शब्द राग भाँणमली : संत दादू दयाल जी

Shabd Raag Bhaanmali : Sant Dadu Dayal Ji

शब्द राग भाँणमली (भवानी) संत दादू दयाल जी
(गायन समय मधय रात्रि)

1 कव्वाली ताल

म्हारा वाल्ला रे ! तारे शरण रहेश,
बिनतड़ी वाल्हा ने कहतां, अनंत सुख लहेश।टेक।
स्वामी तणों हूँ संग न मेल्हूँ, बीनतड़ी कहेश।
हूँ अबला तूं बलवंत राजा, ताहरा बना वहीश।1।
संग रहूँ तां सब सुख पामूँ, अंतरतैं दहीश।
दादू ऊपर दया करीनैं, पावो आणीं वेश।2।

2 जलद त्रिताल

चरण देखाड़ तो परमाण,
स्वामी म्हारै नैणों निरखूँ, माँगूँ येज मान।टेक।
जोवूँ तुझनें आशा मुझनें, लागूँ येज धयान।
वाल्हो म्हारो मलो रे सहिये, आवे केवल ज्ञान।1।
जेणी पेरें हूँ देखूँ तुझनें, मुझनें आलो जाण।
पीव तणी हूँ पर नहिं जाणूँ, दादू रे अजाण।2।

3 जलद त्रिताल

ते हरि मिलूँ म्हारो नाथ,
जोवा ने म्हारो तन तपै, केवी पेरें पामूँ साथ।टेक।
ते कारण हूँ आकुल व्याकुल, ऊभी करूँ विलाप।
स्वामी म्हारो नैणैं निरखूँ, ते तणों मनें ताप।1।
एक बार घर आवे वाल्हा, नव मेल्हूँ कर हाथ।
ये विनती साँभल स्वामी, दादू ताहरो दास।2।

4 रंग ताल

ते केम पामिए रे, दुर्लभ जे आधार।
ते बिन तारण को नहीं, केम उतरिए पास।टेक।
केवी पेरें कीजै आपणो रे, तत्तव ते छे सार।
मन मनोरथ पूरे म्हारा तन नो पात निवार।1।
संभारयो आवे रे वाल्हा, वेला ये अवार।
विरहणी विलाप करे, तेम दादू मन विचार।2।

।इति राग भाँणमली (भवानी) सम्पूर्ण।

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