काफ़ियां : ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद

Kafian in Hindi : Khwaja Ghulam Farid

51. दरद अन्दर दी पीड़ डाढा सखत सताया

दरद अन्दर दी पीड़ डाढा सखत सताया ।
हजर फ़िराक दे तीर दिल नूं मार मुंझाया ।
इशक हे डुखड़े दिल दी शादी ।इशक है रहबर मुरशद हादी ।
इशक है साडा पीर ।जै कुल राज़ सुझाया ।
ए दिल मुठड़ी गन्दड़ी मन्दड़ी ।जामन लादी बिरहों दी बन्दड़ी ।
अज़लों तांघ दा तीर ।जानी जोड़ चुंभाया ।
नाज़ तबस्सम गुझड़े हासे ।चाले पेच फरेब दिलासे ।
हुसन दे चार अमीर ।जिन्हां चौ गुठ नवाया ।
वुठड़ी पाली सदा मतवाली ।मींह वसरांद ते वाली आली ।
रह्ही रशक मलेर ।वैदा बखत वलाया ।
थियां सर सबज़ फ़रीद दियां झोकां ।सहजों ख़ुनकी चाई सोकां ।
ननद ना मायो खीर ।मूला माड़ वसाया ।

52. दरद पए वल पेटे

दरद पए वल पेटे ।डित्तड़े यार रंझेटे ।
मैं बैठीं गई उमर न आए ।लांवीं लहन दे नेटे ।
हत्थड़ीं पैरीं ग़म दे गाने ।सर सूलां दे रेटे ।
संगी सुरतीं लगड़े झेड़े ।सकड़ीं सौहरीं फेटे ।
सांवल आवे आ गल लावे ।सहजों सेहजीं लेटे ।
दिल्लड़े सौ सौ ज़खम कलल्लड़े ।सीने सख़त चपेटे ।
यार फ़रीद संभालम जैंदीं ।रब्ब डुक्ख डुक्खड़े मेटे ।

53. दरसन बिन अक्खियां तरस रहियां

दरसन बिन अक्खियां तरस रहियां ।
सै सूल सहां सिक सांग सिवा ।सुख सड़ गए खुशियां राख थिया ।
जी जलदा सीने अग्ग लगी ।दिल बेकब हजड़ूं ढलक पईआं ।
बठ सेझ सड़ी बठ तूल तत्ती ।गईआ सेंगियां सुरतियां विसरियां ।
गल कोझे कांटे ख़ार चुभन ।थई चोली सालू सहंस धईआं ।
कई लहर लुढ़े कई रोह रुले ।कई फिरदे बूटे बेटे लईआं ।
दिन बीत गए सुध बिसर गई ।साजन ने बुराईआं जोड़कियां ।
है नाज़ नहीं ऐराज मंढू ।रक्ख आस न थी ग़म वास मियां ।
बिन यार फ़रीद न ईद डिट्ठम ।खिल खेडां सारियां विसर गईआं ।

54. दसतों पीर मुगां दे

दसतों पीर मुगां दे ।पीतम इशक दा जाम ।
वहदत कीता गलबा ।भुल ग्या कुफर इसलाम ।
गुज़रे फरज़ फरीजे ।सुनत को भी सलाम ।
कशफ हकीकी आए ।गए अजगास अहलाम ।
वहदत जाती सभ दा ।है आगाज इंजाम ।
तिखड़ी तेग़ नफी दी ।गैर कीता कतलाम ।
बाझों शुगल हकीकी ।बिल कुल कूड़ कमाम ।
कर तोबा अग्यारों ।पठड़े बिरहों प्याम ।
तुरत फ़रीद फ़रीदों ।थी आज़ाद तमाम ।

55. डेहां राती संझ सथाहीं

डेहां राती संझ सथाहीं ।कनड़ीं काण्ह बजावम बींन ।
कुदसी बंसी अनहद अज़ोल ।रांझन फूक सुणावम फ़जलों ।
रक्ख रक्ख वहदत दी आईन ।
असनीनियत दी गई इल्लत ।औज थई सभ हनफी मिल्लत ।
सीन बलाल दा बेशक शीन ।
जो है मरद मुहक्कक मोकन ।उस दा थिया शैतान भी मोमन ।
मिलल नहल कुल कय्यम दीन ।
दिल्लड़ी गैरैं वैरों खाली ।सदर सदूर वलायत वाली ।
रासख मालक मुलक यकीन ।
मीसाकंो ता रोज़ हशर दे ।जूदो जूद नसार फ़क्कर दे ।
दौलत सुहबत फ़खरुदीन ।
ज़ुलम जहालत थीवम परेरे ।कीते अदल अदालत देरे ।
आई तमकीन ते गई तलवीन ।
भट्ठ घत ए तलबीस इबलीसी ए दिल सिख तदरीस इदरीसी ।
थी वारस फारान ते सीन ।
सौ सौ हमद ते लक्ख शुकराने ।यार फ़रीद लधोसे ख़ाने ।
गई तशवीश ते आई तसकीन ।

56. डेंह रात डुख़्ख़ां विच्च जालां

डेंह रात डुख़्ख़ां विच्च जालां ।वंजियां खूशियां ग़म बैठी पालां ।
यार पुनल ग्या शहर डूं ।थी राही रोही थल बर डूं ।
बेवाही क्युं आकर आकर घर डूं ।जुख जुख उमरां गालां ।
डेवन डोडे सूल सहेलियां ।बद तीनत पुट्ठड़ियां ते दिल मैलियां ।
सुंजबर सारे सेहन हवेलियां ।सिर साड़ां जी जालां ।
पीत परींदी रोज़ सवाई ।विसरे खवेश कबीले भाई ।
सट कर वीरन भैनी माई ।सांवल तैनूं भालां ।
यार न पांवां पई कुरलावां ।सुहे सेझ नूं भा भड़कावां ।
पिट्ट पिट्ट रो रो बार उठावां ।वैन करां रोह डालां ।
लगड़ी जुड़ कर चोट अन्दर विच्च ।आइम डोड़े ज़ुलम कहर विच्च ।
छड कर कल्हड़ी रोह डूंगर विच ।होत न लहम संभालां ।
यार फ़रीद न लहन्दा सारा ।सहन्दी साड़े सूल हज़ारां ।
रत्त रो रो कर रात गुज़ारां ।डुख़्ख़ डुखदीं डेंह ढालां ।

57. डेंह रातीं इशक सतावे

डेंह रातीं इशक सतावे ।ज़र घर वर रोग वधावे ।
थल रेखां झर बर देरे ।हर भिट भिट नाल बसेरे ।
सर सूला छकदे सेहरे ।गल हिजर दा हार सहावे ।
दिल लुट ग्या जोगी रावल ।सै पूर डुखां दे पल पल ।
हर वकत कहां हत्थ मल मल ।मुट्ठां नेड़ा कोई न लावे ।
रोह कोझे कालियां धारां ।पौं चुभन बबूल हज़ारां ।
सर कहर कलूर दियां मारां ।डुक्ख हर वेल्हे तन तावे ।
दिल दूद ग़मां दे दुक्ख दे ।जी हर वेल्हे प्या जुखदे ।
गए गुज़र डेहाड़े सुख दे ।मोई जिन्दड़ी सोज़ निभावे ।
है दरद अवल्लड़ा पुट्ठड़ा ।क्युं पेश प्युम ए कुट्ठड़ा ।
कुझ घटे न गाटे तरुट्टड़ा ।हत्थों मरहम ज़ख़म फटावे ।
जिन राखस सुंजड़ियां जाहीं ।रिच्छ बांदर बूज़ बलाईं ।
थए साथी संज सबाहीं ।मुट्ठी औखी उम्मर वेहावे ।
आए पेश फ़रीद गपाटे ।अंग तरुटन ते सर फाटे ।
लक्ख रोड़ां सहंस चकाटे ।तत्ती बेवस थी कुरलावे ।

58. डेस सुहा सांवल अज कल

डेस सुहा सांवल अज कल ।ना तावेसाईं मर जल गल ।
वहट में वसदा मैंधड़ा ।शहर लोदरवे मोमल ।
कनड़ीं खावन सेंगियां ।कर कर कूड़ी कल कल ।
तौं बिन नज़रम ओपरियां ।तोड़ीं साधां सोमल ।
सड़ गई सेझ सुहागड़ी ।फाटे फाटे डोड़े मल मल ।
सुरखी लह गई वह गए ।रो रो सुरमे काजल ।
सिक सिर मारम सांगरां ।ताघां तानुम वल वल ।
सूल अन्दोह अन्देसड़े ।मल मल आवन पल पल ।
भैणीं, दाईआं डरानड़ियां ।अमड़ी, वीरन, बाबल ।
कौन है दरद फरीद दा ।तौं बिन दारू दरमल ।

59. ढोलन तैडी सिक ढेर हम

ढोलन तैडी सिक ढेर हम ।ताघां घणियां चाहीं बहूं ।
खप खप करां आहीं बहूं ।तप तप उट्ठन भाईं बहूं ।
खसी दिल महीं दे चाक है ।जियड़ा सदा ग़मनाक है ।
तन चूर सीना चाक है ।सर धूड़ मूंह पाहीं बहूं ।
लगा सखत डुक्खड़ा रोग है ।बे पीर दिल नूं जोग है ।
तत्ती पई भोगेंदी भोग है ।रो रो करे धाईं बहूं ।
माही पुनल दिल्लड़ी लुट्टी ।दिल लुट्ट के थिया राही पुट्ठी ।
रुल रुल थक्की फिर फिर हुट्टी ।बूटे लईआं काहीं बहूं ।
जडां दिल नूं तैडी चाह थई ।सट्ट सेझ थल दे राह थई ।
सुंजबर कल्ही बे वाह थई ।छड्ड आसरै वाहीं बहूं ।
गुजरी फ़रीद आख़र उमर ।आई न दिलबर दी ख़बर ।
ढूंढां जंगल झर बर बहर ।तक तक रहां राहीं बहूं ।

60. दिल दम दम दरदों मांदी है

दिल दम दम दरदों मांदी है ।सिक डिट्ठड़ीं बाझ न लहन्दी है ।
हजर दियां गुज़रियां डुक्खियां रातीं ।मा प्यु खवेश न पुच्छदीं बातीं ।
सेंगियां सुरतियां लहन न तातीं ।मुट्ठड़ी पई तड़फांदी है ।
चाक महींदा मन नूं भानड़ां ।भुल ग्या सारा राज़ बबांनड़ां ।
घोलां सेज ते तोल वहानड़ां ।बेट दी रीत सुहांदी है ।
रांझन जोगी मेरा मीता ।दिल नूं जिसने जाद कीता ।
इशक तहींदा लूं लूं सीता ।रग रग मूल न वांदी है ।
भाना यार दा मन मानड़ां ।साड़ां झंग ते शहर मघ्यानड़ां ।
पा मसकीनी स्ट्टसां मानड़ां ।जिन्दड़ी झोक ग़मां दी है ।
गुज़र्या वेल्हा हस्सन खिलन दा ।आया वकत फ़रीद चलन दा ।
औखा पैंडा दोसत मिलन दा ।जान लबां ते आंदी है ।

61. दिल दरदों हुन हारी वो यार

दिल दरदों हुन हारी वो यार ।वल करीं हा कारी वो यार।
ज़ुलफ स्याह थी नाग विराधे ।डंग मरेंदे कारी वो यार ।
लूं लूं सीढ़ां जारी वो यार ।
सांवल आवीं ना तरसावीं ।मौसम चेतर बहारी वो यार ।
घर घर थई गुलज़ारी वो यार ।
यारी ला कर याद न कीतो ।जिन्दड़ी मुफत अज़ारी वो यार ।
डिठड़ी तैडड़ी यारी वो यार ।
सट कर कल्हड़ी ते बे वाही ।कीतो केच त्यारी वो यार ।
है है बे नरवारी वो यार ।
शाह बिरहों दे डितरम औहदा ।गाल्हीं दी सरदारी वो यार ।
खलअत शहर खवारी वो यार ।
सिक महींवाल दी लोड़ लुड़ायम ।मैं मुठड़ी मनतारी वो यार ।
कोझी रात अंधारी वो यार ।
डे कर दलबे कूड़ दिलासे ।लुट नीतो दिल सारी वो यार ।
मैं वारी लख वारी वो यार ।
थल बर रोही रोहीं रावीं ।रुलदी डुखड़ी मारी वो यार ।
बार बिरहों सिर बारी वो यार ।
यार फ़रीद न आइम वेढ़े ।हर दम मूंझ मूंझारी वो यार ।
रोंदीं उमर गुज़ारी वो यार ।

62. दिले दारम बसे आवारा तबे वहशत आराए

दिले दारम बसे आवारा तबे वहशत आराए ।
बिरहों बारे बरोचल दे बियाबां दशत रुलवाए ।
केहां गम दियां बातीं डुक्खी है दिल डेहां रातीं ।
ख़ुदा रा हाले ज़ारम बीं कि दसतेम व बे पाए ।
बमा ताल्या शुदा पुर की नज़ारम बे दिलो ग़मगीं ।
न पैंदा यार है झाती अजन डुक्खड़े न पादाए ।
सजन वस रस डखांइम चस सुरीझीं पेकड़ीं बस बस ।
दिल दीवाना बाहर कस न दारद हेच परवाए ।
हमेशा मूंझ वाधी है सुंजी सख़ती ज़्यादी है ।
सदा सूलां दी शादी है मैं अपने बख़त अज़माए ।
डेहां डोड़ी खराबी है कलक है इज़तराबी है ।
नमासां जी अज़ाबी है न आप आए न बुलवाए ।
ज़े इशक आरज़ रंगीं चू लाला दाग़हा देरीन ।
कीतियां हन दिल अन्दर जाहीं कडीं रब्ब यार मलवाए ।
बग़ैर अज़ मन किरा शायद फ़रीद ईं मरमरा बायद ।
डुखे पैंदे ते डुख़्ख़ बेहद ममीं राखस ते रिच्छ साए ।

63. दिलियां ते दीदां सोहना तैडड़े देरे

दिलियां ते दीदां सोहना तैडड़े देरे ।हरदम वस्सीं पियां तूं साडड़े नेड़े ।
संगियां सुरतियां हक हमसाए ।गिलड़े करन वेख वे ।
मां प्यु वीरन भैन भणीजियां ।जुड़ जुड़ लांविन झेड़े ।
जगतां मारन पेके पतने ।हासे करन सोरीजे ।
उट्ठदीं बहन्दीं टुरदीं फिरदीं ।सस्स ननान कहेड़े ।
चूचक चाक तैडा तूं मालक ।सर सर वाह दा वारस ।
मंझियां तैडियां झोकां तैडियां ।कूड़े छोड़ बखेड़े ।
कौन है काज़ी रिशवत राजी ।कौन स्याल दे खेड़े ।
बाझ ख़ुदा दे झगड़े झेड़े ।साडे कौन नबेड़े ।
डूं डहेंदे नाहक दावे ।ओड़क नाहक थींदे ।
रांझन ते मैं हस्स रस्स वस्सूं ।सड़ सड़ मरसन खेड़े ।
जो जो लेख मत्थे दे आहे ।आख़र वहा मिलिओसे ।
जिन्दड़ी छुट्टन फ़रीद है मुशकल ।वेड़्यां इशक अवैड़े ।

64. दिल इशक मचाई अग्ग साईं

दिल इशक मचाई अग्ग साईं ।डुख़्ख़ सोज़ रच्या रग रग साईं ।
घर घर मिल गए होके ।किबला यार दी झोके ।
ई जग ते ऊं जग साईं ।
दिलबर दूर सिधानड़ां ।साड़ां तूल वेहानड़ां ।
जीवां कैंदे लग साईं ।
होर नहीं कई बाकी ।एहा ज़ात सिफ़ाती ।
हां दिलदार दा सग साईं ।
मन मुंझा तन्न टुंडे ।लिंग मैले सिर भोंडे ।
सूल आवन कर वग्ग साईं ।
बिरहों रूह हयाती ।ग़म है बेली साथी ।
दरदां दी हम तग्ग साईं ।
हाल फ़रीद खवारे ।दिलड़ी ज़ार नज़ारे ।
कीतम हिजर अलग़्ग़ साईं ।

65. दिल मसत महव ख्याल है

दिल मसत महव ख्याल है ।सरे मु तफ़ावत न सहूं ।
ए ख़्याल ऐन वसाल है ।ते कमाल है न कि है जनूं ।
असल अल-असूल शेहदतुन ।हमा सू बसू हमा कू बकू ।
चेह शहूद ऐ बऐनही ।नहीं फुरसत इतनी कि दम भरूं ।
जो मकान था बन ग्या ला मकान ।जो निशान था हो ग्या बेनिशान ।
सदा इसम व रसम ज़मन दवां ।अल्ला अपने आप को क्या कहूं ।
न अयान है न नेहां है न ब्यान है न ध्यान है ।
न रहा इह जिसम न जान है ।केहां डोस होश हवास कूं ।
शुद अकस दर अकस ईं बना ।कि फ़ना बक्का है बक्का फ़ना ।
बाकी नमानद बजुज़ अना ।कत्थ ओते तूं कत्थ हां ते हूं ।
कडीं शोर दे सतवात हन ।कडीं ज़ोर दे शतहात हन ।
कई किसम दे बकवात हन ।सतून दे बतून बतून दे सतून ।
उट्ठ गई फ़रीद हवस मुंढो न रहा हई वस हिक ख़श मुंढो ।
कसे कस हो कस नाकस मुढो ।चुप्प चाप फेल फ़साद तों ।

66. दिल नूं मार मुंझायम

दिल नूं मार मुंझायम ।नित्त दे दरद अन्देशे ।
वस नेड़े चाक महींदा ।तौं बाझ ए हाल सुंजीदा ।
ज़खमी सीने चिकदे रेशे ।
डुख डुहेलियां डोड़ डुड़ापे ।सै साड़े लक्ख सूल सड़ापे ।
वैन स्यापे साडे पेशे ए गमज़े नाज़ नेहोरे ए इशवे ज़ोरें तेरे ।
सर सांगां तन मन तेशे ।
बट्ठ बिरहों बराबर वैरी ।चा कीतुस कोले कीरी ।
ज़ुलमीं मज़हब काख़ केशे ।
क्या धां फ़रीद सुनावां ।क्या रो रो जगत रोआवां ।
मसतक लिक्खड़ी आई पेशे ।

67. दिल्लड़ी दरदों टोटे टोटे

दिल्लड़ी दरदों टोटे टोटे ।पुरज़े पुरज़े ज़र्रे वो ज़र्रे ।
इशरे ग़मज़े नाज़ नहोरे ।नखरे टक्खरे ज़ोरे तोरे ।
ख़ून करेंदे ज़रे वो ज़रे ।
आपे अपणां सोहां कीतो ।आपे अपनी जाते नीतो ।
हुन क्युं थींबीं परे वो परे ।
गूढ़े नैन ते ज़ुलफां कालियां ।सोहणियां रमज़ां मोहणियां चालियां ।
जैं बिन मूल न सरे वो सरे ।
पलपल तीर निगाह दे फल्लड़े ।वलवल पेच ज़ुलफ दे वल्लड़े ।
बे वस्स केंवीं करे वो करे ।
मूंझ मुंझारी दरद अन्देशे ।डेहां रात फ़रीद दे पेशे ।
हजरों जिन्दड़ी डरे वो डरे ।

68. दिल्लड़ी नमानी कूं रोज़ मुंझारी

दिल्लड़ी नमानी कूं रोज़ मुंझारी ।छड्ड ग्या ढोला यार आज़ारी ।
इशक नहीं कई भाह ग़ज़ब दी ।सड़दी जलदी जान विचारी ।
आशक फिरदे मसत मवाली ।सर कुरबान करन लख वारी ।
दरद अन्दोह ते सूल हज़ारां ।ला कर यारी यार विसारी ।
सैद करेंदे मुरग दिलेंदे ।नाज़ो अदा हिन बाज़ शिकारी ।
चशमां शोख बहादर जंगी ।पलकां धरदियां दसत कटारी ।
जिन्द फ़रीद बचे हुन केंवें ।नैनां ख़दंग चलाई कारी ।

69. दिन रैन दिल हैरान है

दिन रैन दिल हैरान है ।आसायश न पायम हिक्क घड़ी ।
सर टुक्कड़े टुक्कड़े हो ग्या ।तन मन जल्या लूं लूं सड़ी ।
दर्या बिरहों दा तार है ।हर मौज आदम खवार है ।
न पार न उरवार है ।औखी अड़ाहीं आ अड़ी ।
एहा है हकीकत हाल दी ।सारी उम्मर रही भालदी ।
कई कल न पई महींवाल दी ।बेवस्स तत्ती लहरीं लुढ़ी ।
साथी पुन्नल छड्ड ग्युं परे ।जैं बाझ हिक पल न सरे ।
फिर फिर डूंगर घाटियां दर्रे ।सिक साथ वंज भोइ विच्च वड़ी ।
हुन इशक आदल मूं प्या ।होशो हुनर ज़ाया थ्या ।
सब महव मनसी हो ग्या ।जो कुझ्झ सिखी जो कुझ पढ़ी ।
थई दिल फ़रीद आगाह है ।हर जा जलूसे शाह है ।
बादल मूं ज़ाहर माह है ।जब झड़्ड़ गई मन की झड़ी ।

70. डिट्ठा इशक अयां ता बाज़ार गली

डिट्ठा इशक अयां ता बाज़ार गली ।सभो रमज़ ख़फी हुन थीवम जल्ली ।
सभ जलवा नूर ज़हूर डिस्से ।या ऐमन ते या तूर डिस्से ।
गई ग़बित ऐन हजूर डिस्से ।दिल वंज दिलबर दे साथ रली ।
है कशफ़ कमाल दी बात अजब ।है वजद ते हाल दी घात अजब ।
है वसल वसाल दी रात अजब ।मुट्ठी गैर दी ज़ात सिफ़ात जली ।
कडीं तैर अरूज़ दा हाल बने ।कडीं सैर नज़ूल दी चाल बने ।
जो हिजर है आन वसाल बने ।सारे सूल सड़े सारी मूंझ टली ।
जल ख़ाक ते खोट-खपोट ग़ुमां ।गुम हो ग्या ग़ैर दा नाम निशान ।
थ्या नूर वजूद सहूद अयां ।घर बार गली बाज़ार मिली ।
जथां भाल डे्ेख़ां तथे राज़ डिस्से ।सभ हुसन दे नाज़ नवाज़ डिस्से ।
सभ सोज़ फ़रीद नूं साज़ डिस्से ।हमा ओसत सुझाई रीत भली ।

71. डिट्ठड़ी यार भलाई

डिट्ठड़ी यार भलाई ।हक्क तिल तरस न आइयो ।
पा गलवाड़ी सुतड़ों ।वैदीं ना मुकलाययो ।
सहजो कोल बुल्हा के ।क्युं जानी दिल चाययो ।
है है यार बरोचल ।कैं मै तूं भरमाययो ।
जे हावी इह नियत ।क्युं वत यारी लाययो ।
जान फ़रीद निकम्मड़ी ।मुफ़त डुक्खां विच्च पाययो ।

72. डुखां सूला कीतम कक्के साईं

डुखां सूला कीतम कक्के साईं ।हुन मौत भली बे शक्क साईं ।
पुनल केच सिधायम ।वलदी ख़बर न आइम ।
रहियां राही तक्क साईं ।
घोला भैड़ी घिल कूं ।पौवन तत्ती दे दिल कूं ।
सौ सौ पूर ते जक साईं ।
आए सख़त करूप कशाले ।कौन बन्दी दे टाले ।
जो लिख्या मसतक साईं ।
डुखड़े दरद डुखेंदे ।जान जिगर विच्च पैंदे ।
सौ चूंढी लक्ख चक्क साईं ।
भाग सुहाग ग्यो से ।यार दिलों विसर्यो से ।
पक्क साईं हिम पक्क साईं ।
हजर फ़रीद उजाड़ेम ।सोज़ अन्दर दे साड़ेम ।
दिलड़ी हम चक्कमक्क साईं ।

73. डुख ढेर सुख दा वैर है

डुख ढेर सुख दा वैर है ।रीड़ां घणियां पीड़ां बहूं ।
रत रो हंजू नीरां वहन ।नक्क-सीढ़ ते सीढ़ा बहूं ।
जुख जुख करा धाईं बहूं ।डुख डुख कढ्ढां आहीं बहूं ।
दुक्ख दुक्ख उठन भाईं बहूं ।उक चुक्क पईआं धीरा बहूं ।
सर भोंडा चड़्या ख़ाक है ।मूंह धूड़ सीना चाक है ।
चूचक थिया हुन चाक है ।मुट्ठी झोक दिल वीरान बहूं ।
सभ लोक करदा टोक हिम ।लगी दिल न्यारड़ी नोक हिम ।
डित्ती बिरहों डाढी चोक हिम ।चुट्टी दरद दे तीरां बहूं ।
बे पीर दिल दियां चालियां ।सभ हन उपट्ठियां गाल्हियां ।
पीतम न पीतां पालियां ।रो रो करे रीड़ां बहूं ।
कल्ही मैं नमहीं एहीं जोलदी ।फिरे लक्ख फ़रीद एहीं तोलदी ।
दिल बोड़दी दिल रोलदी ।सोहणियां सस्सियां हीरां बहूं ।

74. डुखे डेंह फुरकत दे निभन

डुखे डेंह फुरकत दे निभन ।मुट्ठे नैन रो रो रत्त थीवन ।
साथी पुनल ग्या दूर है ।सर दरद कहर कलूर है ।
तन चूर मन रंजूर है ।शाला सजन कोले वसन ।
माही मिट्ठल ग्युं रोल वे ।वाह ढोल तैंडड़े बोल वे ।
डेखां है कैंदे कोल वे ।दिल ढांढ दरदां दे बलन ।
दिल्लड़ी तपे सीना जले ।जियड़ा डुखे जिन्दड़ी गले ।
हड्ड चम्म सड़े लूं लूं तले ।अक्खियां डुखन दीदां सिकन ।
मूनस ते ना गमखवार है ।चौगुट्ठ सख़त उजाड़ है ।
पलपल गमां दी धाड़ है ।मुशकल निभावां रात दिन ।
डिट्ठड़े सवा किकर रहूं ।सुंज बर फ़िरूं डुख़ड़े सहूं ।
जथ रिच्छ घने राखस बहूं ।बांदर बलाईं भूत जिन ।
सय्यद फ़रीद सहसी सभे ।माही पिच्छे राही थीए ।
या वंज मिले या रुल मोए ।गए हिन डुक्खां नूं साथ घिन ।

75. डुक्खे इशक दे डुक्खड़े घाटे नैं

डुक्खे इशक दे डुक्खड़े घाटे नैं ।सर फट्टड़ा तरुटड़े गाटे नैं ।
मैं जात सोहना यार पुनल ।रहसी कोल न वैसी केच डूं वल ।
हुन वलवल पूर पौवन पलपल ।अक्खीं नीर हंजू फरवाटे नैं ।
सुंज सेझ अते गुल ख़ार थीए ।धईआं हार हमेलां मार थीए ।
जिन्द जोखों तार व तार थीए ।मुट्ठी दिल्लड़ी किरम गघाटे नैं ।
बुरा बिरहों बुरी बीमारी है ।डुक्ख पैर ते नाला जारी है ।
ढोले बाझ न हरगिज़ कारी है ।कूड़े सरबत घोटे चाटे नैं ।
बदूं बांदर बूज़ अदाईं हन ।गड गैंडे गुरग बलाईं हन ।
थल मारू औखियां जाहीं हन ।सरड़ाटे सख़त चकाटे नैं ।
बठ वाली वालियां बूल तते ।आए पेश तत्ती दे सूल तत्ते ।
पैरी चुभन हज़ार बबूल तत्ते ।हक रीत तत्ती थ्याभाटे नैं ।
आई रोहां जबलां जाल मेरी ।मम्मीं डैणीं लहन संभाल मेरी ।
रिच्छ राखस रक्खदे भाल मेरी ।डेंह गत फ़रीद गपाटै नैं ।

76. डुखी दिल्लड़ी दरदीं मारी

डुखी दिल्लड़ी दरदीं मारी ।हर वेल्हे आज़ारी ।
सोज़ अन्दर विच्च सूल जिगर विच्च ।आइम बरोच रोह डूंगर विच्च ।
सख़त सफ़र विच्च जुलम कहर विच्च ।होत न कीतम कारी ।
दार मदारां सुंजड़ियां बारां ।पर्रबत धारां ग़म दियां मारां ।
परम पुकारां जिन्दड़ी वारां ।यार विसारी यारी ।
शान शरम ग्या भीम भरम ग्या ।दीन जरम ग्या दैर धरम ग्या ।
लुतफ़ करम ग्या नेक रहम ग्या ।लगड़ी शहर खवारी ।
औखियां घाटियां लक्ख लक्ख घाटे ।खुड़बन भाटे सहंस गपाटे ।
तत्तड़ी वाली डुक्खड़े घाटे ।कर कर पीत प्यारी ।
नेंह निभाया रोज़ सिवाया ।पोर पराया मुफ़त अज़ाया ।
दीद मुसाया ज़ुलफ अड़ाया ।घत्त घत्त पेच दी गारी ।
साड़िन छाती मारन काती ।सोज़ है साथी रोग है भाती ।
हजर दी झाती खिसम हयाती ।पल पल मौत त्यारी ।
दरद फ़रीद जदीद जदीदे ।ईद बईदे बख़त अनीदे ।
शौक शदीदे मूंझ मज़ीदे ।बार बिरहों सर बारी ।

77. डुखड़े पुखड़े आइम

डुखड़े पुखड़े आइम ।खुशियां भावनड़ूं रहियां ।
चांदड़ियां रातीं बिरहो बरातीं ।सईआं खेडन गईआं ।
रुत सावन दी मींह बरसातीं ।रल मिल धावन पईआं ।
सदके कीता नाल न नीता ।पकड़ न खेड़ा बईआं ।
रोज़ अज़ल दा वारस साडा ।तूं है रांझन साईआं ।
विसरिअम सारा राज बबाना ।विसरियां सेगियां सईआं ।
सकड़े सौहरे खवेश कबीले ।सट कर तैंडड़ी थईआं ।
सेगियां सरतियां शहर सुहावन ।मैं वत्त बूटे लईआं ।
इशक फ़रीद कूं खलअत डित्तड़ी ।मूंह सिर भुस्सड़ छईआं ।

78. डुखड़ीं कारन जाई हम

डुखड़ीं कारन जाई हम ।सूलीं सांग समाई हम ।
दरद अन्देशे सकड़े सौरे ।ब्या ना भैन ते भाई हम ।
गहली कमली सूंजड़ी धुर दी ।हक ग़म दी सधराई हम ।
जावन लादी पंड बला दी ।चुम सिर अक्खियां चाई हम ।
राहत वेंदीं विदा ना कीतम ।मई हम पर मतराई हम ।
पीड़ पुरानी अमड़ी सकड़ी ।मूंझ मंझारी दाई हम ।
सख़ती ते बद बख़ती तत्तड़ी ।हाल वंडायो हमसाई हम ।
बे ठाई दी चोली चुनड़ी ।पाई हम पा ठमकाई हम ।
सिर ते छतड़े चोटियां मत्थड़े ।तैं संग दिल्लड़ी लाई हम ।
हू हू फकड़ी शहर खवारी ।चाती फ़खर वडाई हम ।
किवें यार फ़रीद वसारां ।जै कीते इथ आई हम ।

79. डुक्ख सीने ते मूंग डाले

डुक्ख सीने ते मूंग डाले ।सिक्क तड्डी तड्डी तेल डखाले ।
ग़म दरद अलम बद नीते ।पए साड़न सोज़ पलीते ।
थए मैं मुट्ठड़ी दे कीते ।सब रानी खां दे साले ।
कई डेंह ना रल गुज़र्यु ने ।सारी आस उमीद वंज्युं ने ।
है ख़बर नहीं क्या थ्यु ने ।थए पेची केच उबाहले ।
हम संगती सारे खोटे ।खच बाज़ उपट्ठड़े डोटे ।
रल मिल बे दरद कल्होटे ।पए करन ख़िलां हां काले ।
तत्ती सोज़ अन्दोह वचाले ।सै वाके फ़ाके घाले ।
नित्त रोह पत्थर पड़ताले ।हत्थी लफां पेरीं छाले ।
कर सबर फ़रीद निभेसां ।पई सूली सांग जलेसां ।
दम जैंदीं तई पुकरेसां ।मतां कादर सख़ती टाले ।

80. डुख थीए बांह बेली वो यार

डुख थीए बांह बेली वो यार ।हथी अइम अकेली वो यार ।
तौं बिन डेवम कौन दिलासे ।थी ना सांवल आसे पासे ।
माणीं अंगन हवेली वो यार ।
आली अदनी जो जग जीवे ।मैं वांगन पई कई न थीवे ।
डुखड़ी ! वाढी !! व्हेली!!! वो यार ।
ना माही ना मंझियां डिसदियां ।अक्खियां विसदियां दिलड़ियां फसदियां ।
जिन्दड़ी थी भां बेली वो यार ।
सौं है नाज़ निगाह दी मैकूं ।जे तैं वल न डेखां तैकूं ।
रहसां मैल कुचैली वो यार ।
किथ ओ आसां किथ ओ माने ।ना माही ना राज बबाने ।
जैसां डुख डुहेली वो यार ।
भाग सुहाग सुंजी तूं रुठड़े ।हार, हमेलां गाने तरुटड़े ।
टोटे बांह चुड़ेली वो यार ।
हक मैं दरद अन्दोह विचाले ।पई सभ नाज़ नवाज़ीं जाले ।
तरै सौ स्ट्ठ सहेली वो यार ।
बाझों यार फ़रीद दा हीला ।कजड़ा, कोझा, ते रंग पीला ।
सेंध धड़ी थई मैली वो यार ।

81. ए इशक नहीं सर रोह है

ए इशक नहीं सर रोह है ।डुक्खीं सूलीं दा अम्बोह है ।
न तूल्ह टांग सन्दारी ।मैं मन तारी ते नैं बारी ।
मींह बूरी रात अंधारी ।ब्या खास महीना पो है ।
थी यार रखे हम राज़ी ।है कूड़ी हीला साज़ी ।
है पेच अते ठग्ग बाज़ी ए लुतफ़ नहीं कोई दरो है ।
पईआं खोज़ पुन्नल दियां ख़बरां ।गईआं रोग अन्दर दियां डमरां ।
जड्डां आशकां बद्धियां कमरां ।थई दिली ढाई को है ।
रो रिंग रिंग कहम करेहल ।बट्ठ डुक्ख सुख़ रज्ज बुख दी ग़ल ।
दम जैंदी तोड़ी गेहल ।जथ जोह जतन दी तहो है ।
ना यार फ़रीद मिल्यु से ।ना दरदीं वांद डित्तो से ।
पंध कर कर हुट्ट प्यु से ।संध संध दी निखती मोहै ।

82. ए रीत सिखी हई कैं कनों

ए रीत सिखी हई कैं कनों ।ढोला लुक छुप्प बहन्दीं मैं कनों ।
जुड़ तेग़ बिरहों दी मार ग्युं ।खस सबर आराम करार ग्युं ।
क्युं झोक लडा लंघ पार ग्युं ।कोई पुछन वाला हम तैं कनों ।
डेहां डोड़े डुक्खड़े पौंदियां ।रत्तै रो रो रात निभाउंदियां ।
कर वैन डोहाग सुहाउंदियां ।वंज हाल घिनो हमसाईं कनों ।
जैंदे नाल मुहब्बत जकड़ी है ।लगी शहर मलामत फकड़ी है ।
दिल मिनहड़ों सिठड़ों तकड़ी है ।निसे डरदे मेहनीं कनों ।
ए रोही यार मलावड़ी वे ।शाला होवे हरदम सावड़ी वे ।
वंज पीसूं लसड़ी गाउड़ी वे ।घिन अपने सोहने सैं कनों ।
ग़म दरद फ़राक दी रोलड़ियां ।गईआं नाज़ नवाज़ दियां टोलड़ियां ।
थई गहली कमली भोलड़ियां ।धक मार झल्लां जैं तैं कनों ।
दिल झर जंगल दी बांदी है ।जथां झोक मैंडे मित्तरां दी है ।
बू सिदक वफा दी आंदी है ।इनहीं सावीं सनेहड़ीं लैं कनों ।
कुझ याद नेहाली तूल नहीं ।कोई संगती बाझों सूल नहीं ।
तुड़ पार वंजन दा मूल नहीं ।हैं नैनां दी बारी नैन कनों ।
बिन यार फ़रीद न जीवां मैं ।क्युं एझीं औखी थीवां मैं ।
नूर हर प्याला पीवां मैं ।छुप पौसां सूलीं सैं कनों ।

83. ग़मज़े करदे जंग

ग़मज़े करदे जंग ।लड़दे मूल न अड़दे ।
नेज़े तीर तफंग ।कहरी नाज़ नज़र दे ।
ज़ुलफ है बशीर अबरू बिछूए ।मारन डंग नसंग ।
चिकदे ज़खम जिगर दे ।
सांवल दी है तरज़ अनोखी ।तन नाज़क दिल संग ।
ज़रा मेहर न करदे ।
बिरहो असां वल ख़लअत भेजी ।सावा पीला रंग ।
सौ सौ सूल अन्दर दे ।
इशक वंजायम सरम भरम कूं ।ग्या नामूस ते नंग ।
गुज़रे वकत सबर दे ।
हाल फ़रीद दा डुख़्ख़ डुहेला ।दिल्लड़ी कीतुस तंग ।
ना जींदे ना मरदे ।

84. घाटे इशक दे घाटे जाते मैं

घाटे इशक दे घाटे जाते मैं ।ता भी चुम्म सर अक्खियां चाते मैं ।
खोटा नेंह अनोख़ा वैरी है ।मूंह धूड़ मिट्टी सिर केरी है ।
डुक्खां सूलां दिलड़ी घेरी है ।पलू सूल कुपत्तड़े पाते मैं ।
सजी रात सुंजी तड़फांदी है ।तत्ती तूल सोतीं अग्ग लांदी है ।
डूखी डुसक डुसक कुरलांदी है ।बुरे बिरहों दे साह सुंजाते मैं ।
बेवाही वाह! वाह!! वाह!!! मेरी ।है हू! हू!! इज़त जाह मेरी ।
सुंजवाह है तकिया गाह मेरी ।पाती पीत तों इहा बराते मैं ।
लगी तांग पुनल दी सांग जुडां ।भन्ना चूड़ा उज्जड़ी मांघ तुडां ।
अल्ला थसिम वसल दा सांग कडां ।सेहरे साड़ स्टे गहने लाथे मैं ।
ना बाझ है बाझ ख़वारी दे ।इह हाल तुसाडड़ी यारी दे ।
डुखे गुज़रन डेंह अज़ारी दे ।मुट्ठे नैन कुललड़े लाते मैं ।
गल ज़ुलफ दा पेच प्युम ।हत्थ होत दे दिल्लड़ी वेच डितम ।
सट सेझ फ़रीद बईद थ्युम ।वैसां केच न ररिसां जाते मैं ।

85. गूढ़ियां अक्खियां सदा मतवालियां

गूढ़ियां अक्खियां सदा मतवालियां ।रत्त पीवन कान उभालियां ।
तन मन बन्न्ह बन्न्ह कैद करेंदियां ।रग रग वग वग पेच अड़ेंदियां ।
इह ज़ुलफां दिल्लड़ी कालियां ।
जान जिगर विच्च पाविन दामां ।इसवे ग़मज़े नाज़ ख़रामा ।
वाह नाज़क रेडां चालियां ।
करन न टाले मोहन माले ।बेंसर बोल अते कटमाले ।
क्या फुलवाले क्या वालियां ।
साड़िम दिलड़ी डुक्खड़ीं कुट्ठड़ी ।जिन्दड़ी लुट्टड़ी सुक्खड़ीं खुटरी ।
ब्यां अक्खियां दरदों आलियां ।
घोले कूचे शहर बज़ारां ।सोहन फ़रीद नूं उज्जड़ियां बारां ।
डित्तियां बिरहों मुलक नकालियां ।

86. गुज़र गई गुज़रान ग़म दे सांग रल्योसे

गुज़र गई गुज़रान ग़म दे सांग रल्योसे ।
डिट्ठड़ा जमल जहां न कुझ्झ पलड़े प्यु से ।
वैंदी यार न खड़ मुकलाया ।केचों कोई पैग़ाम न आया ।
जिन्दड़ी दा जजमान ।गल दा गेड़ थ्यो से ।
ना माही न रिंग महींदी ।झोक उजाड़ डिस्सम तेंह डेंह दी ।
बेला थ्या वीरान ।थी बे आस रुल्योसे ।
लांवी लेंहदी प्युम विछोड़ा ।खारे चढ़दी आइउम धोड़ा ।
महन्दी सुरखी बान ।नीला रंग वट्यो से ।
वैन स्यापे मातम गाहने ।डुक्ख डुहाग दे भोल वेहाने ।
सूलां दा सामान ।अज़लों डाज ढइओसे ।
छोटी उम्मर रंडेपा आइम ।खोटी किसमत खोट कमायम ।
डुज्जा ए इरमान ।वेंदीं न मुकल्योसे ।
जैंदी तईं ए दरद निभेसां ।मरदीं दाग़ कबर विच्च नेसा ।
पिट्ट पिट्ट थ्या ख़फ़कान ।रो रो ख़लक रौव्यो से ।
जैं बिन हिक्क पल मूल न विसे ।बाकी करने आए किसे ।
वह तकदीर दा शान ।क्या हा क्या थी ग्योसे ।
कर कर याद फ़रीद सज्जन कूं ।ला गल रोवां हिक्क हिक्क वण कूं ।
जान जिगर विच्च कान ।जानी जोड़ मर्यो से ।

87. गुज़र्या वकत गुंधावन धड़ियां

गुज़र्या वकत गुंधावन धड़ियां ।विसर्या हार सिंगार असाहां ।
रोग करूप कशाले हर दम ।दरदों नाला ज़ार असाहां ।
सुरमा पावन सुरख़ी लावन ।बेंसर बोल ते मांघ बणावन ।
सहजों फुलों सेहरे पावन ।सभ कुझ थया बेकार असाहां ।
तन मन चुभ्भड़ी साग ग़मां दी ।जान जिगर विच्च चूक डुक्खा दी ।
दिल्लड़ी सूली कीती मांदी ।सीने सौ सौ ख़ार असाहां ।
हस्सन खिलन कुझ याद न आवे ।रोंदी खपदी उम्मर नभावे ।
जिन्द जुख जुख लक्ख रंज उठावे ।डुक्खड़े तारो तार असाहां ।
पीत पुनल दी रग रग घेरिम ।यार अग़यार कनूं मूंह फेरिम ।
झूर झुगटे जुड़ जुड़ वेड़िम ।छुट्ट ग्या कुल कंम कार असाहां ।
यार फ़रीद न आइम वेड़े ।टोकां करदे खेड़े भेड़े ।
सोहने कीते सख़त नखेड़े ।तूल तत्ती दार असाहां ।

88. ग्या रोल रावल विच्च रोह रावे

ग्या रोल रावल विच्च रोह रावे ।ना यार मिलदा ना मौत आवे ।
आतन कतेंदी संगियां सतावन ।जुगतां मरेंदियां बोलियां सुणावन ।
कई केस करदियां कई नोक लावन ।जियड़ा हमेशा सदमे उठावे ।
भैनी न भावां अम्मड़ी अलावे ।पेके सोर्हे जे हर कोई डखावे ।
जानी अवैड़ा फेरा न पावे ।हक्क सेझ साड़ने ब्यां तोल तावे ।
डुखड़े सस्सी नूं डेहों डेंह सवाए ।जैं डेंह बरोचल घर डु सिधाए ।
मुंझी मुंझाए सूलीं सताए ।कादर कडाहीं विछड़े मलावे ।
मुट्ठड़ी अकेली सांवल न बेली ।अलभल न करदी सर ते सहेली ।
नज़रे हवेली सुंजड़ी डुहेली ।मारू थलां दी वाली सहावे ।
किसमत फ़रीदा डित्तड़ी न वारी ।असलों पुन्नल कीतम न कारी ।
केडे वंजे दरदां दी मारी ।रो रो निभाई जग नूं रोवावे ।

89. है अरब शरीफ सधाई

है अरब शरीफ सधाई ।बू सिंध पंजाब दी आई ।
बिन अरब इह अक्खियां रोवन ।रो हार हंजूं दे पोवन ।
कर नीरे मुक्खड़ा धोवन ।दिल दरदीं चोट चखाई ।
ए पहली मंज़िल हद्दे ।थई शहर मुबारक जद्दे ।
कुल्हा बहर दी शद्दे मद्दे ।अज्ज अनद वैदी मुकलाई ।
कर सई तवाफ ज़्यारत ।लह लुतफ़ो अफ़ू इशारत ।
घिन इशकों ज़ौक बशारत ।वल्ल वतने वाग वलाई ।
क्युं गाने गहने पावां ।क्युं सुरख़ियां मैंदियां लावां ।
क्युं कज्जला धार बणावां ।है थीवस नसीब जुदाई ।
कुल सेहरे हार कमाने ।कुल नाज़ नवाज़ वेहाने ।
गए जोश जवानी माने ।ग्या धज विच्च फ़खर वडाई ।
तों बाझों सांवल घर विच्च ।हां बेशक सख़त सफ़र विच्च ।
थल मारू सुंजड़े बर विच्च ।हम सख़ती रोज़ सवाई ।
गई आस फ़रीद न पुनड़ी ।जी जल्या दिलड़ी भुन्नड़ी ।
सर सोज़ फ़राक दी चुनड़ी ।गल दरदों चोली पाई ।

90. है! है!! यार बरोचल

है! है!! यार बरोचल ।हक तिल तरस न कीता ।
करके सखत निमानी । अपने नाल न नीता ।
हजर प्याला अज़लों ।मैं मुठड़ी लोपीता ।
जैं डिंह सजन सिधाए ।डुखे आया सुख बीता ।
सूल कुलल्लड़ा कोझा ।लूं लूं रग रग सीता ।
असलों महज विसार्युस ।ला कर परम पलीता ।
रोह फ़रीद लताड़ां ।शाला खाविम चीता ।

91. है इशक दा जलवा हर हर जा

है इशक दा जलवा हर हर जा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
ख़ुद आशक ख़ुद माशूक बण्या ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
ख़ुद बुलबुल ते परवाना है ।गुल शमा उते दीवाना है ।
थी चांद चकोर नूं मोह ल्या ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
कडीं मूसा थी मीकात चढ़े ।वल वाअज़ करे तौरेत पढ़े ।
कडीं ईसा याहा ज़िकरिया ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
कथे शाद कथे दिल तंग डिस्से ।कथे सुल्हा डिसे कथे जंग डिस्से ।
थिया शान जलाल जमाल अदा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
किथे राज़ अनल हक्क फाश थिया ।कथे सुबहानी दा वरद पढ़आ ।
किथे इनी अबद रसूल केहा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
हन हसती दे नैरंग अजब ।हन हुसन अज़ल दे ढंग अजब ।
बे रंग बहर हर रंग अजब ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
है महज मुकाम तहौयर दा ।बट्ठ हीला दर केवत फ़कर दा ।
हैन डूंघड़े डोंह डूं हत्थ न पा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
तकदीस कथां तनज़ीह कथां ।तकलीद अते तशबीह कथां ।
है हैरत सिख़ तसलीम व रज़ा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
थई aुम्मर तलफ़ बरबाद सभो ।हयात सभो फर्याद सभो ।
मर मर दे तईं न प्युम समा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।
है पीत फ़रीद दी रीत अजब ।है दरद ते सोज़ दी गीत अजब ।
सुन समझो सारे अहले सफा ।सुबहान अल्ला ! सुबहान अल्ला !! ।

92. है सदके घोले यार तों

है सदके घोले यार तों ।इहो जेड़ा नेह निप्पनां ।
शाला हुसन जवानी माने ।मुट्ठड़ी दिल दा वन्नां ।
थल तैडे चतराग वी तैडे ।मुलक मलेर दा बन्नां ।
डुख दा हाल ना थीवम पूरा ।चित्तरां सौ सौ पन्नां ।
जी तूं आवें तन मन डेसां ।पीरा परम दा छन्ना ।
बैअत करके इशक कढायम ।इलमो अमल तों बन्नां ।
सोहने दे विच्च वसफ़ वफ़ा दी ।इह गाल्ह न मन्नां ।
बिरहों फ़रीद थीवसे साथी ।सब शै तों जी भन्नां ।

93. हर दिल जो दिलदार ! यार महंजु

हर दिल जो दिलदार ! यार महंजु ।सोहणियां जो सरदार ! यार महंजु ।
कथ मुला कथ आमिर नाहीं ।कथ मनसूर दे दार ! यार महंजु ।
आप छुपाए राज हकीकी ।आप करे इज़हार ! यार महंजु ।
किथ बुलबुल किथ गुल जी सूरत ।बरग किथां कित्थ खार ! यार महंजु ।
किथ सुरखी किथ नाज़ नजाकत ।किथ कज्जला किथ धार ! यार महंजु ।
कथ ढोलक ते कथ तान तुगना ।किथ सूफ़ी कथ सरशार ! यार महंजु ।
किथ आबद ते किथ नफल दोगाना ।किथ कैफी मै खवार ! यार महंजु ।
कथ आशक कथ दरद कशाले ।कथ दिलबर ग़मखवार ! यार महंजु ।
यार फ़रीद नहीं विच्च परदे ।ख़ुद परदा है यार ! यार महंजु ।

94. हर जा ज़ात पुन्नल है

हर जा ज़ात पुन्नल है ।सूफ़ी समझ संजान ।
लैसा कमिसला शै उन ।सब शै उस नूं जान ।
यबक्का वजाहू रबक्का ।बाकी कुल शै फान ।
ला यहताज सिव अल्ला ।है फ़कर दा शान ।
ला मौजूद सिव अल्ला ।साडा दीन ईमान ।
हक्क बाझों ब्यु बातल ।ध्यान रखीं हर आन ।
इलम फ़रीद है हाजब ।बे शक बे इरफ़ान ।

95. हर जा ज़ात पुन्नल जी

हर जा ज़ात पुन्नल जी ।आशक जान यकीन ।
हर सूरत विच्च यार दा जलवा ।क्या असमान ज़मीन ।
अहद आहा बण अहमद आया ।मोहेस चीन मचीन ।
हाकम हो कर हुकम चलावे ।आप बने मसकीन ।
आप करे बह वाअज़ नसीहत ।आप बजाए बीन ।
जे चाहें तूं यार दा मेला ।सट्ट काविड़ बठ कीन ।
ज़ाहद कूं जा खबर सुणाउ ।इशक असाडा दीन ।
पीर मग़ा हिक्क रमज़ सुझाई ।साजन समझ करीन ।
ग़ाफ़ल न थी यार थो हिकदम ।हर जा सह हर हीन ।
दिल फ़रीद दे लुटन कीते ।बन्या फ़ख़रुदीन ।

96. हर सूरत विच आवे यार

हर सूरत विच आवे यार ।कर के नाज़ अदा लख वार ।
हुसन मलाहत बिरहो बछाए ।रमज़ नज़ाकत भा भड़काए ।
इशवा ग़मज़ा तीर चलाए ।बेबिल फिरदे ज़ार नज़ार ।
सोहणियां तरज़ां मोहणियां गाल्ही ।दिलड़ी खूब उजाड़िन चांलीं ।
होश करार भुलावन भालीं ।पलकां करदियां खून हज़ार ।
हक जा रूप सिंगार डिखावे ।हक जा आशक बण बण आवे ।
हर मज़हर विच आप समावे ।आपना आप करे दीदार ।
कडीं शहाना हुकम चलावे ।कडीं गदा मसकीन सडावे ।
उसदा भेत कोई न पावे ।सब बद मसत फिरन सरशार ।
फ़खर जहान कबूल कितोसे ।वाकफ कुल इसरार थ्युसे ।
हर जा नूर जमाल डिठोसे ।मखफी राज़ थीए इज़हार ।
यार फरीद अयां ब्याने ।नहुन अकरब विच फुरकाने ।
एहो अकीदा दीन ईमाने ।तोड़े पकड़ चढ़ावन दार ।

97. हर सूरत विच्च दीदार डिट्ठम

हर सूरत विच्च दीदार डिट्ठम ।कुल यार अग़ियार नूं यार डिट्ठम ।
कित्थ जौहर ते कित्थ अरज डिट्ठम ।कत्थ सुनत नफ़ल ते फ़रज़ डिट्ठम ।
कित्थ सेहत डिट्ठम कत्थ मरज़ डिट्ठम ।कत्थ चुसत अते बीमार डिट्ठम ।
कित्थ बतन ज़हूर डिट्ठम ।कित्थ ज़ाहद ते मखमूर डिट्ठम ।
कित्थ मुलां ते मनसूर डिट्ठम ।कत्थ चोब रसन ते दार डिट्ठम ।
ए मज़हब पाक नबियां दा ए मशरब साफ़ सफियां दा ।
ए रशद इरशाद वलियां दा ।आयात डिट्ठम अक्खबार डिट्ठम ।
कित्थ फुल गुल बाग़ बहार डिट्ठम ।कित्थ बुलबुल ज़ार नज़ार डिट्ठम ।
कित्थ ख़स खाशाक ते ख़ार डिट्ठम ।हक्क नूर दे सभ इतवार डिट्ठम ।
कित्थ बरम नरायन नरंजन है ।कत्थ राम कनिया लछमन है ।
कित्थ बेद ब्यास ब्रहमन है ।कत्थ राजस ते औतार डिट्ठम ।
इरवाह नफुस अकूल डिट्ठम ।इनसान ज़लूम जहूम डिट्ठम ।
माकूल डिट्ठम मनकूल डिट्ठम ।इकरार डिट्ठम इनकार डिट्ठम ।
कत्थ मंतक नहव ते सरफ डिट्ठम ।कत्थ इसम ते फेअल ते हरफ़ डिट्ठम ।
हक्क माने हर हर तरफ़ डिट्ठम ।चौगुट्ठ डिट्ठम चौधार डिट्ठम ।
सब आला आला शान डिट्ठम ।हसनैन ते शाह मरदा डिट्ठम ।
बू बकर उमर उसमान डिट्ठम ।वुह पाक नबी मुख़तार डिट्ठम ।
कत्थ शाह नज़ामुदीन डिट्ठम ।कत्थ फ़रद फरीदुदीन डिट्ठम ।
कत्थ कुतब मईनुदीन डिट्ठम ।कत्थ फ़खर जहां दिलदार डिट्ठम ।

98. हसन कबाह सब मुज़हर ज़ाती

हसन कबाह सब मुज़हर ज़ाती ।हर रंग मे बेरंग प्यारा ।
नाहनु अकरबु राज़ अनोखा ।है 'वाहु मअकमु' मिल्या होका ।
समझ सुजानो आलम लोगा ।है हर रूप मे ऐन नज़ारा ।
'वफी अनफसिकुम' सर्रेइलाही ।'लो दुलीतस्स' फ़ाश गवाही ।
हर सूरत विच रांझन माही ।कीता नाज़ दा ढंग न्यारा ।
हुसन अज़ल दी चाल अजीबे ।तर्हां लतीफे तरज़ ग़रीबे ।
आप ही आशक आप रकीबे ।थी दिलबर जग मोहस सारा ।
कथ मतरथ कथ तान तराने ।कथ आबद कथ नफ़ल दोगाने ।
कथ सूफ़ी सरमसत यगाने ।कथ रिन्दां मे करे अवतारा ।
क्या अफ़लाक अकूल अनासर ।क्या मुतक्कलम ग़ायब हाज़र ।
सब जा नूर हकीकी ज़ाहर ।कौन फ़रीद गरीब विचारा ।

99. हिक्क दम हिजर न सहन्दी है

हक्क दम हिजर न सहन्दी है ।दिल दिलबर कारन मांदी है ।
सोज़ गुदाज़ तूल विछावां ।डुक्ख डुहाग दी सेझ सुहावां ।
हार ग़मां दा गल विच्च पावां ।दरद दी बांह सिरांदी है ।
माही बे परवाह मिल्युसे ।पल्लड़े सोज़ फ़राक प्यु से ।
हाल कनूं बे हाल थ्युसे ।जिन्दड़ी झोक ग़मां दी है ।
डेह निभावां सड़दीं जलदीं ।रात वंजावां जलदी गलदी ।
सारी उमर गई हत्थ मलदीं ।है है मौत न आंदी है ।
सोहने कीती केच त्यारी ।आया बार बिरहों सर बारी ।
संगियां सुरतियां करन न कारी ।बे वस्स पई कुरलांदी है ।
याद करेसां यार दियां गाली ।सोहणियां रमज़ां मोहणियां चाली ।
तूनी मेहणीं डेवम स्यालीं ।तांग फ़रीद न जांदी है ।

100. हिक्क है हिक्क हिक्क है

हक्क है हिक्क हिक्क है ।हक्क दी दम दम सिक्क है ।
हक्क दे हर हर जा विच्च देरे ।क्या उच्च है क्या झिक्क है ।
हक्क है ज़ाहर हिक्क है बातन ।ब्या सब कुझ हालिक है ।
मिकनातीस ते लोहे वागन ।हूं डो दिल दी छिक्क है ।
जेहड़ा हिक्क कूं डूं कर जाने ओ काफ़र मुशरक है ।
मतलब डाढा सख़त नज़ीकी ।पर राह ते चिल चिक्क है ।
साडे सर सर वाह दा सारा ।फखर पिया मालिक है ।
दरद दा बार उठा ना सगदी ।दिल शोदी निक तरिक है ।
रोज़ अज़ल दी दिल्लड़ी मैंडी ।राह हक्क दी सालिक है ।
जिन्द दे नाल ख़्याल ख़ुदाई ।क्या पूरा ग्या बिक है ।
यार फ़रीद संजानन कीते ए नुसखा हिक्क टिक्क है ।

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