भगवतीक गीत : मैथिली लोकगीत

Bhagwatik Geet : Maithili Lokgeet

	

अम्बे अम्बे जय जगदम्बे

अम्बे अम्बे जय जगदम्बे जय-जयकार करै छी हे तीन भुवन के मातु अहाँ छी तीन नयनसँ तकै छी हे सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर बइसल छी हे भूत प्रेत सभ झालि बजाबय योगिन के नचबइ छी हे राक्षस के संहार करै छी दुनियाँ के जुड़बै छी हे

अहाँ के सोभे माँ हे सुंदर मुकुट

अहाँ के सोभे माँ हे सुंदर मुकुट छनन छनन बाजे माँ के पैरों के नूपुर (लाले लाले अंचरिया खन खन कंगना चमचम चमके हे माँ अहाँ के रे गहना)-2 घनन घनन बाजे मैया चुनरी के घुंघुर छनन छनन बाजे माँ के पैरों के नूपुर (घट घट खप्पर वाली सोनित पीबई छी नास असुर के दुष्टक हवन करई छी) -2 तामस के मारल मईया लगई चूरमचूर छनन छनन बाजे माँ के पैरों के नूपुर (शेर सवारी शेरावाली कहबई छी दस भूजा वाली सबहक कष्ट हरईछी) -2 तीन नयन से अहाँ ताकईछी टुकुर छनन छनन बाजे माँ के पैरों के नूपुर

अहाँ जगत-जननी महतारी छी

अहाँ जगत-जननी महतारी छी कालिका दुलारी छी ना अहाँ छिअइ मिथिला बासी हम सब बस मिथिला काशी हम त अहींके चरणा के पुजारी छी कालिका दुलारी छी ना अहाँ बसी मिथिला देश हम सभ काटइ छी कलेश अहाँ सुख सम्पति केर अटारी छी कालिका दुलारी छी ना अहाँक रहब हजूर सेवा करब जरूर अहाँ सासुर बसि नैहर बिसराबै छी कालिका दुलारी छी ना अहाँ जगत-जननी महतारी छी कालिका दुलारी छी ना

इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि

इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि, खर्ग लिअ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो, देखि पुनि आनन्द भयो सोनाके आसन रत्न सिंहासन, आबि बैसाउ माता भगवती सोनाके झारी गंगाजल पानी, चरण पखारब माता भगवती सोनाके थारी छत्तीसो व्यंजन, भाग लगाउ माता भगवती सोनाके सराइ कपूरक बाती, आरती देखाउ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो...

कतेक दुख सुनायब हे जननी

कतेक दुख सुनायब हे जननी कतेक दुख सुनायब तंत्र-मंत्र एको नहि जानल की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी की कहि अहाँ के सुनायब मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतिआयल रखबनि संग लगाय हे जननी कतेक दुख सुनायब सूरदास अधम जग मूरख तारा नाम तोहार हे जननी दुर्गा नाम तोहार कतेक दुख सुनायब

कमल कर गहि कमलवर्णी

कमल कर गहि कमलवर्णी, कमल कोर बिच शोभिता सिंह उपर एक कमल राजित, ताहि ऊपर भगवती दाँत खटखट, जीह लह, सोने दाँत मढ़ाबिती असुर धय धय, खप्परि भरि भरि, शोणित पिबति माँ कालिका हेमन्त पति के इहो निवारण, नाम थिक देवी कुमारिका

कालिका, एलौं तोरे द्वार

कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया के चढ़ाबे अक्षत-चानन, केये फूल-कलिया सेवक चढ़ाबे अक्षत-चानन, भगत चढ़ाबे फूल कलिया के चढ़ाबे उजरा छागर, के छागर करिया सेवक चढ़ाबे उजरा छागर, भगत चढ़ाबे छागर करिया के चढ़ाबे गेरू, के चढ़ाबे अंचरिया सेवक चढ़ाबे गेरू, भगता चढ़ाबे अंचरिया कल जोरि मिन्ती करै छी हे माता सदा रहब रछपाले हे कालिका

काली के मंदिरिया मे

काली के मंदिरिया मे हम तिरिया हम नोकरिया रहबइ ना पीड़ी ओ चौपाड़ि निपबइ, नित उठि फूलो लोढ़बइ अड़हुल के हम हार बनएबइ, काली के पहिरेबइ हम नोकरिया रहबइ ना ने हम सेवा छोड़बइ, ने हम शरण सऽ जेबइ नित दिन करबइ हम चाकरिया हम नोकरिया रहबइ ना मन सऽ पूजा हम करबइ, दुख अपन कहबइ होइथिन हमरा पर सहइया हम नोकरिया रहबइ ना

खोलू ने केबार

खोलू ने केबार खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार माँ के द्वार पर फूल नेने ठाढ़ छी...। पूजन करब तोहार हे जननी, पूजन करब तोहार माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी...। आरती उतारब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार माँ के द्वार पर माखन नेने ठाढ़ छी...। भोग लगाएब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार...।

जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार

जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार जखन जगदम्बा मइया घरसौं बहार भेली जगदम्बा हे कोढ़िया काया लय ठाढ़ जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार जखन जगदम्बा मइया आंगन सौं बहार भेली जगदम्बा हे अन्हरा नयना लय ठाढ़ जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार जखन जगदम्बा मइया दरबज्जा सौं बहार भेली जगदम्बा हे बाँझिन पुत्र लय ठाढ़ जगदम्बा हे लिअ ने खबरिया हमार जखन जगदम्बा मइया गाम सऽ बहार भेली जगदम्बा हे निर्धन धन लय ठाढ़ जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार

तारा नाम तोहार

तारा नाम तोहार तारा नाम तोहार जननी, काली करथि पुकार सतयुग कलयुग दुइ प्रति हारल तीनू भुवन तोहार जननी, तारा नाम तोहार अष्टभुजा लए सिंह पर चढ़ली देखइत सकल संसार जननी, तारा नाम तोहार सुर-नर-मुनि सभ ध्यान धरतु हैं गले बैजन्ती माल जननी, तारा नाम तोहार तारा नाम तोहार जननी, काली करथि पुकार

दुखियाक दिन बड़ भारी

दुखियाक दिन बड़ भारी हे काली मइया कोखियामे पुत्र नहि, सींथो सिनुर नहि कोना कऽ दिवस गमायब हे काली मइया सेर न पसेरी काली, द्वार ने दरबज्जा काली कथी लए दिवस गमेबइ हे काली मइया सूरदास प्रभु तोहरे दरस के, सदा रहब रछपाल हे काली मइया, दुखियाक दिन बड़ भारी

नया शहर कलकत्ता हो राजा

नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

नीम खण्ड बिराजे देवी कालिका

नीम खण्ड बिराजे देवी कालिका आजु भवानी के सुमिरन कय ले सोना के आसन, रतन सिंहासन, मइया के आनि बैसा दे देवी कालिका, नीम... सोनाक थार, छत्तीसो मेवा, काली के भोग लगा दे देवी कालिका, नम... सोनाक झारी, नीर गंगाजल, काली के चरण पखारे देवी कालिका, नीम... सोनाक थार, करपूरक बाती, कालीक आरती उतारे नीम खंड बीच बिराजे देवी कालिका

भजै छी तारिणी सब दिन कियै

भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने जयन्ति मंगला काली सदा-शिव नाम थीक अपने शरण एक छि अहिंक अम्बे होयत की आन लग कहने भजै छी तारिणी सब दिन... कृपा सं हेरू हे जननी विकल छि पाप के तपने शरण एक छि अहिंक कियै छी दृष्टि के झपने भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने कहब हम जाय ककरा सँ अपन दुख दीनता अपने कयह जगदीश सब दिन सँ भगत प्रतिपालिका अपने भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

मईया के कलशा धरायब गे माई

(कुम्हरा घर से कलशा मंगायेब, मईया के कलशा धरायब गे माई)- 2 किनका चढ़ायेब बेली चमेली, किनका चढ़ायेब गुलाब गे माई किनका चढ़ायेब ओरहुल फुलबा, मईया के कलशा धरायब गे माई लक्ष्मी चढ़ायेब बेली चमेली, सरसती चढ़ायेब गुलाब गे माई दुर्गा चढ़ायेब ओरहुल फुलबा, मईया के कलशा धरायब गे माई किनका से माँगब अन्न धन सोनमा, किनका से माँगब गेयान गे माई किनका से माँगब गोदी के बलकवा, मईया के कलशा धरायब गे माई लक्ष्मी से माँगब अन्न धन सोनमा, सरसती से माँगब गेयान गे माई दुर्गा से माँगब गोदी के बलकवा, मईया के कलशा धरायब गे माई

महिमा अगम अपार, आनन्दी माँ हे

महिमा अगम अपार, आनन्दी माँ हे कथी के आसन माँ हे, कथी के सिंहासन कओने नाम धराय, आनन्छी माँ हे सोना के आसन, रतन सिंहासन काली नाम धराय, आनन्दी माँ हे तोहेँ देवी काली माँ हे, तोहेँ श्रीसुन्दरि ज्योति जरय दिन-रााित, आनन्दी माँ हे जे इहो गाओल माँ हे, पूर्ण फल पाओल दिन-दिन पाबय वरदान, आनन्दी माँ हे

माँ के द्वार पर अड़हुल फुल गछिया

माँ के द्वार पर अड़हुल फुल गछिया माँ हे फड़-फूल लुबधल डारि दछिन पछिम सँओ सूगा एक आयल माँ हे बैसि गेल अड़हुल फूल गाछ फड़ो ने खाय सुगा फूलो ने खाय माँ हे पाते पाते खेलय पतझार कहाँ गेल किए भेल डीहबार ठाकुर माँ हे अपन सूगा लीअ ने समुझाय भनहि विद्यापति सुनू जगदम्बा हे माँ हे सेवक पर रहबइ सहाय

सभकेर सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे

सभकेर सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे हमरा किए बिसरै छी हे थिकहुँ पुत्र अहींकेर जननी से तऽ अहाँ जनै छी हे एहन निष्ठुर किए अहाँ भेलहुँ कनिको दृष्टि नहि दै छी हे क्षण-क्षण पल-पल ध्यान करै छी नाम अहींकेर जपै छी हे रैनि-दिवस हम ठाढ़ रहै छी दर्शन बिनु तरसै छी हे छी जगदम्बा, जग अवलम्बा तारिणि तरणि बनै छी हे हमरा बेरि किए ने तकै छी पापी जानि ठेलै छी हे सभ के सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे...

स्वर्गसँ अयली माता काली

स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय सिंह सवार मइया डामरु बजाबय रिमझिम बाजए नूपुर, आनन्द लागय कोने फूल ओढ़न माँ के, कोने फूल पहिरन कोने फूल कालीक शृंगार, आनन्द लागय बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन ओड़हुल फूल माँ के शृंगार, आनन्द लागय स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय

हे महरानी सिया, काली के महिमा

हे महरानी सिया, काली के महिमा अगम अपार गंगा यमुनासँ माटि मंगायब, हे महरानी सिया ऊँच कए पीड़िया बनायब, हे महरानी सिया कौने फूल ओढ़न सिया, कौने फूल पहिरन कौने फूल माता के शृंगार, हे महरानी सिया बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन अड़हुल फूल माँ के शृंगार, हे महरानी सिया पहिरि ओढ़िए काली ठाढ़ि भेली गहबर सूर्यक ज्योति मलीन, हे महरानी सिया महिमा अगम अपार, हे महरानी सिया भनइ विद्यापति सुनू माता कालिका सेवक पर होइअउ ने सहाय, हे महरानी सिया

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