अरगौ : बुन्देली लोकगीत

Argau : Bundeli Lok Geet

	

सो उठ धना री मोरी चन्द्रवदन

सो उठ धना री मोरी चन्द्रवदन सो कमाँ रची नौनी बीदरीं। बीदरियाँ साईं हमें न सुहाये, हमरे वीरन बसे परदेस में। कर्ता बुलाहौं पतियाँ लिखाहौं। सौ नौनी धन के बीरन बुलाइयों। पतियन साईं बीरन न आवें संदेशन भौजी न आइयौ। या तो पिया मोरे आप सिधारौ, कै तो पठावौ जेठे पूत खों। हम है अकेले पुत मेरे वारे कौना कों पठाऊँ धन मायके। नीले से घुड़ला खिरकिन के पाखर पठाओ मोरे राजा जेठे पूत खों। भरी अथैया मामा हो बैठे भनैजा जाय जुहारियौ। आओ भानैजा बैठो दुलीचा कहा कही तोरी माई नें। मामन कों पुत त्यौतो दइयो माई मौसिन लिवा घर आइयौ। कबकौ भनैजा तेल औ मड़वा कबकी रची नौनी ऊबनी। आठें नमें कौ तेल औ मड़वा दसें की रचीं हैं नौनी ऊबनी। काहे सें भनैजा के चरन पखारों सो काहे सें रचौं जेवनारियाँ। दुधुअन सें भनैजा के चरन पखारों सो भोजन घिया गुड़ सेमई। नीले से घुड़ला कछु हींसत आवें मोरे वीरन राजा घर आइयो। पलकिया सी कछु मचकत आवें सो मोरी भौजी सुहागन आइयौ चूनरिया सी कछु फर्रात आवै मोरी बहिना सुहागन आइयौ। पायलिया सी कछु बाजत आवै मोरी भतीजी घर आइयौ। उसटो उसटो मोरे जेठा औ देवरा अब दल आयौ मोरे भाई बाप कौ अरवार आयौ मेरो परिवार आयौ सो मैया सी लोभिन न आइयौ। मैया सी लोभिन लोभ करत है सो ऐसी धिया जन्मी काय खों।

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