हिन्दी कविता अमित सिंह
Hindi Poetry Amit Singh

1. प्यार से जो जिये, प्यार के ही लिये (ग़ज़ल)

प्यार से जो जिये, प्यार के ही लिये
भूल कर के कभी न उसे छोड़िये

छोड़ना हो यदि तो दुनिया छोड़िये
पर कभी न किसी का दिल तोड़िये

दर्द बढ़ जाएगा, दिल भी जल जाएगा
मुझसे न कभी आप यूँ नजर फेरिए

दो दिलों के बीच में न किसी को लाईये
आप भी प्यार से कभी तो मुस्कुराईये

2. अपने ही पीछे सारी दुनिया भागे किस लिए

अपने ही पीछे सारी दुनिया भागे किस लिए ?
हमने तुमसे प्यार के नाते जोड़े इस लिए ।

पहले तो जब, हम न मिले थे, जग से था नाता हमारा,
जब से प्यार, हुआ है तुमसे, छुटा सब से नाता हमारा,
तो क्या हो गया, जो बिछरे दो दिल मिल गए,
तुझको चाहूँ मैं जो इतना, जलती दुनिया इस लिए !

अपने ही पीछे सारी दुनिया भागे किस लिए ?
हमने तुमसे प्यार के नाते जोड़े इस लिए ।

3. गीत - तुम

दिन के उजालों में भी हो तुम, तुम्हीं हो रातों में
खाबों खयालों में से लेकर, तुम्हीं हो बातों में

जिक्र तेरा न हो जिस में न करता वैसी बातें
तेरे सपने जो ना आते तो न कटती ऐसी रातें
हर पल, हर दिन तुझको चाहा, गुनगुनाया गीतों में
दिन के उजालो में भी हो तुम . .

बचपन में चाहा जब था तुझको, मालूम न था चाहूंगा अब तक,
यूहीं मैं तुझको चाहूंगा निसदिन जाँ है मेरी जाँ ये जब तक,
दो पल की है जीवन अपनी, चाहूँ तेरे संग बीते
सच्चा हो जाए तेरा सपना जो हैं तेरी आँखों में दिन के उजालो में भी हो तुम . .

4. भोजपुरी निरगुण गीत - पियवा कवने नगरिया

पियवा कवने नगरिया तू गईलस
कि हमके तू भूलईलस, फेर कबहूं न अईलस
हाये कबहूं न अईलस . .
हो रामा . .

दिलवा, जिगड़वा सब तोहीके देली
तोरा जान बनईलीस, दिलवा में बसईलीस
कि हमके तू भूलईलस, फेर कबहूं न अईलस
हाये कबहूं न अईलस . .
हो रामा . .

काल्हे रतीया तोहीके उतना बुलईली
पर तू काहे के आवे, सारी रतीया सतईलीस
कि हमके तू भूलईलस, फेर कबहूं न अईलस
हाये कबहूं न अईलस . .
हो रामा . .

5. भोजपुरी निरगुण गीत - एक दिन त टुटबे करीहैं

भोजपुरी निरगुण गीत - एक दिन त टुटबे करीहैं
एक दिन त टुटबे करीहैं, सांसा के रेला
चार दिन में छुट जाई, जग भर के मेला
हाये जग भर के मेला
हो रामा . .

जितते दिन तू जीबे जी ले रे खुशी से
एक दिन चली जईबे दुनिया से अकेला
चार दिन में छुट जाई, जग भर के मेला
हाये जग भर के मेला
हो रामा . .

सब त आईल बारे चार दिन के खातिर
चारे दिन खातिर बांरैं, जग भर के झमेला
चार दिन में छुट जाई, जग भर के मेला
हाये जग भर के मेला
हो रामा . .

6. नजर से नजर को मिला गया कोई

नजर से नजर को मिला गया कोई
चुपके से दिल को चुरा गया कोई

आँख मिली थी पल भर को उससे
जिन्दगीं भर को जगा गया कोई

बातों को उसकी मैं अब तलक सोचूँ
बातों में अपनी उलझा गया कोई