हिन्दी कविताऍं : डॉ. अमरजीत टांडा
Hindi Poetry : Dr. Amarjit Tanda


तू कितनी याद रहती है

(पी ए यू के नाम) तू कितनी याद रहती है मेरी रातों में मेरे ख्वाबों में कोई पल ऐसा नहीं जो तेरे बगैर सोया ना हो जो तेरे बगैर जागा ना हो सोनी सोनी तेरी मट्टी पवित्र सी अभी भी मेरे पायों में लगी मिलती है - मट्टी कहीं भी जाये साथ ले कर जाती है यादें - तेरे आस्मां के सितारे अभी भी मेरी छत पर खेलतें हैं - पी ए यू की पवन को सर झुकता है एक-आदाब बनकर सितारों के फ़ूल भेंट है तेरे लिए तेरे बृक्षों से पक्षी पंख ले कर दुनियां में उड़े तेरी फ़िज़ाओं से हज़ारों पेड़ लगे दुनिया में - आवारा सी हवा में घुमते रहे यहाँ दिल-ए-धडकन अभी भी बहां घूम रहीं है कहीं- तेरे आस्मां का सूरज लेकर नाचते रहे कई साल कायनात सांसों में कितनी याद है अब भी तेरी ख़यालों में छोपाते रहे कुश खाबों के पल तेरे परछाईआं के नीचे दफन कर दिए जो मिले जवान मौसम दो चार क्लासों में और बचे हूए पुस्तकाला में कुम्हलाये यहाँ ज़िन्दगी के नए २ खिलते फूल अरमाँ मरे -जहान खोये यहाँ काँटों को भी मुरझाना पड़ा किसी बेफाई से इन सड़कों के किनारों पे चलतें हैं अभी भी गीत मेरे सुबह शाम गुलमोहर की शाखों पे खिलतें हैं वो बन नज़ारे अबभी - अमलतास जिस मार्ग पे खिलती है जनत का द्रिश नीचे आता था आसमाँ बनकर कौन भूल पायेगा होस्टल कीं दोस्तों संग शरारतों का संसार नवाज़िशें तेरी कैसे गिरेंगी मेरे सांसों की तस्वीरों में से कौन मिटा पायेगा खुशबू को जो आती थी- किसी दुपहर के मिलन से और शाम को सैर पे जाने के बाद - दिल-ए-नक्श बने तेरे न मिट पाएं खिलतीं रहें कलियाँ तेरी फ़िजा महके जवान पवन तेरी गाती रहे नग्में-ए-मुहबत बनते रहें कारवाँ तेरे आसमाँ में खिले दिल -ए -त्रनम चलती रहें रातों में सितारों और चांदनी की कहानी खिजां-ए-पहर न आए तेरी फ़िजा में कलियाँ आंख खोलें ना मुरझाने के लिए हमारे रूह-ए-गीत संभले रखना आंसू-ए-नगमा ना खोये हमरा तेरी ज़मी पर हम आते रहें अपने पायों के निशां ढूँढने के लिए खोये हूए साँस जेबों में डालने के लिए तुझे करने सिजदा वार २ - जैसे कोई नदिया का भूला कण आ मिले उसी में फिर से -