डलिया-विदा लड़की की : बुन्देली लोकगीत

Daliya-Vida Ladki Ki : Bundeli Lok Geet

	

सियाजू की डलिया खूब सजइयौ

सियाजू की डलिया खूब सजइयौ। हरे बाँस की डलिया मँगइयौ हरदी सें टिकवइयौ। सियाजू की डलिया... मौन रये गूजालुचई मैंदा की रूच रूच मोहरें लगवइयौ, अरे रूच रूच मोहरें लगवइयौ। सिया जू की डलिया आज सियाजू जा रई सासरें अरे सब हिल मिल जइयौ सियाजू की डलिया... मात सुनैना आँचर सँवारे अरे आँखन के पलक रखियौ। सियाजू की डलिया... जो कछु गलती होवै इनसें अरे धीरे सें समझइयौ। सियाजू की डलिया... डोला पालकी द्वारे पै आ गये अरे मैया छतिया लगइयौ। सियाजू की डलिया... हाथ पकड़ डोला में धर दई अरे वीरन कंधा लगइयौ। सियाजू की डलिया... जो कोऊ सीता की गावै विदाई अरे मन वांछित फल पइयौ। सियाजू की डलिया खूब सजइयौ।

मेरी बेटी चली ससुराल

मेरी बेटी चली ससुराल मेरे घर को खेले गुड़ियाँ। मैया जब मेरी करियो विदा टिपरिया धर दीजौ गुड़ियाँ। मेरी बेटी चली ससुराल... सर पै सोहै बेंदी भाल बिंदिया सोहै लालई लाल, लँहगा पाटन कौ बनवाय दियौ मैया तब जैहों ससुराल। मेरी बेटी चली ससुराल... छोड़ो बाबुल को घर आँगन छोड़ों मैया को सब प्यार। उड़ गई जैसे चिरिया वन की चुन गई खेत सभी चिरियाँ। मेरे घर को खेलै गुड़ियाँ। मेरी बेटी चली ससुराल... सजना ल्याये डोली कहार द्वार पै आ गई सब सखियाँ बैठार दियौ डोली में संभार जाये रई लाड़ौ अब ससुराल। मेरी बेटी चली ससुराल... मैया सुन लो मेरी बात आज तुम आओ हमारे पास। मोरी खेलत की गुड़ियाँ दियौ नदी जमुना में बहाय। मोरी बेटी चली ससुराल मोरे घर को खेलैं गुड़ियाँ।

बाबुल भेज रहे परदेश

बाबुल भेज रहे परदेश मैया के घर छूट रहे। नौ दस माह गरभ में रह कै बेटी जात तुम्हारी विदेश, माता लइयो खबर हमेश उतै हुइयें कितने कलेस मइया के घर छूट रहे। बाबुल भेज रहे... घर में बेटी भई सियानी अपने पेटे नईं समानी तासें हमने करी बिरानी। भइया के घर छूट गए। बाबुल भेज रहे... पाँसे परने ते सो पर गए कन्यादान पिता ने ले लये हमकौ वर ढूँढ विराने कर दये हमरो जनम कटै बोई देस भइया के घर छूट रहे। बाबुल भेज रहे परदेस मइया के घर छूट रहे।

छुन छुन चिरैया उड़ चली

छुन छुन चिरैया उड़ चली मोरी रून झुन चिरैया उड़ चली। मोरे लाल मोरी चाँवरन भरी चंगेल चिरैया मोरी उड़ चली मोरे लाल। आजुल ने उनकी दई है निकार आजी रानी ने लई है दुबकाय चिरैया मोरी उड़ चली। छुन छुन... उनके आजुल कौ बड़ौ परिवार चिरैया मोरी छोड़ चली मोरे लाल। बाबुल ने उनकी दई है निकार मैया रानी ने लई है दुबकाय चिरैया मोरी उड़ चली। मोरी चाँवर भरी... उनके बाबुल कौ बड़ो परिवार, चिरैया मोरी चिरैया मोरी छोड़ चली मोरे लाल। मोरी चाँवरन भरी चंगेल चिरैया मोरी उड़ चली मोरे लाल

नौने नीके दीवान लाला हो

नौने नीके दीवान लाला हो लड़ली पठै दियौ नौने नीके हो हरदौल लाल हमरी लड़ली पठै दियौ। नौने नीके हो गनेश बब्बा लड़ली पठै दियौ। नौने नीके हो देवी मैया हमरी लड़ली पठै दियौ। नौने नीके हो घटोई बब्बा लड़ली पठै दियौ। नौने नीके गंगा मैया हो लड़ली पठै दियौ।

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