गारी : बुन्देली लोकगीत

Gaari : Bundeli Lok Geet

	

रंग महल में उतरीं राधिका

रंग महल में उतरीं राधिका कर सोलहु सिंगार मोरे लाल। सासु यशोदा पूछन लागीं काहे बहु बदन मलीन मोरे लाल। कहा बताऊँ सास यशोदा लाज शरम की बात मोरे लाल। हमसे न कछु तुम सरम करौ बहु बात जो होय बताओ मोरे लाल। सोवत ती मैं रंग महल में काहु ने बेसर चुराई मोरे लाल। जिनने तुमरी बेसर चुराई बहु ने बेसर चुराई मोरे लाल। रंग महल में उतरें कन्हैया कहे प्यार कर साँवरे सिंगार। मात यशोदा पूछन लागीं कैसो भयौ बदन मलीन मोरे लाल। हमसे न कछु तुम सरम करौ बेटा बात जो होय बताओ मोरे लाल। सोवत तें हम संग महल में काहु ने मुरली चुराई मोरे लाल। जा मुरली तुम ऐसी न जानौ मैया सब ग्वालन सिंगार मोरे लाल। जा बेसर तुम ऐसी न जानौं मैया सब सखियन को सिंगार मोरे लाल। कृष्ण ने राधा की बेसर दीनी राधा ने दीनी मुरली मोरे लाल

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