दूज का चाँद : रवीन्द्रनाथ ठाकुर अनुवाद मूलाराम जोशी

The Crescent Moon : Rabindranath Tagore Translator Mularam Joshi


घर (THE HOME)

जब कृपण साँझ ही छिपा रही थी धीरे धीरे सोना वह अकेला पंथ खेत में जा रहा था । (1) दिन का प्रकाश मिल गया गले अंधियारों से विधवा धरती दूर पड़ी थी चुप सी चीख पुकारों से, सहसा एक आवाज गुंजाई बच्चे ने सुनसान में, पंथ बनाकर चीर अंधेरा गीत गुंजाया पार से । संध्या पूरी ढल गई थी छा गई थी रात भी । वह अकेला पंथ खेत में जा रहा था । (2) बंजर भूमि पार बसा था उसके घर का गाँव भी, छा रही थी केला खजूर की बिखरी बिखरी छाँव भी, श्रीफल के थे झाड़ कटहल लूमते थे मैं रुका एक क्षण आँख मिचौनी तारों की देखी वह अकेला पंथ खेत में जा रहा था । (3) धरती ऊपर कृष्ण पक्ष ने काला दामन फेंक दिया अनजाने आगार खड़े थे झूले बिस्तर खूब लगे थे माँ का दिल संध्या के दीपक नई जवानी खुश होती थी दुनिया जाने क्या उसकी कीमत । वह अकेला पंथ खेत में जा रहा था। तुम तक कैसे आ सकता हूँ? वे कहते हैं तीर समुंदर आ जाओ खड़े खड़े फिर कसकर अपने नयन मूँद लो, और मचलती लहरें तुमको ले जायेंगी तुरंत उठाकर । मैं तब बोला, मेरी माता मुझे चाहती, सरी साँझ दीपक जलते ही रोज मुझे ढूंढा करती है मैं उसे छोड़कर तुम तक कैसे आ पाऊँगा? हँसते हँसते नाच नाच कर निकल गये वे, इससे अच्छा खेल खेलना जानूं मैं भी। देखो माता मैं तो बन जाऊँ लहरें और बनो तुम एक नया अजनबी किनारा मैं लहरों सा लुढ़क लुढ़क कर आऊँगा तेरी गोदी में, हँसते हँसते टूट पड़ूँगा इस दुनिया में, कोई नहीं यह जान पायेगा माता बेटे दोनों कहाँ कहाँ रहते हैं ।

चंपा का फूल (THE CHAMPA FLOWER)

(1) माँ मुझे पहचान लोगी? मान लो यदि माँ मेरी मैं फूल चंपा का बनूँ और बनकर फूल ऊँचे झाड़ डाली पर लगूँ और मानो मैं बनूँ हँसती लहरती वे हवाएँ जो कि नन्हीं कोपलों पर नाच जाती हैं माँ मुझे पहचान लोगी? (2) तुम मुझे आवाज दोगी मैं कहाँ हूँ? मैं हँसूंगा किस तरह मैं चुप लगा हूँ, खोल अपनी बहुत धीरे पांखुरी को देख लूंगा जब तुम्हारा मन लगा हो काम में माँ मुझे पहचान लोगी? (3) जब तुम्हारे केश कृष्णा कंघ पर अठखेलियों में स्नान के उपरांत

व्यवसाय (VOCATION)

सुबह सुबह का घंटा जब भी दस बजे का सुनता हूँ अपनी गली से पैदल पैदल मैं शाला को जाता हूँ, रोज सुबह वह फेरी वाला आवाज लगाता मिलता है “बिल्लोर चूड़ियाँ बिल्लोर चूड़ियाँ ।” उसे नहीं है कोई चिंता जल्दी करने की, सड़क नहीं है निश्चित कोई उसके चलने की, जगह नहीं है उसकी कोई जल्दी जाने की, घड़ी नहीं है उसकी कोई घर पर आने की। मेरा मन है मैं भी फेरी वाला होता रोज सड़क पर दिन गुजारता और सदा आवाज लगाता “बिल्लोर चूड़ियाँ बिल्लोर चूड़ियाँ ।” दोपहरी के चार बजे जब मैं शाला से आता हूँ, फाटक में से उस घर के मैं बागवान को देखता हूँ हाथ फावड़ा मिट्टी खोदे उसको अच्छा लगता है, उसके कपड़े धूल सने हैं सूरज में वह पका हुआ है पसीने में सना हुआ है काम में अपने लगा हुआ है । उसको कोई नहीं टोकता कपड़े उसके गीले हैं, मेरा मन है मैं भी कोई माली होता मिट्टी ऊपर नीचे करता कोई नहीं फिर मुझे रोकता । साँझ ढले अंधियारा होता माताजी बिस्तर पर ले जाती खुली किवाड़ी देख रहा हूँ, चौकीदार चौकसी करता इधर उधर वह घूम रहा है सुनसान पड़ी है गली अंधेरी, केवल एक सड़क का खंभा लाल आँख ले खड़ा हुआ है माथे पर वह आँख लगाये दानव जैसा अड़ा हुआ है, चौकीदार कन्दील हिलाता छाया अपनी साथ लिये है लगता जैसे वह बेचारा जीवर भर से जाग रहा है।

मेरा गीत (MY SONG)

मेरे बच्चे, मेरा गीत तुम्हें घेरेगा संगीत बजेगा धुन निकलेगी प्यार भरे हाथों ने मेरे जैसे तुमको घेर लिया हो । मेरा गीत स्पर्श करेगा मस्तक का वह चुम्बन लेगा तुम्हें लगेगा मैंने कोई चुम्बन लेकर आशीष दिया है। 'गर जब तुम एकाकी होगे तुम्हें लगेगा गीत बगल में गूँज रहा तेरे कानों में और अगर तुम हुए भीड़ में चारों ओर डालकर घेरा एकलपन को दूर करेगा । मेरा गीत पंखों का जोड़ा तेरे सपने साकार करेगा तेरे दिल का वाहन बनकर अज्ञात जगत की सैर करेगा । जब कभी भी तेरे पथ पर रात घनी छा जायेगी तारा बनकर चमक चमक कर तेरा पथ उजियार करेगा ।

बालक देवदूत (THE CHILD ANGEL)

वे लड़ते और झगड़ते हैं वे शक करते और पछताते हैं अंत नहीं उनके झगड़ों का । मेरे बच्चे, प्रकाश किरण तुम बनो और आओ उनके बीच झिलमिलाती शुद्ध सी एक ज्योति बनकर उन्हें तुम शांति का आन्नद दो । लालच उनको हिंसक करता द्वेष उन्हीं का मारक बनता उनके शब्द छिपे चाकू से रक्तपिपासु बने हुए हैं । मेरे बच्चे, क्रोध उगलते दिन वालों के बीचों बीच खड़े हो जाओ भोली दृष्टि उन्हीं पर डालो क्लेश भरे सूरज पर जैसे शांति भरी संध्या की होती । मेरे बच्चे, देखें जब वे चेहरा तेरा जान जायेंगे अर्थ यथार्थ के प्यार करेंगे तुमको जब वे फिर आपस में नहीं लड़ेंगे ।

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