तुम्हारे जाने से किनारा कर लिया सब से मैंने खुशियों से हर वक्त महकता ये मन दिकुप्रेम की दूरी से हो गया है कंकाल पर तुम फिर भी ना आये बस यही छोटा सा दिल में रह गया मलाल पर तुम फिर भी ना आये बस यही छोटा सा दिल में रह गया मलाल

नववर्ष-2024

सुनो दिकु..... इस नववर्ष में लौट आना तुम्हारी यादों से यह दिल को अब और ना बहलाना बातें बहुत-सी हो गयी है जो तुम से करनी है मेरे अकेलेपन की खाली पड़ी है गहराइयाँ उसे तुम संग मिलकर छलकते जाम की तरह भरनी है बहुत हो गया तुम्हारा अनजान रूखापन सुनो, अब और ना इठलाना इस नववर्ष में लौट आना तुम्हारी यादों से यह दिल को अब और ना बहलाना मुज़े कोई शिकायत नहीं करनी तुम से बस तुम्हारी तबीयत की फिक्र है जब से तुम गयी हो इन होठों पर सिर्फ तुम्हारा ही ज़िक्र है एकबार आके सिर्फ अपने हाल सुना जाना सुनो, अब ना करना कोई बहाना इस नववर्ष में लौट आना तुम्हारी यादों से यह दिल को अब और ना बहलाना

दिकुप्रेम का रिश्ता

सुनो दिकु... में जानता हूँ कि तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही पर में अपनी कोशिश नहीं छोडूंगा मैंने वादा किया है तुम से उम्रभर प्यार रहेगा तुम से दिकुप्रेम का यह रिश्ता में कभी नहीं तोडूंगा हो सकता है कि कईं दिन बीत जाएँ बदल जाएंगे साल कईं ऐसा भी हो कि तुम हो जाओ बेखबर मुज़ से उझड जाएंगे मेरे सर के बाल कईं फिर भी में अपनी आस की कलाई कभी नहीं मोडूंगा उम्रभर प्यार रहेगा तुम से दिकुप्रेम का यह रिश्ता में कभी नहीं तोडूंगा शायद यह हो कि मेरे कोई पाप इकट्ठे हुए हो जिसकी भरपाई कर रहा हूँ यह मेरे प्रायश्चित का समय हो जो तुम से बिछड़कर जी रहा हूँ कभी ना कभी तो यह परीक्षा खत्म होंगी एक समय पर दिकु तुम अपने प्रेम से ज़रूर मिलोगी असह्य पीड़ा होने पर भी में अपना दम नहीं घोटूंगा उम्रभर प्यार रहेगा तुम से यह वादा है मेरा दिकुप्रेम का यह रिश्ता में कभी नहीं तोडूंगा उम्रभर प्यार रहेगा तुम से दिकुप्रेम का यह रिश्ता में कभी नहीं तोडूंगा

प्रेम का उपहार

सुनो दिकु... वह प्रेम आज भी मेरे हृदय में स्मृति का शृंगार है जो तुम ने कभी मुज़ से किया था आज भी याद है, एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था वह तेजस्वी आँखें जिन की चमक मेरे मस्तिष्क पर छाई थी वह तुम्हारे हाथों की कोमल उंगलियाँ प्रत्यक्ष ना होकर भी जिस ने मेरे दिल में, अपनी एक तस्वीर बनाई थी हर-पल, हर-घड़ी, हर-लम्हाँ में फक्त तुम में ही जिया था कुछ इस तरह, तुम ने मेरा दिल अपने नाम किया था आज भी याद है, एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था निःसंदेह, तुम्हारा प्रेम मेरे लिए आज भी बेमिसाल है परन्तु जाते समय दो लफ्ज़ भी क्यों ना कह पाई दिल में उठ रहा बस यही एक सवाल है पर तुम फिक्र ना करना किसी भी परिस्थिति मे, में अपना प्रेम अंतिम श्वास तक निभाउंगा परोक्ष रहकर भी में तुम से कभी दूर ना हो पाऊंगा क्योंकि एक समय था जब, तुम ने अपना सम्पूर्ण मन मुजे सौंप दिया था आज भी याद है, एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था

लौट आओ

सुनो दिकु... जिस तरह सपना बनकर आती हो मेरे दिल को सुकून पहुँचाती हो उसी तरह हकीकत में आओ ना मेरे कांधे पर सर रखकर पास बैठ जाओ ना बहुत-सी बातें हो गयी है जो तुम से करनी है मन में छाई हुई तिमिर को तुम्हारी रोशनी से भरनी है मेरी यह सारी बकबक को सुन जाओ ना में उलझ गया हूँ, आकर मुज़े सुलझाओ ना देखकर तुम्हें चेहरे पर चमक आ जाती है तुम बिन यह ज़िंदगी वीरान हो जाती है अपनी प्यारी-प्यारी बातों से, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट लाओ ना एहसासों के आलिंगन से, मुजे सुकून दे जाओ ना जिस तरह सपना बनकर आती हो उसी तरह हकीकत में आओ ना मेरे कांधे पर सर रखकर, पास मेरे बैठ जाओ ना

प्रभु श्री राम

हे प्रभु श्री राम अब तो मान जाओ ना मुझे अपनी दिकु वापस लौटाओ ना एक-दूजे से कोसो दूर रहकर जीवन में कभी ना मिल पाने की स्थिति से स्वीकृत होकर हम दोनों ने प्रामाणिक प्रेम किया था इस में गलती कहां हुई, यह बताओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे अपनी दिकु वापस लौटाओ ना उनकी यादों से यह मन रात भर नहीं सोता है दिकु प्रेम के खुशनुमा पलों को याद कर यह हरपाल रोता है आखिर आप भी तो जानते है वास्तविक प्रेम से दूरी का वियोग नींद चैन सब खोता है मेरे इस व्याकुल मन को शांत कराओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे अपनी दिकु वापस लौटाओ ना में यह समझता हूँ की उनकी मजबूरियों के कारण उनको जाना पड़ा मानता हूँ की परिस्थितियों के कारण उन्हें अपना प्राथमिक रिश्ता निभाना पड़ा पर वह खुश है अपने जीवन में, एकबार यह तसल्ली कराओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे अपनी दिकु वापिस लौटाओ ना आज पूरे विश्व में आपके आगमन की आतुरता का उजास है आपके घर लौटते ही सबके जीवन में मंगल होगा, यह पूरे विश्व को विश्वास है पर इन सब के बिच आप का यह नटखट नंदलाला बहुत ही उदास है उसे भी अपनी राधा के दर्शन कराओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे अपनी दिकु वापस लौटाओ ना टूट चुका हूँ और बिखर कर चूर हो चुका हूँ में में सीधा उनके पास जा सकता हूँ पर उनकी सुरक्षा के चलते मजबूर हो चूका हूँ में बस करो प्रभु, मुझे अब और ना सताओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे मेरी दिकु वापस लौटाओ ना हे प्रभु श्री राम, मुझे मेरी दिकु वापस लौटाओ ना

वादा

सुनो दिकु... तुम से मिली मोहब्बत को कभी झुकने नहीं दूंगा वादा करता हूँ इंतज़ार करूँगा, पर अपने हौंसले को कभी टूटने नहीं दूंगा अरदास की है रब से ईश्वर से हाथ जोड़े है तुम तक अपनी बात पहुँचाने के लिए मैंने कठिनाइयों के हर दरवाज़े तोड़े है इतनी आसानी से अपनी किस्मत को में रूठने नहीं दूंगा वादा करता हूँ इंतज़ार करूँगा, पर अपने हौंसले को कभी टूटने नहीं दूंगा जब वक्त के साथ चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ जाएगी यह आँखें ज़्यादा कुछ देख नहीं पाएगी उस वक्त भी तुम्हारी यादों की महक को में सूखने नहीं दूंगा वादा करता हूँ इंतज़ार करूँगा, पर अपने हौंसले को कभी टूटने नहीं दूंगा

लौट आना

सुनो दिकु... प्रेम का इंतज़ार आज भी जारी है हो सके तो लौट आना हमारी अनचाही अचानक जुदाई के समय ज़रूर किसी गहरी कश्मकश से गुज़री होगी तुम उस दरम्यान अमूल्य मोतियों सी बिखरी होगी तुम न जाने वोह लम्हें तुम ने कैसे बिताएँ होंगे मैंने तो खुले मन से रो दिया सब के सामने तुम ने अपने दर्द न जाने किसको बताएँ होंगे ज़िंदगी में ना सही तुम्हारे ख्यालों में तो आने का हक रखता हूँ मेरा दिल जो तुम्हारे पास है उसके किसी कोने में ही सही आज भी उसमें मैं कहीं दिखता हूँ ज़्यादा नहीं चाहता बस अपनी पहली-सी हंसी को तुम्हारे चेहरे पर मोड़ लाना प्रेम का इंतज़ार आज भी जारी है हो सके तो लौट आना

विरह गान

तेरे बिन सुनी.....लगे ये रातें है इंतज़ार करती मेरी आँखें है हे दिकु......में तुम्हें चाहूं में तुम्हें चाहूं तेरे बिन सुनी.....लगे ये रातें है इंतज़ार करती मेरी आँखें है कैसे निभाएंगे प्रीत ओ साजन में हूँ कमी भरा, तुम हो निरंजन हे दिकु......में तुम्हें चाहूं में तुम्हें चाहूं तेरे बिन सुनी.....लगे ये रातें है इंतज़ार करती मेरी आँखें है तेरी राह में आँखें है बरसी तुजे देखने को, ये है तरसी हे दिकु......में तुम्हें चाहूं में तुम्हें चाहूं तेरे बिन सुनी.....लगे ये रातें है इंतज़ार करती मेरी आँखें है कठिन है जीवन पर, संयम से रहूंगा तुम से किया वादा, में पूरा करूँगा हे दिकु......में तुम्हें चाहूं में तुम्हें चाहूं तेरे बिन सुनी.....लगे ये रातें है इंतज़ार करती मेरी आँखें है

वक्त की मार

सुनो दिकु..... हम दोनों ने साथ बिताया हुआ वक्त, एक पल की भांति गुजर गया, तुम्हारे जाने के बाद प्रेम का जीवन, सूखे पत्तों की तरह बिखर गया। अनगिनत लम्हों की परत, वक्त की धूप में लिपटी रही, तुम्हारी यादों का सैलाब, मेरे व्याकुल मन को चीरता गया। हर रोज़ तुम्हारे ख्यालों से, यह ज़िन्दगी सजती रही, तुम लौटकर ज़रूर आओगी, मेरे मन को यह हरदम कहती रही। जुदाई की वेदना में, कोड़े की मार से भी अधिक पीड़ा थी, परन्तु दिल में बसे तुम्हारे, एहसासों का साथ, हर पल मुझे मिलता गया, दिकु प्रेम के मन-मिलन के प्रकाश में, प्रेम अंकुरित होकर खिलता गया। बस तुम्हारी यादों में वक्त थम जाए, हर लम्हा, हर पल, बस तुम्हारे साथ ही कट जाए, यही कोशिश में आज यह दूसरा साल भी निकल गया, तुम्हारे जाने के बाद प्रेम का जीवन, सूखे पत्तों की तरह बिखर गया।

प्रतीक्षा

सुनो दिकु...... विरह की वेदना अब फिर से सताने लगी है, तुम्हारी यादों की लहरें दिल में उबाल बनकर आने लगी है, अब लौट भी आओ दिकु, प्रेम की सांसे जैसे रुक जाने लगी है। धड़कनों में तुम्हारी परछाईं फिर से छू गयी, बीते पलों की यादें दिल में बसाने लगी है। तुम्हारी वो हंसी, तुम्हारी वो बातें, जो हसीन लम्हें थे वह याद आ रहे हैं, मेरे अंतर्मन में वो ख़ुशबू फिर से फैलाने लगी है। तन्हाई में बैठे है तुम्हारे ख़्वाबों की दुनिया सजाकर मेरी रूह दिल के हर कोने में तुम्हारे ख्यालों की लॉ जलाने लगी है। की अब बिन तुम्हारे जीना मुश्किल होता जा रहा है, तुम्हारे बिना जीने की आदतें भूलाने लगी हैं। मेरे प्यार की कश्ती, तन्हा समंदर में खोई हुई है, तुम्हारी यादों की लहरें यह दिल को बहलाने लगी हैं। आज भी तुम्हारी यादों की मिठास छू रही है दिल को मेरे, तुम्हारी छाया में ही खोए हुए दिल को यह धड़काने लगी है। की तुम से जुदा होने का दर्द फिर से उभर गया सीने में तुम्हारी यादों की लहरें दिल में उबाल बनकर आने लगी है, अब लौट भी आओ दिकु, प्रेम की सांसे जैसे रुक जाने लगी है।

दिकुप्रेम

सुनो दिकु.... तुम्हारे बिना, मेरा यह मन अधूरा है, तुम्हारे संग से ही, यह मेरा जीवन पूरा है। नहीं चाहिए मुझे कोई, लोकप्रियता और प्रतिष्ठा। एकमात्र तुम्हारा साथ ही, है मेरे जीवन की श्रेष्ठता। कहीं भी, कभी भी तुम देख सको, प्रेम ने कविताएँ केवल इसिलिये लिखी है। बड़ा नाम करने की कोई महेंशा नहीं, तुम तक सिर्फ एक बार, अपने हालात पहुँचाने की कोशिश की है। मेरा प्रेम हमेशा तुम्हारे लिए ही रहेगा, परवाह नहीं, अगर इस में कोई मुझे पागल भी कहेगा। तुम्हारा लौट आना, जैसे आसमान में टूटा हुआ सितारा है। अधूरा-सा और अमर्यादित ही सही, यह प्रेम सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा है।

होली

सुनो दिकू... सोचा था इस बार सबसे पहले तुम्हें में ही रंग लगाऊंगा। जैसे तुम्हें बर्थडे विश किया था न वैसे, एक दिन पहले ही तुम्हारे सामने रंगों की रैलियां बहाऊंगा। सोचा था इस बार सबसे पहले तुम्हें में ही रंग लगाऊंगा। यह देखकर तुम्हारी जो हंसी निकलती, वह मेरे लिए दुनिया की सब से बड़ी दौलत है, वही दौलत को पूरे संसार में लुटाऊंगा। सोचा था इस बार सबसे पहले तुम्हें में ही रंग लगाऊंगा माना बाकियों की तुलना में, हमारे प्रेम में अंतर है पर निराश न होना तुम, मेरा प्रयास आज भी निरंतर है, मुजे दुनिया को नहीं दिखाना लेकिन, तुम्हारे आने पर ऐसी धूम मचाऊंगा। जैसे तुम्हारे इश्क़ का गहरा रंग चढ़ा है ना मुझ पर उसी तरह होली को भी हमारे प्यार के रंगों में रंगाऊंगा। देखना अगली बार सबसे पहले तुम्हें में ही रंग लगाऊंगा।

विशिष्टता

सुनो दिकु... तुम्हारी मन की सुंदरता मुझे मोहित कर जाती है, तुम्हारी करुण सरलता अनमोल खासियत जगाती है। निश्छल हो तुम, सब का ध्यान रखती हो, तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हो जाता है, मेरी जान, तुम ऐसा तो क्या जादू करती हो? तुम्हारे माथे की एकमात्र बिंदी से पूरा शृंगार सजाती हो, तुम्हारी मुस्कान की चमक में ऐसा तो क्या राज़ छुपाती हो? अपने गुणों से दुनिया की हर रौनक फीकी करती हो, तुम्हारी प्रतिभा के आगे हर कोई अचंब रह जाता है। मेरी जान, तुम ऐसा तो क्या जादू करती हो? तुम्हारे शब्दों की अदा मेरे दिल को आनंदित कर देती है, तुम्हारी आँखों की गहराई हर पल आकर्षित कर लेती है। तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हों को स्मरणीय करती हो, तुम बिन जीवन कभी पूर्ण नहीं हो सकता। मेरी जान, तुम ऐसा तो क्या जादू करती हो? तुम्हारी ख़ुशबू मेरे जीवन को मधुरता देती है, तुम्हारे प्यार की डोर हमेशा नवीनता देती है। तुम्हारा साथ से दिकु प्रेम के जीवन को संतुलित करती हो, तुम बिन हर पकवान भी धतूरा-सा लगता है, मेरी जान, तुम ऐसा तो क्या जादू करती हो? तुम्हारे हृदय में छुपी हुई है ख़ुशियों की बहार, जिससे निकलता है केवल प्यार और सच्चाई का इज़हार। हर पल मन के एहसासों को अपनी अदाओं से चीरकर गुजरती हो, मन को कठोर करने पर भी प्रेम तुम्हारी ओर खींचा चला आता है। मेरी जान, तुम ऐसा तो क्या जादू करती हो?

प्रेम की जीवन यात्रा

सुनो दिकु...... जीवन की यात्रा में, प्रेम की राह अविरत है। हृदय के तारों से, ज्योति का बिखराव सतत है। बंद आँखों के पीछे, छिपी भावनाएं अनंत है। उनके अंतर में, बसी असीम प्रेम कहानी अखण्ड है। प्रेम की बुनाई में, बसे अनगिनत सपने, जो जीवन की धारा को मधुरता से बहाते है। मन के अंदर छिपी उमंगों को, प्रकृति का अद्भुत संगम दिखाते है। अन्तर्मुखी हूँ, प्रेम का आत्म-विस्तार रखता हूँ। तुम बिना नजरें मिलाए भी, मेरे साथ चलते रहोगे अगर, में ह्रदय से जुड़ी भावनाओं का सार रखता हूँ। अंत में अनंत तक तुम्हें जोड़ने की हसरत है। जीवन की यात्रा में, प्रेम की राह अविरत है। हृदय के तारों से, ज्योति का बिखराव सतत है।

दिकु का आगमन

सुनो दिकु...... जब तुम आओगी, तब सजेगा ये जहाँ। फूलों से भरी राहें होंगी, खुशबू से महकेगा ये आसमां। चिरागों की लहरों में, रातों को रोशनी झगमगाएँगी। तारों की बूंदें, फिर से नए सपनों को सजाएगी। हवाओं में बहेगी स्वर्गीय ध्वनि की धारा। दिलों को छू जाएगा सब को वो मधुर गीत हमारा। हंसते हंसते गुज़रती हुई, सभी खुशियों की बातें होगी। मस्तिष्क से निश्चिंत, वैसी हर पल की रातें होगी। जब तुम आओगी, लहरों से झूम उठेगा आसमान। प्रेम की बौछारें बरसेंगी, हर जगह बनेगा एहसासों का गुलिस्तान। तुम्हारे आगमन से रंग जाएगा ये जीवन मेरा। प्यार की नई कहानी लिखेगा, अंधकार को चीरता हुआ नया सवेरा। न जाने कितने समय से इन खुशियों की आस में हूँ। अब देर ना करो दिकु, टूटा हुआ, मजबूर, सहमा हुआ, में अर्धजीवी, केवल तुम्हारे लौट आने की तलाश में हूँ।

दिल की बेबसी

सुनो दिकु....... कैसे करूँ दिल की बेबसी का इजहार। क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं, और तुम से मिल पाऊं एक बार। चाँदनी की रोशनी में तुम्हारा चेहरा खिला हुआ है। एक अनिश्चित राह पर, अपने जीवन का सफर चला हुआ है। हो सुहानी रातें, केवल कर पाऊंगा मैं तुम्हारा ही दीदार। क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं, और तुम से मिल पाऊं एक बार। दिल के जज़बात बयाँ करने की तलब लगी है। तुम्हारे इंतज़ार में, उम्मीद की महफिलें सजी है। हजारों की भीड़ में भी, प्रेम का सूना पडा है संसार। क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं, और तुम से मिल पाऊं एक बार।

बिछड़ा हुआ प्रेम

सुनो दिकु..... जब से बिछड़ा हूँ तुम से, एकपल भी तुम से दूर नही हो पाया। ख्वाबों में भी तुम मेरी हो, मैंने तुम्हें मेरी रूह तलक है बसाया। बस तुम्हारी यादों में खोया रहता हूँ, यह दिल हर वक्त बेकरार है। मेरे हर एक लम्हें में, सिर्फ तुम्हारा ही इंतज़ार है। कैसे बुलाऊँ तुम्हें, कुछ तो मेरी मदद करो। तुम शकुशल हो अपने यहां, कहीं से तो मुझे खबर करो। दिकु, तुम मेरे जीवन की चांदनी का प्रकाश हो, रहना चाहता हूँ सदा तुम्हारी परछाई में। वापस आकर निकाल लो मुजे, में फंस चुका हूँ अंधेरों की तन्हाई में।

अपना ख्याल रखना

सुनो दिकु........ ज़िन्दगी के सफर में, जब दूरियाँ अधिक हो जाती हैं, अगर प्रेम सच्चा हो, तो एहसासों की मिठास और भी मजबूत हो जाती है। सोचता हूँ, दिन-रात, तुम्हारे साथ बिताए हुए पलों को, मेरी तो बहुत फिक्र करती थी, पर अपना ख्याल बिल्कुल नहीं रखती थी। सब को गहरी नींद सुलाकर, थकान और दर्द से भरी आँखों से देर रात तक जागती थी। तुम्हारी यादों का सहारा, हर क्षण मेरे पास है, दूरियों की परछाइयों में भी, तुम्हारा साया पल-पल मेरे साथ है। हम ज़रूर मिलेंगे एक दिन, पर जब तक हम फिर से मिल नहीं जाते, तुम यह जान लेना। तुम मेहनत करती हो अथाह, पर कर लो थोड़ी सी अपनी भी परवाह, बस इतनी सी मेरी विनंती मान लेना।

एक मुलाकात

सुनो दिकु..... लिख देता हूँ अक्सर, तुम्हारे हर उस एहसास को, जिसे पढ़कर तुम कभी ना उदास हो। मेरी कलम से ही मिलती हो हर रोज मुझे, जैसे तुम यहीं कहीं मेरे आस-पास हो। बस अंतिम इच्छा है मेरी, कि सिर्फ एक बार तुम से बात हो, जी भर के देख लूँ आखिरी बार तुम्हें, मंजूर है, चाहे उसी दिन मेरी कयामत की रात हो।

लौटा दो मेरी धड़कन

चिरंजीवनी धरा पर, तन्हाइयों का बोझ लेकर, बीते पलों की यादों में, मैं खोया रहता हूँ। उस संग मिला दे ऐसी लकीरें, कहाँ से ले आऊँ अपने हाथों में। क्यों कर दिया उससे मुज़े दूर हे भगवान, अब एकांत में सहम गया हूँ मैं उसकी यादों में। धड़कनों की सुनी पड़ी, सीने में छुपी है उसकी आहट। जब से दूर गयी है वह, बढ़ रही है पल-पल मेरे दिल की गभराहट। आंसुओं से सजी, यादों की लहरें बहने लगी, उसकी मुस्कान की किरणें, अब नहीं दिखती ना दिन में ना रातों में। क्यों कर दिया उससे मुज़े दूर हे भगवान, अब एकांत में सहम गया हूँ मैं उसकी यादों में। प्रेम की राहों में, मैं हो गया हूँ तंग और उदास। धुंधली-सी सोच हो गयी है मेरी, उस की पनपती यादों के साथ। जीने की वज़ह है वह मेरी, उसके बिना एकपल भी नहीं कट रहा, उसका ज़िक्र आ जाता है मेरी हर एक बातों में। क्यों कर दिया उससे मुज़े दूर हे भगवान, अब एकांत में सहम गया हूँ मैं उसकी यादों में। मानता हूँ कि कुछ मेरे कर्म बुरे होंगे, लेकिन उस के लिए मुज़े जो चाहे सज़ा दे दो। हाथ जोड़कर विनंती है मेरी, मेरी हर गलती की मुज़े क्षमा दे दो। लौटा दो मेरी धड़कन, मैं दर-दर भटक रहा हूँ। रोज एक नई उम्मीद के साथ, भीगी पलकों से उसकी राह तक रहा हूँ। एक कर दो दिकुप्रेम को, या ले लो मुज़े अब अपनी पनाहों में। प्रेम मर मिटेगा, पर उसी का होकर रहेगा, किसी और का सपना नहीं बसेगा अब उसकी निगाहों में।

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी

सुनो दिकु....... बिना तुम्हारे ज़िन्दगी बोज बन गयी है, हर ख़ुशी का एहसास अब खो सा गया है। तुम्हारे बिना सुखी बेजान सी हो गयी है आँखें, मेरा जीवन अंधकार में सो सा गया है। तुम बिन ये लम्हे वीरान हो गए, ख्वाबों के शहर भी अब तो सुनसान हो गए। तुम्हारी हँसी की मिठास अब सिर्फ यादों में है, तुम्हारे साथ बिताए पल महज़ अब ख्वाबों में हैं। रातें भी अब अंधेरी और लम्बी लगती हैं, सुबह भी अब जैसे वीरानी में ढलती हैं। दिल की धड़कन भी अब बेमानी सी हो गई है, तुम्हारे बिना ज़िन्दगी एक कहानी सी हो गई है। तुम्हारे बिना हर दिन अधूरा सा लगता है, हर पल अब बस तन्हा तन्हा सा लगता है। तुम्हारी यादें ही अब मेरा सहारा हैं, तुम्हारे बिना ज़िन्दगी बस केवल गुज़ारा है। काश फिर से लौट आए वो प्यारे प्यारे दिन, एक पल भी नहीं बीतता था मेरा तुम्हारे बिन। पर अब तो बस ये उम्मीद ही बाकी है, की कहीं न कहीं, किसी मोड़ पर, मिल जाएगी मेरी ज़िन्दगी फिर से मुझे। रोशन हो जायेंगे मन के दिये, जो चल रहे है रो रो कर बुझे बुझे। तुम्हारे बिना ज़िन्दगी तो है, पर जैसे नहीं है, प्रेम तुम्हारे इंतज़ार में जहां था, आज भी वहीँ है।

प्रकृति

सुनो दिकु...... प्रकृति की गोद में बसी है तुम्हारी यादों की छाँव, हर हरे पत्ते पर लिखा हुआ है तुम्हारा नाम। चमकते सूरज की किरणों में देखूं तुम्हारा चेहरा, झरनों की मधुर ध्वनि में सुनूँ तुम्हारी बातें। फूलों की महक में तेरी खुशबू सी लगती है, हवाओं की सरगम में गूंज रही हमारी मुलाकातें। चाँदनी रात में जब तारो की चमक सजती हैं, उनकी रोशनी में तुम्हारी हँसी की झलक मुझे दिखती है। बादलों की छाँव में, जब ठंडी हवा बहे, तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिल को छू जाता है। बारिश की बूँदों में, जब धरती भीगती है, तुम्हारे प्यार की नमी से मेरा मन भी भीग जाता है। प्रकृति के हर रंग में, हर रूप में, तुम्हारा ही अक्स मुझे दिखाई देता है। तुम्हारी यादों के साये में, मैं जीता हूँ, तुम लौट आओगी एक दिन, प्रकृति का हर पल, हमेशा मुझे यही कहता है।

अभी बाकी है

सुनो दिकु, तुम्हारी यादों का सिरा थामे, मैं जीवन की राह पर चला हूँ। बिछड़े हुए अरसा हो गया, पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है। तुम्हारे बिना ये दिल उदास है, तन्हाई का आलम बहुत ही गहरा है। आँखों में बसे हैं हसीन ख्वाब, पर हकीकत में घना अंधेरा है। सन्नाटा तो हो गया तुम्हारे जाने के बाद जीवन में, पर शायद कड़े इम्तिहान अभी बाकी हैं। बिछड़े हुए अरसा हो गया, पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है। बदलते मौसम, आती-जाती हवाएँ, तुम्हारी खुशबू को संग लाती हैं। पर तुम्हारे वो परोक्ष स्नेहिल स्पर्श की यादों से, मेरी अंदरूनी रूह कांप जाती है। तुम्हारे बिना ये जिंदगी, जैसे माला में मोतियों की शान अभी बाकी है। बिछड़े हुए अरसा हो गया, पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है। सपनों में तुमसे रोज मिलता हूँ, अपने दिल का हर हाल तुम्हें बतलाता हूँ। आँख खुलते ही अकेलापन पाकर, मैं फिर से उम्मीद का दिया जलाता हूँ। जीवन की इस कठिन डगर पर भी, तुम्हारी राह में मैं अडिग खड़ा हूँ, न जाने इसमें कितने तूफान अभी बाकी हैं। बिछड़े हुए अरसा हो गया, पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

हर रूप में बस आप हो

हर रूप में बस आप हो, हर साँस में बस आपका एहसास है। जीवन की इस पगडंडी पर, सिर्फ आपके कदमों का ही विश्वास है। बिछड़न का वो लम्हा, आज भी दिल में टीसता है। हर धड़कन में आपकी सूरत, हर नजर में बस आपका ही अक्स बसता है। प्रेम नामक ये दिल, आपके बिना अधूरा सा है। यादों की बारिश में भीगता, यह मन बस आप ही का प्यासा है। दिन में आपका नाम लेता हुआ, रातों को चाँद से बातें करता है। सपनों में भी आपकी ही सूरत, जैसे चांदनी की रौशनी बिखेरता है। हर गीत में बस आपकी धुन, हर लफ्ज़ में बस आपका नाम है। जीवन के इस सफर में, आपके बिना आराम भी हराम है। हर रूप में बस आप हो, हर ख़्वाब में बस आप हो। प्रेम के जीवन की हर इच्छाओं में, इंतज़ार भरी आखों में सिर्फ और सिर्फ आप हो।

असह्य वेदना

सुनो दिकु.... तुम्हारी यादों में, मेरा मन डूबा हुआ है, आँखों में आँसू, दिल में तूफान छुपा हुआ है। न जाने कैसा फासला हो चुका है, हर लम्हा, हर एहसास, तेरे नाम की याद में रूठा हुआ है। तुम्हारे बिना ये दिन नहीं होते पूरे, रातें जागती हुई, सपने हुए कच्चे-अधूरे। तुम्हारी हंसी की गूँज, अब भी कानों में बजती है, तेरे बिन, हर खुशी अधूरी लगती है। वो बातें, वो मुलाकातें, हर पल की वो प्यारी सौगातें। अब भी दिल के हर एक कोने में बसी हैं, तेरे बिना मेरी साँसे भी बीच मझधार में फंसी हैं। आज यादों की बारिश हो गयी, बंद आंखों से तेरी तस्वीर बह गयी। दिल से बड़ी लंबी सी एक आह निकली, और आँखें मेरी अश्रु की धारा बनकर रह गईं। काश, तुमसे मिल सकूं फिर से, अनकहा हे बहुत कुछ, वह कह सकूं फिर से। हे भगवान, ये दूरी अब तो मिटा दें, मुझे मेरी दिकु से एक बार मिला दें।

मैं

सुनो दिकु... मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम, जो तुम्हें बेहद प्यार करता है, तुम से बिछड़े सालो हुए, फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करता है। तुम हो दूर, पर दिल में नजदीक बसी हो, तुम्हारे नाम से ही यह दिल धैर्य से धड़कता है। मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम, जिसे तुम्हारे बिना यह जीवन अधूरा सा लगता है, हर पल तुम्हारे इंतज़ार में, दिल ये विरह की आग में जलता है। तुम्हारी यादों की छांव में वोह सुकून पाता है, तुम्हारे लौट आने की उम्मीद में हररोज़ दर्द का कडवा घूंट पी जाता है। मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम, जो हर सुबह सूरज की किरणों में तुम्हें खोजता है, हर रात तारों की चमक में तुम्हें सोचता है। तुम्हारी एक मुस्कान, तुम्हारी एक झलक की चाहत में, आज भी वहीं खड़ा रहकर जहाँ से तुम जुदा हुई थी, तुम से मिलने की राह में कतरा कतरा अपना दम तोड़ता है। मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम, जिसका परिचय ही प्रेम है, जिस की चल रही टूट टूटकर सांस है, तुम्हारे बिना भी, तुम से मिलने की जिसे आस है। जो तुम्हारे लौट आने की राह में अडिग खड़ा है, और जिसे आज भी तुम लौटोगी, इस बात पर अटूट विश्वास है।

एक राही

सुनो दिकु.... सागरों में अनगिनत गोते लगाकर भी, मैं किनारा ही हूँ। तुमसे वर्षों से दूर होकर भी, आज भी मैं तुम्हारा ही हूँ। स्वप्न भी अगर आता है जुदाई का, उसमें भी तुम्हें खोने से डरता हूँ। हर पल, हर घड़ी, बस तुम्हारा ही इंतज़ार करता हूँ। जिंदगी की राहों में, मैं मुसाफिर बन कर चलने लगा। तुम्हारी यादों की खुशबू के संग, मैं जीवन प्रवाह में बहने लगा। दिल में तुम्हारी तस्वीर और आँखों में तुम्हारे सपने सजाए हैं। मैंने एक-दूजे से दूर रहकर भी हमें सम्पूर्ण बनाए हैं। तुमसे दूरी का विरह होते हुए भी, नज़रों में सिर्फ तुम ही बसी हो। हर मोड़ पे, हर सफर में, जैसे तुम्हारी ही खुशबू सजी हो। हर कदम पे तुम्हारा नाम, हर साँस में तुम्हारा एहसास रहता है। इस राही का सफर, बस तुम्हारे इंतज़ार से ही खास रहता है। फासले चाहे हों हजारों, दिल की दूरी होने नहीं दूंगा। एक राही की तरह, हर मोड़ पर तुम्हारी राह तकता रहूंगा। तुम जहाँ भी हो, खुश रहना, यह दुआ हर रोज करता हूँ, तुमसे दूर होकर भी, मैं हर पल तुम्हीं से जुड़ा रहता हूँ।

अफसाना प्यार का

सुनो दिकु ... अफसाना प्यार का, एक दिल की सदा, यादों की परछाइयाँ, हर पल की वफ़ा। चाँदनी रात, तुम्हारी तस्वीरें है बनाती, तुम्हारे ख्यालों में डूबी, मेरी रूह विरह गीत है गाती। तुम्हारी बातों की महक, हर साँस में समाई हुई है, तुम हो तो दिल के करीब, पर फिर भी खुदा ने दूरियों की यह राह बनाई हुई है। तुम्हारी यादों के साये, हरपल मेरा साया बने, तुम ही बताओ, अफसाना प्यार का, तुम से फिर कैसे कहें? दिल की धड़कनों में, तुम हर लम्हा समाई हो, तुम्हारी गैर मौजूदगी में, हर रात, जैसे क़यामत की तरह बिताई हो । प्रेम की ये कहानी है, अनकही यह बात होगी, अफसाना प्यार का है, यह वक्त इंतज़ार का है, जब भी प्यार की बात होगी, प्रेम की बस तुम से ही मुलाकात होगी।

क्या खोया, क्या पाया

सुनो दिकु..... क्या खोया, क्या पाया इस जीवन के सफर में, बिछड़ गई वो राहें, जो बांधे रखती थीं हमें हर सफर में। हर लम्हा बिताया करते थे एक-दूसरे के साथ में, हर घड़ी गुज़रती थी, एक-दूजे की फिकर में। तेरे संग बिताए पल, वो हंसी के ठिकाने, अब बस यादें ही रह गईं उसमें, वो भी किस्से हो गए अब पुराने। तेरे बिना दिल का हर कोना वीरान हो चुका है, अब तो बस तेरी यादों से ही सजते हैं मेरे मन के अफसाने। तू ही है मेरे हर एक ख्वाब में, मेरे हर एक एहसास में, तेरे बिना जीवन की राहें, अब अनजान हो जाती हैं। तेरी वो हंसी, तेरी वो बातें, वो मुलाकातों को याद कर, मेरे दिल में गूंजती हुई सुबह, न जाने कब शाम हो जाती है। क्या खोया, क्या पाया, ये सवाल अब गहरा हो गया है, तेरे बिना हर ख्वाब, एक टूटा हुआ चेहरा हो गया है। बस तेरी यादों में खोकर ही जीते हैं ये पल, जैसे तू ही हो मेरी दुनिया, मेरे खून का हर एक कतरा तुम सा हो गया है। क्या खोया, क्या पाया, ये सोचता है ये दिल, तेरे बिना अधूरी है मेरी हर एक महफिल। तू ही अब मेरी जिंदगी का हिस्सा है, तू ही मेरा किस्सा है, एक तेरे सिवा प्रेम को अब कोई भी नहीं चाहिए मंजिल।

तुम्हारी यादों का सफर

सुनो दिकु.... दूर हो गयी तुम, तुम से बेहद प्यार करता हूँ, यादों के सागर में अक्सर डूबा रहता हूँ। आज भी तुम्हारी बातें दिल को छू जाती हैं, आँखों में आँसू बनके, हर पल मुझे रुलाती हैं। तुम्हारे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है, दिल में दर्द का तूफान सदा उमड़ता है। जिंदगी की राहों में जब भी तुम्हें याद करता हूँ, वो प्यारे पल आँखों के सामने झिलमिलाते हैं। तुम पास नहीं, फिर भी तुम्हारी यादों के साये, तुम्हारे करीब होने का मुझे एहसास दिलाते है।

नशा

सुनो दिकु तुम्हें देखे बिना ये दिल, यूँ बेक़रार है, तुम्हारी यादों का नशा, जैसे हर रोज़ नया ख़ुमार है। बिछड़ कर भी साथ हो, मेरे ख्वाबों में, तुम्हारी एक झलक ही, मेरे दिल पे असरदार है। जब तुम पास थी, जैसे हर ग़म गया, अब तो बस तुम्हारी कमी की, मुझ पे बौछार है। तुम से मिलने की तमन्ना, हर पल है जगी, किस्मत में फिर भी वो, दूरियों की मार है। तुम बिन ये जिंदगी, है जैसे कोई सज़ा, तुम्हारी मोहब्बत का नशा, अब भी बरकरार है। बड़ी मशक्कत से चला रहे है इस शरीर को प्रेम, अब तो बस तुम से मिलने का ही इंतजार है।

सपना आया

सुनो दिकु... सपना आया तेरे लौट आने का, हर पल खुशी में बिताता हूँ मैं। तेरी हंसी की गूंज में, दिल खोलकर मुस्कुराता हूँ मैं। तेरे आने की खबर से, दिल को गज़ब का सुकून मिला है। बड़ी मुद्दतों के बाद, प्रेम के मन में खुशियों का सवेरा खिला है। सपना आया तेरा हाथ मेरे हाथ में, उस पल की मिठास को, दिल में बसाता हूँ मैं। तेरा साथ पाने की आस में, हर पल खुशियों से जी जाता हूँ मैं। तेरे लौटने की आहट ने, दिल में अनेक उमंग भर दी। मेरी सुनी सी पड़ी कुटिया को, हज़ारों दीपों से झगमगाता हूँ में। सपना आया तेरे लौट आने का, हर पल खुशी में बिताता हूँ मैं। तेरी हंसी की गूंज में, दिल खोलकर मुस्कुराता हूँ मैं।

कुछ अधूरे अफसाने

कुछ अधूरे अफसाने, दिल में बसे रह गए, जिन्हें कभी लिख न पाए, वो किस्से बनकर रह गए। हर मोड़ पर तेरी याद, दिल को तड़पाती रही, हमेशा की तरह ये सिलसिले अधूरे रह गए। हर लफ्ज़ में बसी थी तेरे प्यार की मिठास, लेकिन उस मुकाम तक पहुँच न सके, जहाँ मिलना था, वहीं यादें रह गईं, वो शामें, वो बातें, फिज़ाओं में अफसाने अधूरे रह गए। ख्वाबों में तेरा चेहरा, आज भी सजीव लगता है, पर हकीकत में, तेरी कमी दिल को चुभती है। हर पल का साथ चाहा था, पर वो नसीब न हुआ, हमारे प्यार के ज़माने अधूरे रह गए। कुछ किस्से जो दिल में दबाकर रखे थे, अचानक दूरी से उन्हें जताने अधूरे रह गए। कुछ अधूरे अफसाने, दिल में बसे रह गए, जिन्हें कभी लिख न पाए, वो किस्से बनकर रह गए।

फासलों का दर्द

हाथों में तेरा हाथ, पर छू नहीं पाया, फासले जो हो गए, वो दूरी मिटा नहीं पाया। तेरे हाथ की लकीरों में ढूंढा मैंने खुद को बहुत, पर वो तेरा साथ, कभी पा नहीं पाया। अब यादें हैं, जो हर लम्हा तुझसे मिलाती हैं, तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी सी लग जाती है। हाथ उठे, पर छू नहीं पाए तेरा हाथ, बस यही पीड़ा दिल को हर रोज रुलाती है। वो पल जब तुझसे बिछड़ गया था मैं। अब हर कदम पर तुझे खोजता हूँ मैं। हाथ में तेरा हाथ है, पर फासले हैं दरमियाँ। यादों में जीता हूँ, तुझे देखने की आस है यहाँ। तेरे लौट आने की ख्वाहिश में हर लम्हा गुजर जाता है, पर तेरा वो मेरे जीवन में आना, अब भी एक सपना सा लगता है। हाथ में तेरा हाथ, पर वो गर्मी कहाँ, तेरे बिना ये दुनिया का हिस्सा, अकेलेपन से भरा बचपना सा लगता है।

जन्माष्टमी का पर्व प्यारा

रात अंधेरी में गूंजा, मधुर बांसुरी का स्वर, जन-जन में जन्मा प्रेम, धरा पर आई लहर। नंदलाल ने जन्म लिया, मुरलीधर का आया काल, मात यशोदा के आँगन में, बसा प्रेम का अपार हाल। गोकुल में हर्ष मनाए, बजी बधाइयाँ हर द्वार, कान्हा ने रास रचाया, नाचा हर ग्वाल-बाल। राधा संग रचाई लीला, मोहन ने मन हर लिया, जग में प्रेम की बंसी बजाई, पाप का नाश कर दिया। मधुबन में छेड़ा धुन प्यारी, गाए गोकुल के नर-नारी, मटकी फोड़ने की तैयारी, कान्हा ने रचाई सवारी। रात भर मनेगी ये रासलीला, मन में भरेगी नई कलीला, जय-जयकार हो कृष्ण की, हर दिल में बसी है उसकी लीला। जन्माष्टमी की शुभ बेला, भक्तों का हुआ उद्धार, गूंज उठी हर दिशा में, मोहन की जय जयकार। द्वारकाधीश का जन्म हुआ, मुरली का स्वर गूंज उठा, आओ मिलकर गाएं हम, कृष्ण जन्म का आनंद मनाएं हम।

कब तक रहेगा ये अंधेरा

सुनो दिकु...... कब तक रहेगा ये अंधेरा, कभी तो सवेरा आएगा, तेरी राह में बिखरे हैं ये तारे, कभी तो चाँद मुस्काएगा। खामोशी की इस रात में, तेरा नाम ही हर साज है, दिल कह रहा है ये मुझसे, कभी तो तेरा पैगाम आएगा। आतुर हैं आँखें तेरी राह में, तेरी तस्वीर की परछाई में, कभी तो खत्म होगा ये इंतज़ार, कभी तो मिलन का पल आएगा। कब तक रहेगा ये अंधेरा, कभी तो सवेरा आएगा, तुझ से लिपटकर बेतहाशा रोने का सपना, कभी तो सच हो जाएगा।

अफवा

कभी तेरे लौट आने की खबर आई थी, दिल ने उसे सच मानकर ख़ुशी मनाई थी। पर हर बार वो एक अफवा ही निकली, तेरी यादों से फिर दिल ने उम्मीद की लो जलाई थी। इस अफवा में भी इक हसरत थी, शायद कभी ये हकीकत में बदल जाए। तेरी बातों का वो मीठा सा एहसास, बस इसी उम्मीद से प्रेम अपने दिल को बहलाए। अब ये दिल हर आहट पर चौंक जाता है, शायद तू ही हो, सोचकर बहक जाता है। पर वो अफवा ही थी, जो मस्तिष्क से खेली, एक और रात की तन्हाई, जो दिल ने अकेले झेली। आज डॉक्टर ने अजीब सी खुशी जताई थी, तेरे लाए मीठे बेर देकर, तेरे आने की बात बताई थी। इसी तरह तेरे लौटने की खबर आई थी, दिल ने उसे सच मानकर ख़ुशी मनाई थी। पर पता चला, वो बेर नहीं, वही कड़वी दवाई थी, जो मेरे इस शरीर को ठीक करने के लिए मंगाई थी। आज फिर से अफवा ने तेरे आने की झूठी उम्मीद दिलाई थी, तेरी यादों से फिर दिल ने वही उम्मीद की लो जलाई थी।

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