द्वारचार-टीका : बुन्देली लोकगीत

Dwarchar-Teeka : Bundeli Lok Geet

	

राजा जनकजू की पौरपै

राजा जनकजू की पौरपै दशरथ सुत आये। मोर मुकुट सिर बाँध कें सिय ब्याउन आये। चंदन खौर काढ़ कें सिय ब्याउन आये। राजा जनकजू की पौर...।। माथे जो सैरो अत बनो कलगी लगत सुहाई। चंदन खौर अत बनी टिपकी लगत सुहाई। नैनन सुरमा अत बनौ सीकें लगत सुहाई। कानन कुण्डल अत बनौ बारीं लगत सुहाई। कंठन कंठी अत बनी माला लगत सुहाई। कैसरिया बागो अत बनौ पनरथ की छवि कही न जाई। पीताम्बर धोती अत बनी फेंटा की छवि सुहाई। पाउन तोड़ा अत बनौ सो महावर की छबि लगत सुहाई। राजा जनकजू की पौर में दशरथ सुत आये। मोर मुकुट सिर बाँध के सिय ब्याउन आये।

सखि सच कहौ ऐसे न देखे सुने

सखि सच कहौ ऐसे न देखे सुने सखि सच कहौ। श्यामले सलोने किसोर सखि सच कहौ। माथे पै मोर मुकुट जरकस जराउ पाग नैनन में कज्ज गरे मोतिन की माल। कानन में कुण्ड पहिरें जड़े हैं लाल प्रभु दीन के दयाल सबको राखत ख्याल। सखि सच कहौ... चंदन की खौर टिपकी लाल है गुलाल पान खायें अतरदान अतरदान की बहार हाथन में कंगन पहिरें मुदरी है लाल प्रभु दीन के दयाल सबके राखत ख्याल। कैसरिया बागौ पै फेंटा है लाल पीताम्बर धोती की नीली किनार पाँवन में तोड़ा पहिरें माहुर है लाल प्रभु दीन के दयाल सबको राखत ख्याल। इक सखि कहै धनुष जेई जो तोड़े एक सखि कहै सिया जेई जो ब्याहैं खीर खायें पुत्र होय दशरथ के लाल प्रभु दीन दयाल सबको राखत ख्याल। सखि सच कहौ... चारउ भैया अनूप जिन्हें देखन आये मदन भूप श्यामले सलोने रूप सखि सच कहौ...

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