भाँवर गीत : बुन्देली लोकगीत

Bhaanwar Geet : Bundeli Lok Geet

	

देखो सखी नृप ब्याहन आये दशरथ राज दुलारे

देखो सखी नृप ब्याहन आये दशरथ राज दुलारे जू हाँ हाँ जू कै हूँ हूँ जू। दोऊ कुल गुरू जुर मिलकै बैठे नेग जोग निरवारे जू हाँ हाँ... हथलोई हाथन धरे सिया के पियरे हाथ कराये जू हाँ हाँ जू... कंचन थार राम के आगे धर नृप चरण पखारे जू हाँ हाँ जू... गाँठ जोर फिर भाँवर पारी सब लख भए सुखारे जू हाँ हाँ जू... इतै वशिष्ठ उतै गुरू सतानन्द साकोचर उचारेजू जू हाँ हाँ जू... दुज दुर्गा धन्य भाग सखिन के जिन भर नैन निहारे जू हाँ हाँ जू...

प्यारी सीताजू की परती भाँवरें जू

प्यारी सीताजू की परती भाँवरें जू। पैली भाँवर जब परी बेटी जब लों आजुल की होय। दूजी भाँवर जब परी बेटी जब लों बाबुल की होय। तीजी भाँवर जब परी बेटी जब लों काका की होय। चौथी भाँवर जब परी बेटी जब लों भैया की होय। पाँचई भाँवर जब परी बेटी जब लों मामा की होय। छठई भाँवर जब परी बेटी जब लों फूफा की होय। सातई भाँवर जब परी बेटी हो गई पराई जू। माय बाबुल जुर मिल हरदी ल्यायेजू। बेटी के हाथ पीरे करके धर दये सजन जू के हाथ जू। प्यारी सीताजू की परतीं भाँवरें जू।

मोरी धिया गुर पौखी होय सो

मोरी धिया गुर पौखी होय सो चट चट फिर गई। भाजी कौ खवैया होय तो फिरई न जानइयो। सत मुंसू कौ जायौ होय तो फिरई न जानइयो। मोरी धिया गुर पौखी होय सो चट चट फिर गई।

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