Dilli Aur Pani : Bindesh Kumar Jha

दिल्ली और पानी : बिंदेश कुमार झा

महानगर जितनी अपनी सुविधाओं के लिए प्रचलित है उतनी ही प्राकृतिक समस्याओं के लिए भी प्रचलित रहती है। दिल्ली जैसे महानगर जो की विभिन्न गतिविधियों के मुख्य कार्यालय का समूह भी है। पानी की समस्या को विशेष रूप से झेल रहा है। यहां न केवल जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है बल्कि जल की गुणवत्ता में भी बेहद कमी आई है। यह समस्या दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में भी दिखाई पड़ती है। बढ़ते तापमान के साथ-साथ जल की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। दिल्ली में एक सामान्य औसत व्यक्ति प्रतिदिन जल का उपयोग किस इस प्रकार से करता है।

पीने के लिए 3 से 5 लीटर
भोजन बनाने के लिए 5 से 10 लीटर
स्नान के लिए 50 से 70 लीटर
साफ सफाई के लिए 40 से 70 लीटर

ऐसे में जल की आवश्यकता सभी व्यक्ति को पूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है। लेकिन दिल्ली जैसे महानगर जो की अपनी उच्च बौद्धिक स्तर के लिए प्रसिद्ध है जहां पर शिक्षित लोगों का एक बड़ा समूह निवास करता है तो फिर जल की इतनी बड़ी चुनौती उनके सामने क्यों खड़ी हुई है। दिल्ली में बहुत सी कंपनियां है जो अपने जहरीले केमिकल्स को नदियों में डालते हैं अर्थात जल की गुणवत्ता में कमी आने का सबसे बड़ा कारण।

जरूरत से अधिक जनसंख्या का होना भी एक मुख्य कारण है।
तापमान में लगातार बदलाव भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण है।
जल का प्रयोग बहुत सावधानी से करनी चाहिए।
विभिन्न राज्यों के बीच जल को लेकर विवाद।
जल संरक्षण पर नियमों में लापरवाही करना

हमारे लिए यह समझना बेहद आवश्यक हो जाता है की जल का हमारे जीवन में क्या महत्व है। मनुष्य जब तक परिणाम का स्वयं अनुभव नहीं कर लेता तब तक वह उसके लिए सचेत नहीं होता। जल की समस्या के जो भी परिणाम होंगे उसके लिए हमें पहले से सचेतता दिखानी होगी क्योंकि उसकी पश्चात हमें विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके निवारण में एक लंबे समय का अंतराल लग सकता है। जल जीवन नहीं आत्मा है। दिल्ली वालों की आत्मा है पानी।