हिंदी कविताएँ : भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव
Hindi Poetry : Bhuvneshwar Prasad Shrivastav
1. गीत-तुम दूर देश की वासी
तुम दूर देश की वासी हे प्राणों के प्रिय सपने निखरे सपनों की काया मेरे इस लघु जीवन में ऐ असीम स्वर्ग की छाया मैं बाट जोहती पुरवासी—तुम दूर... मेरे जीवन में आओ मेरे जीवन के वन को मृदु आलोकित कर जाओ चंदा तारा से आओ मैं संध्यागत आभा-सी-तुम दूर... यह कौन गीत-सा गाकर बहलाता है मेरा मन किसकी मुस्कानें उर में खिलती फूलों-सी धर-तन मैं एक अज़ान आशा-सी-तुम दूर...
2. अँगीठी
यह टूटी-फूटी जीर्ण अँगीठी मेरे शैशव की स्मृति है यह जो निज सूनेपन में उपहासित रीती-रीती है आज न मेरे उर में अगनी और न मेरे उर में आशा बने हुए हैं हम-तुम दोनों किस बीते युग की परिभाषा!
3. विश्वास
कौन वह पूर्ण-सी मौन संभ्रम पदों से विजित किए मृदु श्वास मेरे कमरे में आ चुपचाप सो गई मेरे उर के पास। प्रथम चुंबन-सी त्रस्त कंपित मेरे चिर परिचित उर के पास आह! यह कौन श्रमित अभिलाष लौट आई है मूक पिपास। सोच रहा है जग स्तब्ध रात्रि के हैं आभरण शिथिल नीम की थकी हुई छाया कर रही वातायन को मलिन किंतु मेरे उर में अनजान कोई बन मधुर चित-गान उपस्थित है निश्चय विश्वास।