भात-चीकट : बुन्देली लोकगीत

Bhaat-Cheekat : Bundeli Lok Geet

	

भात जो माँगन चली बैना भैया की नगरी

भात जो माँगन चली बैना भैया की नगरी भतइया भारी भीर भई। जाओ बैना मोरी असढ़ा में अइयो सो वन के गुड़इया गये। भात जो... जाओ बैना मोरी सावन में अइयो सो वन के सिंचइया गये। भात जो... जाओ बैना मोरी भादों में अइयो सो वन के निदैया गए। भात जो... जाऔ बैना मोरी कँवार में अइयो सो वन के बुबइया गये। भात जो... जाओ मोरी बैना कातिक में अइयो सो वन के चुटैया गये। भात जो... जाओ मोरी बैना अगहन में अइयो सो वन के कटैया गये भतइया... जाओ मोरी बैना पूस में अइयो सो वन के कुरिया पड़ीं। भतइया... जाओ मोरी बैना माघ में अइयो सो रंगिया के रंगन गई। भतइया... जाओ मोरी बैना फगुना में अइयो सो दर्जी के सिवन गई। भतइया... काहू दीनौ लाँगा काहू दीनौ लुंगरो सो अंगिया कों ठिनक चली। भात जो...

करौं विनती सुनौ भैया

करौं विनती सुनौ भैया समय पै भात लै अइयौ। सास कों बीरन मोरे लाँगा लुगरों ससुर कों पाग पिछौरा लै अइयौ। करौं विनती ... जिठनी कों बीरन मोरे चुनरी औ चोली सो जेठा कों कुरता लै अइयौ। करौं विनती ... हम कों बीरन मोरे हार औ कंगना सो बहनोई को धोती कुरता लै अइयौ। जो मोरे बीरन तुमें इतनो नै पूजै तौ रीते हाथ चले अइयौ। करौं विनती ...

हरदौल चीकट लै कें आये

हरदौल चीकट लै कें आये कुंजावती के द्वारे। गाड़िन में भर कें सामान सोनो चाँदी कपड़ा दान पहुँचे गेंवड़े के दरम्यान। सारे नगर में खलबल मच गई। सोचें बस्ती वारे। हरदौल चीकट ... चीकट मण्डप नीचे आयौ कुंजावती ने रूदन मचायौ भैया अबै काय नई आयौ भैया बिना न लगै सुहानौ चीकट कौन उतारै। हरदौल चीकट ...

लटक रये फुंदना बातों के

लटक रये फुंदना बातों के छुटक रये फुंदना बातों के। गोरी घर में गेहूँ कितनौ है गोरी चावर घर में कितनौ है। गोरी घर में सोनौ कितनौ है गोरी घर में चाँदी कितनी है। दे आऊँ बहिन घर भात। लटक रये फुंदना ... राजा घर में गेहूँ नैक नहीं राजा घर में चाँवर नैक नहीं राजा घर में सोनौ नैक नहीं राजा घर में चाँदी नैक नहीं, न देओ बहिन घर भात। लटक रये फुंदना ... गोरी घर में गेहूँ कितनौ है गोरी घर में चाँवर कितने हैं, गोरी घर में सोनों कितनो है गोरी घर में चाँदी कितनी है दे आऊँ बबुल घर भात। लटक रये फुंदना ... राजा घर में गेहूँ खूब धरौ राजा घर में चाँवर खूब धरे, राजा घर सोनौ खूब धरौ राजा घर में चाँदी खूब धरी दे आओ बबुल घर भात। लटक रये फुंदना ... राजा गाड़ी भर कै चले भये दै आये बहिन घर भात। लटक रये फुंदना ... राजा तुमसे कपटी एक नहीं राजा तुमसे छलिया सुने नहीं दै आये बहिन घर भात। लटक रये फुंदना ... गोरी तुमसी ठगनी सुनी नहीं गोरी तुमसी कपटिन एक नहीं कहुँ सुनौ बबुल घर भात। लटक रये फुंदना बातन के छुटक रये फुंदना बातन के।

  • मुख्य पृष्ठ : बुन्देली लोक गीत
  • मुख्य पृष्ठ : हिन्दी लोक गीत
  • मुख्य पृष्ठ : हिन्दी कविता वेबसाइट (hindi-kavita.com)