बागा सिलाई : बुन्देली लोकगीत

Baaga Silaai : Bundeli Lok Geet

	

अगरसैर से आयौ दर्जी सों

अगरसैर से आयौ दर्जी सों हँस-हँस पूछें शहजादे की मैया कहा जौ लैहो बागे की सिलाई। अलियन कलियन रूप रूपैया सो बागौ सिलाई की मुहर अढ़ाई। अगरसैर से आयौ मलिया सों हँस-हँस पूछें बनरा की चाची कहा जौ लैहों सेहरे की बनाई। अलियन कलियन रूप रूपैया सो सेहरौ बनाई की मुहर अढ़ाई। अगरसैर से आयौ गंधी सों हँस-हँस पूछें बनरा की भौजी कहा जो लैहौ सुरमा की बनाई इंकन सीकन रूप रूपैया सो सुरमा बनाई की मुहर अढ़ाई। अगरसैर से आयौ सुनरा कौं हँस-हँस पूछें बनरा की बुआ कहा जौ लैहो कंठी की गुँजाई। आनिक मानिक रूप रूपैया सो कंठी गुँजाई की मुहर अढ़ाई। अगरसैर से आयौ बजाज कौ हँस-हँस पूछें शहजादे की बैना कहा जो लैहो पीताम्बर की लाई। ओरन छोरन रूप रूपैया सो पीताम्बर की मुहर अढ़ाई।

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