हिंदी गीत इंदीवर हिंदी कविता
Hindi Geet Indeevar

मेरे देश की धरती

मेरे देश की धरती,
सोना उगले, उगले हीरे मोती

बैलों के गले में जब घुंघरू
जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोसों दूर हो जाता है
खुशियों के कँवल मुसकाते है
सुन के रहट की आवाजें
यूं लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के
दुल्हन की तरह हर खेत सजे
मेरे देश की धरती...

जब चलते हैं इस धरती पे हल
ममता अंगडाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजे इस माटी को
जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया
उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोइ नहीं
है सब पे माँ, उपकार तेरा
मेरे देश की धरती...

ये बाग़ है गौतम नानक का,
खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक,
ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरी सिंह नलवे से,
रंग लाल है लाल बहादूर से
रंग बना बसन्ती भगत सिंह,
रंग अमन का वीर जवाहर से
मेरे देश की धरती...

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आई
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलाई

देता ना दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आई
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

जीते हो किसीने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है
उस धरती पे मैंने जन्म लिया
ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली

पूरब में सूरज ने छेड़ी जब किरणों की शहनाई
चमक उठा सिन्दूर गगन पे पश्चिम तक लाली छाई

दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली
बाहों मे लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली, ओ पहन चली

ताजमहल जैसी ताज़ा है सूरत
चलती फिरती अजंता की मूरत
मेल मिलाप की मेहंदी रचाए, बलिदानों की रंगोली
दुल्हन चली, ओ पहन चली

मुख चमके ज्यूँ हिमालय की चोटी
हो ना पड़ोसी की नियत खोटी
ओ घरवालो ज़रा इसको संभालो, ये तो है बड़ी भोली
दुल्हन चली, ओ पहन चली

और सजेगी अभी और सँवरेगी
चढ़ती उमरिया है और निखरेगी
अपनी आज़ादी की दुल्हनिया, बीस के उपर हो ली
दुल्हन चली, ओ पहन चली

देश प्रेम ही आज़ादी की दुल्हनिया का वर है
इस अलबेली दुल्हन का सिंदूर सुहाग अमर है
माता है कस्तूरबा जैसी, बाबुल गांधी जैसे
चाचा इसके नेहरू शास्त्री, डरे न दुश्मन कैसे
वीर शिवाजी जैसे वीरन, लक्ष्मीबाई बहना
लक्ष्मण जिस के बोस, भगत सिंग, उसका फिर क्या कहना

जिसके लिए जवान बहा सकते है खून की गंगा
आगे पीछे तीनो सेना ले के चले तिरंगा
सेना चलती है ले के तिरंगा

हो कोई हम प्रांत के वासी, हो कोई भी भाषा भाषी
सबसे पहले हैं भारतवासी

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहां क्यूँ बसाते नहीं
दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए

ओहरे ताल मिले नदी के जल में

ओहरे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौनसे जल में?
कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में

सूरज को धरती तरसे
धरती को चंद्रमा
पानी में सीप जैसे
प्यासी हर आत्मा
प्यासी हर आत्मा
ओ मित्वा रे ए ए ए
पानी में सीप जैसे
प्यासी हर आत्मा
बूंद छुपी किस बादल में
कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौनसे जल में?
कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जल में

अंजाने होठो पर क्यू?
पहचाने गीत है
पहचाने गीत है
कल तक जो बेगाने थे
जन्मों के मीत है
जन्मों के मीत है
ओ मित्वा रे ए ए ए
कल तक जो बेगाने थे
जन्मों के मीत है
क्या होगा कौनसे पल में?
कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौनसे जल में?
कोई जाने ना
ओहरे ताल मिले नदी के जल में

नदिया चले चले रे धारा

ओहोहो ... (chorus)- २
ओ नदिया चले चले रे धारा
ओहोहोह ... (chorus)
ओ नदिया चले चले रे धारा
चन्दा चले चले रे तारा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा (chorus)
ओहोहो ... (chorus)- २

जीवन कहीं भी ठहरता नहीं है - २
आँधी से तूफां से डरता नहीं है
तू ना चलेगा तो चल देंगी राहें
है रे है रे है रे है रे (chorus)
ओ ... तू ना चलेगा तो चल देंगी राहें
मंज़िल को तरसेंगी तेरी निगाहें
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा (chorus)
ओ नदिया चले चले रे धारा
चन्दा चले चले रे तारा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा (chorus)
ओ ... (up and down)...... (chorus)- ८

पार हुआ वो रहा वो सफ़र में
ओ ... पार हुआ वो रहा वो सफ़र में
जो भी रुका फिर गया वो भंवर में
नाव तो क्या बह जाये किनारा
ओ ... नाव तो क्या बह जाये किनारा
बड़ी ही तेज़ समय की है धारा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा (chorus)
ओह... नदिया चले चले रे धारा
चँदा चले चले रे तारा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा (chorus)
ओहोहोह ...(chorus)- ४

चंदन सा बदन चंचल चितवन

चंदन सा बदन चंचल चितवन
धीरे से तेरा ये मुस्काना
मुझे दोष न देना जग वालों - (२)
हो जाऊँ अगर मैं दीवाना
चंदन सा ...

ये काम कमान भँवे तेरी
पलकों के किनारे कजरारे
माथे पर सिंदूरी सूरज
होंठों पे दहकते अंगारे
साया भी जो तेरा पड़ जाए - (२)
आबाद हो दिल का वीराना
चंदन सा ...

तन भी सुंदर मन भी सुंदर
तू सुंदरता की मूरत है
किसी और को शायद कम होगी
मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है
पहले भी बहुत मैं तरसा हूँ - (२)
तू और न मुझको तरसाना
चंदन सा ...

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते
हम भी ग़ैरों की तरह आप को प्यारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

अपनी तक़दीर में पहले ही कूछ तो ग़म हैं
और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है
वरन जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके
सामने जाम था और जाम उठा भी न सके
काश ग़ैरते-महफ़िल के न मारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं
तुम से क्या हम तो ज़िंदगी से भी शर्मिन्दा हैं
मर ही जाते जो न यादों के सहारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है
प्रीयतम मेरे तुम भी लिखना, क्या ये तुम्हारे क़ाबिल है
प्यार छिपा है ख़त में इतना, जितने सागर में मोती
चूम ही लेता हाथ तुम्हारा, पास जो मेरे तुम होती
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

नींद तुम्हें तो आती होगी, क्या देखा तुमने सपना
आँख खुली तो तन्हाई थी, सपना हो न सका अपना
तन्हाई हम दूर करेंगे, ले आओ तुम शहनाई
प्रीत लगा के भूल न जाना, प्रीत तुम्हीं ने सिखलाई
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

ख़त से जी भरता ही नहीं, अब नैन मिले तो चैन मिले
चाँद हमारी अंगना उतरे, कोई तो ऐसी रैन मिले
मिलना हो तो कैसे मिलें हम, मिलने की सूरत लिख दो
नैन बिछाये बैठे हैं हम, कब आओगे ख़त लिख दो
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें

मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें
जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो
मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना
मुझे नहीं पूछनी ...

बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा
उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा
बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना
मुझे नहीं पूछनी ...

मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की
कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की
दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना
मुझे नहीं पूछनी ...

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम, कंवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे
दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

कोई शर्त होती नहीं प्यार में, मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा, बुझाने लगीं आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो, अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, ये दीपक जला है जला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे

जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कगेंगे
जो तुमको ...

चाहेंगे, निभाएंगे, सराहेंगे आप ही को
आँखों में दम है जब तक, देखेंगे आप ही को
अपनी ज़ुबान से आपके जज़्बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
जो तुमको हो पसंद ...

देते न आप साथ तो मर जाते हम कभी के
पूरे हुए हैं आप से, अरमान ज़िंदगी के
हम ज़िंदगी को आपकी सौगात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
जो तुमको हो पसंद ...

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को
याद आए कभी तो मत रोना
इस दिल को तसल्ली दे देना
घबराए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

एक ख़्वाब सा देखा था हमने
जब आँख खुली वो टूट गया
ये प्यार अगर सपना बनकर
तड़पाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

तुम मेरे ख़यालों में खोकर
बरबाद न करना जीवन को
जब कोई सहेली बात तुम्हें
समझाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

जीवन के सफ़र में तनहाई
मुझको तो न ज़िन्दा छोड़ेगी
मरने की खबर ऐ जान-ए-जिगर
मिल जाए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

मैं तो भूल चली बाबुल का देस

मैं तो भूल चली बाबुल का देस
पिया का घर प्यारा लगे
कोई मैके को दे दो संदेस
पिया का घर प्यारा लगे
ननदी में देखी है बहना की सूरत
सासू जी मेरी है ममता की मूरत
पिता जैसा, ससुर जी का भेस, पिया ...

चँदा भी प्यारा है सूरज भी प्यारा
पर सबसे प्यारा है सजना हमारा
आँखें समझे जिया का संदेस, पिया ...

बैठा रहे सैयां नैनों को जोड़े
इक पल वो मुझको अकेला ना छोड़े
नहीं जिया को कोई क्लेश, पिया ...

होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो

न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र

ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने दिया
मौत से भी मोहब्बत निभाएँगे हम
रोते रोते ज़माने में आए मगर
हंसते हंसते ज़माने से जाएँगे हम
जाएँगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

ऐसे जीवन भी हैं जो जिए ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
है परेशान नज़र तक गये चारागार
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नही कोई जाना नहीं

दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा

दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा
एक भले मानुष को
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में
फिर भी प्यास है
सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में
फिर भी प्यास है
है प्यास बड़ी जीवन थोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

कहते है ये दुनिया के रास्ते
कोई मंज़िल नहीं तेरे वास्ते
कहते है ये दुनिया के रास्ते
कोई मंज़िल नहीं तेरे वास्ते
नाकामियों से नाता मेरा जोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

डूबा सूरज फिर से निकले
रहता नहीं है अँधेरा
मेरा सूरज ऐसा रूठा
देखा न मैंने सवेरा
उजालों ने साथ मेरा छोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया

मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया
सजके आएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा बजाएगा बाजा

अपने पसीने को मोती कर दूँगा
मोतियों से बहना की माँग भर दूँगा
आएगी बारात देखेगी सारी दुनिया
होंगे लाखों में एक दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सोलह सिंगार मेरी बहिना करेगी
टीका चढ़ेगा और हलदी लगेगी
बहना के होंठों पे झूलेगी नथनिया
और झूमेंगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सेज पे बैठेगी वो डोली पे चढ़ेगी
धरती पे बहना रानी पाँव न धरेगी
पलकों की पालकी में बहना को बिठा के
ले जाएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सजना के घर चली जाएगी जो बहना
होंठ हँसेंगे मेरे रोएँगे ये नैना
रखिया के रोज़ रानी बहना को बुलाऊँगा
ले के आएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...

कसमे वादे प्यार वफ़ा सब

कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बातें हैं बातों का क्या
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बातें हैं बातों का क्या
कोई किसी का नहीं ये झूठे
नाते हैं नातों का क्या
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बातें हैं बातों का क्या

होगा मसीहा...
होगा मसीहा सामने तेरे
फिर भी न तू बच पायेगा
तेरा अपना...
तेरा अपना खून ही आखिर
तुझको आग लगाएगा
आसमान के...
आसमान के उड़ने वाले
मिट्टी में मिल लगाएगा
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बातें हैं बातों का क्या

सुख में तेरे...
सुख में तेरे साथ चलेंगे
दुख में सब मुख मोड़ेंगे
दुनिया वाले...
दुनिया वाले तेरे बनकर
तेरा ही दिल तोड़ेंगे
देते है...
देते हैं भगवान को धोखा
इन्सां को क्या छोड़ेंगे
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बातें हैं बातों का क्या

वो खेत में मिलेगा, खलिहान में मिलेगा

आये जहाँ भगवान से पहले, किसी धनवान का नाम
उस मंदिर के द्वार खड़े खुद, रोये कृष्ण को राम
धनवान को पहले मिले भगवान के दर्शन
दर्शन को तरसता रहे जो भक्त हो निर्धन
ये दक्षिणा की रीत, ये पंडो को छ्लावे
दुकान में बिकते हुए मंदिर के चढ़ावे
ऐसे ही अगर धरम का व्यापार चलेगा
भगवान का दुनिया में कोई नाम न लेगा
ऐसी जगह पे जा के तू कुछ भी न पाएगा
भगवान ऐसा मंदिर खुद छोड़ जाएगा
छोड़ जाएगा, छोड़ जाएगा

वो खेत में मिलेगा, खलिहान में मिलेगा
भगवान तो ऐ बन्दे, इन्सान में मिलेगा
वो खेत में मिलेगा...

धनवान जो है झूठा, शैतान के बराबर
निर्धन अगर है सच्चा, भगवान के बराबर
वो ढोंग में नहीं है, ईमान में मिलेगा
वो खेत में मिलेगा...

गंगा से भी है पावन, मजदूर का पसीना
पानी न कोई समझे, अनमोल ये नगीना
ऐसे ही पसीनों के निर्माण में मिलेगा
वो खेत में मिलेगा...

एक तू जो मिला, सारी दुनिया मिली

एक तू जो मिला, सारी दुनिया मिली
खिला जो मेरा दिल सारी बगिया खिली

तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया
ना देखूँ तुझे तो खिले ना जिया
तेरे रंग मैं रंगी मेरे दिल की कली
खिला जो ...

अनोखा हैं बंधन ये कँगन साजन
बिना डोर के बंध गया मेरा मन
तू जिधर ले चल मैं उधर ही चली
खिला जो ...

कभी जो ना बिछड़े वो साथी हूँ मैं
तू मेरा दिया तेरा बाती हूँ मैं
बुझाया बुझी जलाया जली
खिला जो ...
एक तू ना मिला ...

Sad Version:

एक तू ना मिला, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है
मेरा दिल ना खिला, सारी बगिया खिले भी तो क्या है

धरती हूँ मैं और तू है गगन
होगा कहाँ तेरा मेरा मिलन
लाख पहेरे यहाँ, प्यार दिल में पले भी तो क्या हैं
एक तू ना मिला ...

तक़दीर की मैं कोई भूल हूँ
डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूँ
साथ तेरा नहीं संग दुनिया चले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...

तुझसे लिपटकर जो रो लेते हम
आँसू नहीं थे ये मोती से कम
तेरा दामन नहीं, ये आँसू ढले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे
मेरे प्यार की बहारों के नज़ारे
अब मुझे चमन से क्या लेना, क्या लेना
तेरी आँखों के दो तारे प्यारे प्यारे
मेरी रातों के चमकते सितारे
अब मुझे गगन से क्या लेना, क्या लेना

तेरी काया कंचन कंचन, किरणों का है जिसमें बसेरा
तेरी साँसें महकी महकी, तेरी ज़ुल्फों में खुशबू का डेरा
तेरा महके अंग अंग, जैसे सोने में सुगंध
मुझे चंदनबन से क्या लेना, क्या लेना

मैने देखा जबसे तुझको मेरे सपने हुये सिंदूरी
तुझे पा के मेरे जीवनधन, हर कमी हुई मेरी पूरी
पिया एक तेरा प्यार, मेरे सोलह सिंगार
मुझे अब दर्पन से क्या लेना, क्या लेना

तेरा मुखड़ा दमके चमके, जैसे सागर पे चमके सवेरा
तेरी बाँहें प्यार के झूले, तेरी बाँहों में झूले मन मेरा
तेरी मीठी हर बात, रस की है बरसात
हमें अब सावन से क्या लेना, क्या लेना
हमें क्या लेना, क्या लेना

ओ बाबुल प्यारे

ओ बाबुल प्यारे
ओ बाबुल प्यारे
ओ रोए पायल की छम-छम
ओ सिसके सांसों की सरगम
ओ निसदिन तुझे पुकारे मन हो
ओ बाबुल प्यारे

तेरी ही बाहों में बचपन खेला
खिलती गयी जिंदगानी
ओ...
तेरी ही बाहों में बचपन खेला
खिलती गयी जिंदगानी
आंधी ऐसी फिर चली टूटी डाली से कली
माली माली के उजड़ा चमन हो
ओ बाबुल प्यारे
ओ रोए पायल की छम-छम
ओ सिसके सांसों की सरगम
ओ निसदिन तुझे पुकारे मन हो

कैसे अभागन बने सुहागन
कौन बैठाए डोली
कैसे अभागन बने सुहागन
कौन बैठाए डोली
कैसे आएगी बारात
कैसे होंगे पीले हाथ
कैसे बेटी बनेगी दुल्हन हो
ओ बाबुल प्यारे
ओ रोए पायल की छम-छम
ओ सिसके सांसों की सरगम
ओ निसदिन तुझे पुकारे मन हो
ओ बाबुल प्यारे

जनक ने कैसे त्याग दिया है
अपनी ही जानकी को
बेटी भटके राहों में
माता डूबी आहों में
बेटी भटके राहों में
माता डूबी आहों में
तरसे तेरे दरस को नयन हो
ओ बाबुल प्यारे
ओ रोए पायल की छम-छम
ओ सिसके सांसों की सरगम
ओ निसदिन तुझे पुकारे मन हो

जिस दिल में बसा था प्यार तेरा

जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया
बदनाम न होने देंगे तुझे
तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा

जब याद कभी तुम आओगे
समझेंगे तुम्हें चाहा ही नहीं
राहों में अगर मिल जाओगे
सोचेंगे तुम्हें देखा ही नहीं
जो दर पे तुम्हारे जाती थीं
उन राहों को हमने छोड़ दिया हाय, छोड़ दिया
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा

हम कौन किसी के होते हैं
कोई हमको याद करेगा क्यूं
अपने दो आंसू भी हम पर
कोई बरबाद करेगा क्यूं -
उस मांझी को भी गिला हमसे
मंझधार में जिसने छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा ...

हम तुम्हे चाहते हैं ऐसे

नसीब इन्सान का चाहत से ही सँवरता है
क्या बुरा इसमें किसी पर जो कोई मरता है

हम तुम्हे चाहते हैं ऐसे
मरनेवाला कोई जिन्दगी चाहता हो जैसे

रूठ जाओ अगर तुम तो क्या हो
पल में ऐसे लगे, जिस्म से जान जैसे जुदा हो

जिन्दगी बिन तुम्हारे अधूरी
तुम को पा लूँ अगर, हर कमी मेरी हो जाए पुरी

ले चलेंगे तुम्हे हम वहाँ पर
तनहाई सनम शहनाई बन जाए जहाँ पर