कविता हिन्दी में : जोराम यालाम नाबाम

Poetry in Hindi : Joram Yalam Nabam


ओ मेरे जंगली दिल

ओ मेरे जंगली दिल आओ जंगल गीत गाएँ वह सुनता है बोलता है गाता है सुनना धर्म है जीवन है प्राण है हम ही तो थे वे हम ही वंशज आओ पदचिह्न ढूँढ़ें अपने पूर्वजों का अपनी ही साँसों का जंगल की फुसफुसाहटों का मिट्टी की धड़कनों में पंछियों के गान में पेड़ों की खिलखिलाहट में माँ को पुकारते नन्हें हिरण के विरह गीत में देखो खाई से पुकारते हैं वे आओ जंगल की गंध सुनें इन्द्रधनुष बुनें पेड़ बन फूल बन लता बन चट्टानों पर चढ़ें वे पर्वतों के शिखर पर बैठ मुस्कुराते हैं पूर्वज हमारा इंतजार करते हैं दिशाओं से काले धुएँ आते हैं नदी मटमैली हो चली है धूल से आसमान भर गया है पूर्वज धुंधलके में हाथ फैलाए पुकारते हैं कब से लँगड़ाने लगे हैं हम लेकिन आओ आँखें मलते आओ आओ जंगल की ओर थक गए हो तुम जानती हूँ मगर आओ क्योंकि आना ही हम हैं .

मैं रचनाकार नहीं हूँ

मैं रचनाकार नहीं हूँ रच ही नहीं सकती कुछ बस एक चाबी ढूँढ़ रही हूँ आकाश के ताले खोलने हैं कुछ खाली जगहें ढूँढ़नी हैं दूर तक फैली दूब चाँदनी चहक रजनीगन्धा की महक लेटता सुस्ताता विश्राम करता हर आदमी नदी हो मैं रचनाकार नहीं हूँ बहुत ही कम पढ़ी जाने वाली कविता हूँ इसीलिए तुम मुझसे बचते-बचाते चलोगे ढूँढ़ने के इस उधेड़बुन में और तुम्हें पास बुलाने की धुन में कुछ शब्द रच गए कुछ रेखाएँ खिंच गईं .

मैंने कहा उनकी धज्जियाँ उड़ा दूँगी मैं

मैंने कहा उनकी धज्जियाँ उड़ा दूँगी मैं हमसे हमारे पूवर्जों के गहने जो छीनेगा समंदर से एक आवाज आई लहरों की थी धीमी सी न… नहीं यह रास्ता हमारा नहीं धज्जियाँ उड़ाना दिल का काम नहीं तू मौज में उतर सीपियों से मोती चुन प्रिय पूर्वजों के पदचिह्न ढूँढ़ चोरों के दिल चुरा मैं प्रेम करती हूँ उस आवाज से इसलिए नीरवता का गान सुनने लगी .

कविता क्या कहूँ

कविता क्या कहूँ चिट्ठी है यह मेरी मेरे अनाम प्रेमी के नाम मुझसे प्रेम के जुर्म में वे जो सलाखों में बंद हैं मुक्ति कह मुझको दुलारते थे खबर उनकी दीवारों को चीर फ़ैल रही है हवाओं में आह कैसे बताऊँ मैं उनको नफरतों के बीच मैंने भी उनकी याद किस तरह सँभाले हैं पल-पल टूटते हृदय में मस्ती के गीत गाए हैं मेरी याद में सर्दियों की बर्फीली रातें काटी सड़कों पर बैठ महीनों आसमानी गीत गाए थे उनके नाम गुदवाए हैं गोदना अपने गले में उड़ती तितलियाँ सदियों इंतजार का वादा है यह मेरा .

प्रेमी ही देवता है

प्रेमी ही देवता है उन्होंने सारा आकाश पी लिया अकेले आग पर चलते रहे मरते रहे दर्द के नशे में हजार रूप लिए गाते रहे उन्हीं की चहलकदमियों ने धरती को सींचा है.

तुम मुझको वह सब कुछ सुनाना

तुम मुझको वह सब कुछ सुनाना कई-कई उदाहरणों के सहारे भय के अनेक राह सुझाते सुंदर कथाओं की ओट लिए हाँ वह मर्यादाओं वाली बात भी कल्पनाओं के जाल बुनते तुम्हारी ऊँगलियों के उठते–गिरते इशारों को देख मैं सुनूँगी सबकुछ सिवाए उसके जिसको मैं सुनना चाहती हूँ .

ओह मेरे बच्चे

ओह मेरे बच्चे पाँव जरा धीरे रखना मिटटी नहीं हमारे पूर्वज हैं यह …….

मृत्यु को सामने देख

मृत्यु को सामने देख आदत तो नहीं मगर प्रार्थना की प्राण निकल गई जुबां पर मूर्ति अब भी रखें हैं बरसों की मेहनत बचानी है और पैरों तले जमीन खिसक गई .

सोचा होगा

सोचा होगा सब कुछ बंद है नहीं चलेंगी ट्रेनें यहीं पटरी पर सो जाते हैं नींद ने जागने न दिया अंधकार ने खोजने न दिया इस तरह अंधेरी रात में सब कट कर मर गए .

क्यों रो रही हो ?

क्यों रो रही हो ? दुनिया रहने लायक जगह नहीं रह गई है क्यों ? सब दुःख ही दुःख दिख रहा है फिर भी रहने लायक हैं यह कैसे ? तुम हो मैं हूँ और भी बहुत से लोग हैं .

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