क़ातिलाना शायरी : यशु जान

Qatilana Shayari : Yashu Jaan

१.
हमें जंग में देख मौत घबराती है,
हम बोलते नहीं हमारी तलवार ही बताती है,
सुनो बुज़दि‍लों और ना आता है कुछ तुम्हें,
सिर्फ़ महफ़िलों में जाकर बकवास करनी आती है

२.
चाहे दिन को समझना चाहे रात को समझना,
मेरी लिखी और कही हर एक बात को समझना,
इंसान के लिए कोई काम मुश्किल हो सकता,
इतना भी छोटा मत अपनी औकात को समझना

३.
मेरे सोने और उसके प्यार से सुलाने में बहुत फर्क़ है,
किसी को भूलने ख़ुद को भूल जाने में बहुत फर्क़ है,
फर्क़ था यशु उनके दिमाग और मेरे दिल से सोचने में,
अब उनके महल और मेरे झोंपड़ी खाने में बहुत फर्क़ है

४.
शायर बन गया

तूने मुझे गिराया है मेरी ही नज़रों से,
मुहब्बत धोखा दे गई पहुँचाया कब्रों पे,

पहले तेरा बना ग़ुलाम,
फ़िर कायर बन गया,
शुक्रिया तेरी बेवफाई झूठी मुहब्बत का,
तेरे धोखे की वज़ह से मैं शायर बन गया

करोड़ों दिलों पे राज कर,
हम जाम पी रहे हैं,
तेरी यादों को पाल रहे हैं,
और जी भी रहे हैं,

५.
मैं मस्त रहता हूँ अपनी ही दुनियां में,
औरों की तरफ़ झाँकना आदत नहीं है मेरी

६.
क्यूँ मुझपर लग रहे हैं यशु इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम,
मुझे छोड़ने का फैसला तो उसने किया था

७.
इतना मत प्यार कर मुझे जान से भी ज्यादा,
दिक्कत होगी तुझे मुझको भूल पाने में

८.
जोश - ए - जवानी है,
दिमाग़ भरा शतरंज की चालों से,
तूफानों की औकात अब हम बताएंगे

९.
मेरे प्यार की कीमत कोई लगा ना सकता,
बिक ही गया तो समझा जायेगा सट्टा,
यशु कोई तो कीमत होगी तेरे प्यार की,
मैंने कहा मैं जान भी हूँ दे सकता

१०.
ये तो इश्क़ नहीं है 'जान'
कोई बीमारी हो सकती है,
जिसमें भूख नहीं लगती,
जिसमें प्यास नहीं लगती

११.
मेरा नाम है आशिक ग़मों वाला,
मैं इश्क़ की गली में रहता हूँ,
ये इश्क़ किसी को ना ही लगे,
हर वक़्त ख़ुदा से कहता हूँ,
आ तुझे बताऊँ पूरा पता,
मैं कहाँ - कहाँ दुख सहता हूँ

कुछ ख़ास नहीं जिसके पल्ले में,
तू किसी से पूछ मोहल्ले में,
अव्वल दर्जे का शुदाई है,
जिसकी किस्मत में जुदाई है,
जो यार - यार बस कहता है,
किस झोंपड़ी में वो रहता है,
वो कहेगा इश्क़ की गली में है,
मैं पूरा पता बताता हूँ,
आगे जाकर एक मौत आएगी,
उसके दाएं से गुज़र जाना,
वहाँ एक दुकान है दर्दों की,
पर भूल के मत उधर जाना,
वहाँ पास में ही मयख़ाना है,
जहाँ उसका आना - जाना है,
जो महबूब के नशे में धुत होगा,
यशु समझना वही दीवाना है

१२.
ख़ुद मेहनत कर और कुछ कर जाने की कोशिश कर
मेहनत नहीं होती तुझसे तो मर जाने की कोशिश कर

१३.
हुसन की बिजलियां आकर गई लौट हैं,
आफ़तों से खेलना ये मेरा भी शौक है,
आना है तो शतेआम आ मैदान ए इश्क़ में,
तेरा परदे में रहना आशिकों की मौत है,

१४.
बहुत दिन हो गए उनका दीदार नहीं हुआ,
वो ठीक हों ख़ुदा ऐसी तुझसे है दुआ,
उसके हुसन को देख परियां भी जलती हैं,
कहीं तू भी उसके ऊपर हो बेईमान ना हुआ

१५.
हमारी उमर का तकाज़ा तुम लगाओगे कैसे,
दिखने में हैं जवान,
हरकतें भी वैसी हैं

१६.
फ़नाह हो गया हूँ तेरी मुहब्बत में मैं 'जान'
मौत भी अब तुझसे मुझे जुदा ना कर पाएगी

१७.
मेरी जान के रखवाले अब मुझे ग़म मत देना,
इश्क़ करवाकर मुझसे घुटने मेरा दम मत देना,
देने हैं तो इतने दे सह ना सकूँ और मर जाऊँ,
बर्दाश्त कर तड़पता रहूँ इतने कम मत देना

१८.
किसी ने शिकायत की मेरी कि मैं इश्क़ में पड़ गया,
मेरे मालिक ने कल मुझे नौकरी से दिया निकाल

१९.
अपने हौंसले को मुश्किलों से कभी ना डरने देना,
रखना कदम सम्भल - सम्भल कर कुछ कर गुज़रने देना,
ख़ुद को भूल जाना मेहनत करते - करते हुए यशु जान,
मगर कभी भी तुम अपने सपनों को ना मरने देना

२०.
आंगन में मेरे धुआं सा उठा है,
वक़्त के आग़ोश में क्या - क्या छुपा है,
कुछ दिनों से दिल मस्त है अपने आप में,
मेरी ज़िन्दगी में जैसे कुछ नया सा हुआ है

२१.
जानलेवा इश्क़ है आशिक़ सब जानते हैं,
मगर पतंगे की फिटरत है आग में झुलस जाना

२२.
जो करना है कर लोगों की परवाह के इलावा,
लोग तो ये भी कहते हैं पढ़ने में क्या रखा है

२३.
तू जिस पत्थर को भगवान् मान रहा है,
उसके अंदर कोई है बसी जान मान रहा है,
सुनता जो दुःख दर्द की दास्तां है तेरी,
वो पत्थर भगवान् नहीं सिर्फ आस्था है तेरी

२४.
अल्लाह - अल्लाह कर रहा अल्लाह से आगे भी बढ़,
कायनात बनाई जिस अल्लाह ने,
उसकी करीगिरी से डर,
तुझे लगता अगर कोई अल्लाह है,
उसकी बातों पे अमल तो कर,
उसने तो किया कोई भेद नहीं,
तू जात का बन गया जादूगर,
है लहू तो सबका लाल रंग का,
क्यूँ फिरे भटकता इधर उधर

२५.
मन्नत मांगे हाथ फैलाए मेहनत जो नहीं कर सकता,
ईंटें पत्थर जो पूजे तेरा बन्दा नहीं हो सकता

२६.
इस मोबाईल ने बड़ों - बड़ों के खाने ख़राब कर दिए,
दुख आ गए खुशियों के अफ़साने ख़राब कर दिए,

तुम सिर्फ़ बच्चों की बात करते हो,
इस मोबाइल ने ज़माने के ज़माने ख़राब कर दिए

२७.
हाथों से लड़ता - लड़ता कोई हथियार ले आए,
मैं किसी के फटे में टांग नहीं अड़ाता

२८.
मुहब्बत जिंदगी से ना रहे,
मौत महसूस ना हो,
ऐसा बन कोई वक़्त तेरे लिए मनहूस ना हो

२९.
हम गुम नहीं हुए इश्क़ की चार दीवारी में,
उसे हम कैद कर लाए हैं अपनी इश्क़ ख़ुमारी में

३०.
किसी चीज़ को पाने के लिए कुछ हद तक कष्टों को ढोना पड़ता है,
जैसे मोमबत्ती को रौशनी देने के लिए अपना अस्तित्व खोना पड़ता है

३१.
दिल में एक रस्ता है रस्ते में एक घर है,
घर में कोई रहता है जो मेरा दिलबर है,
उस घर में वो किसी को घुसने नहीं देता,
मुझे उससे छीन ले न कोई उसको ये डर है

३२.
हर मंदिर, मस्ज़िद में ब्यान देने को तैयार थे,
तेरे बेनाम रिश्ते को नाम देने को तैयार थे,
तूने ही बेवफाई की मुझे छोड़ जो दिया,
हम तेरे लिए जान देने को तैयार थे

३३.
कोई और हुक्म है कहने को देर मत कर,
इंसान को बदलना मेरे बस की बात नहीं

३४.
पता नहीं क्यूं उनकी तरफ़ खींचा चला जाता हूँ,
होश कर नहीं रहती मुझे मैं लौटकर जब आता हूँ,
ये भी एक करिश्मा है यशु जान आने के बाद,
अपने आपको घर नहीं उनकी आग़ोश में पता हूँ

३५.
आसमां की आँखों पे लगा चश्मा सा लग रहा है,
उनके आने से ज़िंदगी जीना आसान सा लग रहा है,
हर ख़्वाहिश पूरी हो रही है उनकी रहनुमाई से,
उनका आना मेरी ज़िन्दगी में करिश्मा सा लग रहा है

३६.
एक सपने ने मेरी नींद उड़ा डाली,
सपने में उनकी दिख गई बेहाली,
मैंने किया फोन हाल पूछने के लिए,
और उधर आई बदले में गाली पे गाली

३७.
आब की एक बूँद को मयख़ाना कर देगी,
मेरी छोटी सी हरकत को आशिकाना कर देगी,
यूँ ना भर - भर के नज़र मुझको देखो,
तेरी एक नज़र ही मुझको दीवाना कर देगी

३८.
दूसरों की नज़रों में वो बड़ा नहीं बन सकता,
अपने से बड़ों की जो इज़्ज़त नहीं कर सकता

३९.
माँ अगर ठंडी छाँव है,
तो पिता खुशियों का गाँव है,
माँ अगर शीतल जल है,
तो पिता उसमें चलने वाली नांव है

४०.
दवाई से बहतर दुआ काम आती है,
बेवफ़ाई से ज़्यादा किसी की वफ़ा काम आती है,
छोड़ जाते हैं जब सारे रिश्तेदार हमें,
आख़िर में जन्म देने वाली माँ ही काम आती है

४१.
लोगों ऐसी ख़ता तो मत करो,
रिश्तों को तोड़ने का ग़ुनाह तो मत करो,
बड़ी मुश्किल से मिलता है रिश्ता भाई का,
भाई को भाई से जुदा तो मत करो

४२.
बंद ताला कभी किस्मत की चाबी बन जाती है,
ग़ुलामी की जनज़ीर तोड़ दो आज़ादी बन जाती है,
मुश्किलों को देखकर कभी पीठ मत दिखाओ,
मुश्किल ही कभी - कभी कामयाबी बन जाती है

४३.
आँगन में मेरे धुआं सा उठा है,
वक़्त की आग़ोश में क्या - क्या छुपा है,
कुछ दिनों से दिल मस्त है अपने आप में,
मेरी ज़िन्दगी में जैसे कुछ नया सा हुआ है

४४.
जो करना है कर लोगों की परवाह के इलावा,
लोग तो ये भी कहते हैं पढ़ने में क्या रखा है

४५.
जानलेवा इश्क़ है आशिक़ सब जानते हैं,
पतंगे की फिटरत है आग में झुलस जाना

४६.
मेरी मुहब्बत का यकीन कर तेरे साथ खड़ा रहूँगा,
तेरे मुश्किल वक़्त में चट्टान की तरह अड़ा रहूँगा,
तू एक मौका दे चाहे नौकर ही बना के रखले,
मैं ग़ुलाम बनके सारी उम्र कदमों में पड़ा रहूँगा

४७.
जिंदगी जन्नत बन जाएगी तेरी एक काम कर जान,
चाहे नए रिश्तों को जोड़ मत पर पुरानों को तोड़ मत

४८.
मैं अपनी मुहब्बत को सच्चा ना साबित कर पाया,
चोट खाता रहा और तड़पता रहा पर ना मर पाया,
लोग कहते हैं हर दर्द की दवा होता है वक़्त,
मगर मेरे ज़ख़्म को कम्बख़्त वक़्त भी ना भर पाया

४९.
कोई कहे ख़ुदा ने जन्नत में हूरें बिठा रक्खी हैं,
जिन्होंने आदम के लिए नज़रें बिछा रक्खी हैं,
मैंने कहा मुझे ख़ुदा की बनाई जन्नत नहीं चाहिए,
मेरे मुर्शीद ने अपने कदमों में जन्नत बसा रक्खी है

५०.
किसी को शक़ की निग़ाह से देखना ग़ुनाह नहीं होता,
शक़ भी उसी पे होता है जिसपे ऐतबार होता है,
किसी को नफ़रत की निग़ाह से देखना ग़ुनाह नहीं होता,
नफ़रत भी उसी से होती है जिससे प्यार होता है

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