बाल कविताएँ : यशु जान

Baal Kavitayen : Yashu Jaan

1. एक खिलौना मुझको ले दो

मैंने भी तो खेलना होता,
घर में हूँ मैं ही इकलौता,
मुझको मेरी खुशियां दे दो,
एक खिलौना मुझको ले दो ।

छुट्टी वाले दिन खेलूंगा,
करके सकूल का काम,
खेल कूदकर माँ की गोदी,
में करना आराम,
अव्वल दर्जे पर आऊंगा,
अपनी कक्षा में देखो,
मुझको मेरी खुशियां दे दो,
एक खिलौना मुझको ले दो ।

तोड़ूंगा ना ये खिलौना,
रखूंगा मैं संभाल,
पढ़ लिखकर होशियार बनेगा,
आपका नन्हा बाल,
आपका कहना भी मानूंगा,
अवसर एक मुझे दो,
मुझको मेरी खुशियां दे दो,
एक खिलौना मुझको ले दो ।

2. आम खाऊं मैं पीला-पीला

आम खाऊं मैं पीला-पीला,
अंदर से ये गीला-गीला,
खाता हूँ खाने के बाद,
खाने में ये बड़ा स्वाद,
गुठली इसकी बड़ी निराली,
चूसके बनते शक्तिशाली,
रोज़ ही बापू लाते हैं,
धोकर मुझे खिलाते हैं,
पौष्टिक तत्वों से भरपूर,
इसको सारे खाओ ज़रूर,
कम खाओ ना है नुकसान,
खट्टा होता कच्चा आम,
कहते इसको फ्लों का राजा,
माँ ने बोला फट से खाजा ।

3. आसमान और तारे

रात में देखो ख़ूब नज़ारे,
आसमान और ढेरों तारे,
कुछ चलते,
कुछ रुके हुए,
चमक रहे हैं लगते प्यारे,
रात में देखो ख़ूब नज़ारे,
आसमान और ढेरों तारे ।

सूरज निकला गायब होते,
बड़े-बड़े और छोटे-छोटे,
कैसे लटके,
रहते हैं ये,
रात को इनको देख निहारें,
रात में देखो ख़ूब नज़ारे,
आसमान और ढेरों तारे ।

आभा इनकी बहुत निराली,
ठंडी-ठंडी किरणों वाली,
टूट के गिरें,
मेरी झोली,
कैसे नीचे हम उतारें,
रात में देखो ख़ूब नज़ारे,
आसमान और ढेरों तारे ।

आकृतियां भी ये बनाते,
ध्रुव तारे के साथ हो जाते,
इनके ऊपर,
बैठ जाऊं मैं,
जाऊं पर किसके सहारे,
रात में देखो ख़ूब नज़ारे,
आसमान और ढेरों तारे ।

4. घर में नन्ही किलकारियां

नन्ही किलकारियों से,
गूँज उठा है अंगान,
खुशियों से भर गया,
मेरा ये जीवन,
पा लिया हो जैसे,
दबा हुआ खज़ाना,
खुशी में पागल है,
ऐसे ये मेरा मन,
तोतली ज़ुबान से,
अब कोई पुकारेगा,
इंतज़ार उस पल का,
रहेगा अब हरदम ।

5. तितलियाँ

कैसी हैं तितलियाँ,
बैठीं हैं तितलियाँ,
ख़ूबसूरत तो हैं,
जैसी हैं तितलियाँ,
कैसी हैं तितलियाँ,
बैठीं हैं तितलियाँ ।

छोटी तितलियाँ,
बड़ी तितलियाँ,
फ़ूलों के ऊपर,
हैं चढ़ी तितलियाँ,
मन को हैं भाती,
हैं ऐसी तितलियाँ,
कैसी हैं तितलियाँ,
बैठीं हैं तितलियाँ ।

काली तितलियाँ,
पीली तितलियाँ,
बारिश में नहाकर,
हुई गीली तितलियाँ,
भंवरों के नशे में,
हैं बहकी तितलियाँ,
कैसी हैं तितलियाँ,
बैठीं हैं तितलियाँ ।

पकड़ी तितलियाँ,
छोड़ी तितलियाँ,
अकेली तितलियाँ,
एक जोड़ी तितलियाँ,
बच्चों को देखकर,
हैं सहमी तितलियाँ,
कैसी हैं तितलियाँ,
बैठीं हैं तितलियाँ ।

6. कुदरत का वरदान हैं बच्चे

कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ-बाप की जान हैं बच्चे,
इनके मन भगवान् है बस्ता,
फ़िर कैसे शैतान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे ।

हर देश का है भविष्य इनसे,
पूछलो जाकर मर्ज़ी जिनसे,
फ़र्क किया ना इनमें किसी ने,
सारे एक समान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ-बाप की जान हैं बच्चे ।

बच्चा होना हर कोई चाहे,
पर मुश्किल बच्चों की राहें,
पैदा होने से लेकर अब तक,
बढ़ते नहीं आसान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ-बाप की जान हैं बच्चे ।

बच्चों पर बोझा ना डालो,
बच्चों को अच्छे से पालो,
ध्यान रखो हर वक़्त उनका,
क्यूंकि अभी नादान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ-बाप की जान हैं बच्चे ।

7. बारिश आई चलो नहाएं

बारिश आई चलो नहाएं,
इस बारिश में धूम मचाएं,
काले बादल घनघोर घटाएँ,
बारिश आई चलो नहाएं ।

अपने सखी सखा संग खेल,
हम आनंद उठाएंगे,
इस बारिश में डूब-डूब कर,
गीत प्यार का गाएंगे,
मज़ा लें इसका सारे बच्चे,
आओ उन्हें बुलाएं,
काले बादल घनघोर घटाएँ,
बारिश आई चलो नहाएं ।

देखो-देखो कितने पक्षी,
होकर गीला आए हैं,
मस्ती में ये झूम रहे हैं,
लगता ख़ूब नहाए हैं,
हम भी इनसे कम नहीं हैं,
आओ इन्हें दिखाएं,
काले बादल घनघोर घटाएँ,
बारिश आई चलो नहाएं ।

बारिश में नहाने के बाद,
साफ पानी से नहाओ,
करके अपनी मस्ती पूरी,
घर पर लौट आओ,
बीमार ना हमको कर डालें,
जो ठंडी चलें हवाएं,
काले बादल घनघोर घटाएँ,
बारिश आई चलो नहाएं ।

8. घर में है एक बिल्ली काली

बचपन में एक बिल्ली काली,
भूरी-भूरी आँखों वाली,
छोटे बच्चे देख थे डरते,
माँ देती है दूध की प्याली,
घर में है एक बिल्ली काली ।

उसके भी हैं छोटे बच्चे,
प्यारे-प्यारे अच्छे-अच्छे,
बड़ी शरारत करते हैं हम,
बुद्धि से हम अभी हैं कच्चे,
कितनी बार तो खेलते हुए,
आँखों में है मिट्टी डाली,
घर में है एक बिल्ली काली ।

उसको सभी हैं कहते मौसी,
जितने भी हैं आस-पड़ोसी,
मेरी माँ उसे भूआ बताती,
रिश्तेदारी ऐसे होती,
बचपन की ये बातें जान,
बड़ी ही होती हैं निराली,
बचपन में एक बिल्ली काली,
घर में है एक बिल्ली काली ।

9. देश की बेटियों के नाम

मेरे नन्हे कदमों को,
आगे बढ़ जाने दो,
मैं जीना चाहती हूँ,
मुझे बाहर आने दो,
मैं एक छोटी गुड़िया हूँ,
क्या है कसूर मेरा,
इस दुनियां में आकर,
कुछ कर दिखाने दो ।

मैं पढूंगी लिखूंगी,
बेटों की तरह,
मैं भी तो प्राणी हूँ,
तुम समझो तो ज़रा,
मुझे ज़िन्दग़ी जीने का,
अब हक जताने दो,
मेरे नन्हे कदमों को,
आगे बढ़ जाने दो ।

मुझसे संसार चले,
मेरा चलना मुश्किल,
तो कौन निकलेगा,
इस बात का हल,
चलो मुझको ही मेरी,
किस्मत आजमाने दो,
मेरे नन्हे कदमों को,
आगे बढ़ जाने दो ।

तुम क्यों देते हो,
बेटों को हक ज़्यादा,
मेरी नारी शक्ति का,
मत टूटने देना धागा,
अपनी हस्ती को यशु,
मुझे ही बचने दो,
मेरे नन्हे कदमों को,
आगे बढ़ जाने दो ।

10. सब पढ़कर बनो महान बच्चों

सब पढ़कर बनो महान बच्चों,
पढ़ने में ही शान बच्चो ।

पूरी करो सब अपनी शिक्षा,
प्राप्त करो ज्ञान बच्चों ।

माता-पिता भी गर्व करें,
रौशन करदो नाम बच्चों ।

पढ़कर सब अच्छा पद लो,
छोड़ो काम नादान बच्चों ।

मेहनत करो और आगे बढ़ो,
कह रहे यशु जान बच्चो ।

11. बच्चे नाज़ुक कली हैं होते

बीज बोने से उसी का मूल बनेगा,
कली को संभालो तो उसी से फूल बनेगा

बच्चे नाज़ुक कली हैं होते,
ध्यान रखना ज़रूरी,
पालन - पोषण मुख्य है,
करो इनकी जी हज़ूरी,
बच्चे नाज़ुक कली हैं होते

धूप में बाहर मत निकालो,
निश्चित समय पिलाओ पानी,
पोलिओ की बूँदें भी इनको,
चाहिएं सोच समझ पिलानी,
पौष्टिक - तत्वों से कभी भी
मत बनाना दूरी,
बच्चे नाज़ुक कली हैं होते,
रखना ध्यान ज़रूरी

ठंड में रखना ख़ास ध्यान,
गरम कपड़ो से ढकना है,
ठंडी चीज़ों से परहेज़,
सबसे ज़्यादा रखना है,
छोटे बच्चे धरोहर देश की,
करना मत नुकसान,
बच्चे नाज़ुक कली हैं होते,
रखना ध्यान ज़रूरी

12. मेरा साईकल मेरा साथी

मेरा साईकल मेरा साथी,
नरम - नरम है इसकी काठी,
स्कूल मैं इसपे जाता हूँ,
धीरे - धीरे चलाता हूँ,
छुट्टी होते ही घर आऊं,
आते - आते ख़ूब चलाऊँ,
पूरी इसकी रखूँ संभाल,
घंटी बजे तो निकले ताल,
इसको धोते पिता जी रोज़,
इसके साथ है मौज ही मौज,
जिसने साईकल है बनाई,
उसकी करते हैं ख़ूब बढाई,
कम है दाम आसान चलाना,
बड़ा सुखद है आना - जाना,
हम बच्चों की खेल प्यारी,
अच्छी है साईकल की सवारी ।

13. मुझे मिली हैं नई किताबें

मुझे मिली हैं नई किताबें,
नई कक्षा में आये हैं,
पास हुए ले अच्छे नंबर,
मात - पिता हर्षाये हैं
मुझे मिली हैं नई किताबें,
नई कक्षा में आये हैं ।

नया मिला मुझको बस्ता,
जिसमें रखें किताबें,
नई पेन्सिलें, रब्बड़, शार्पनर,
कपड़े बूट, जुराबें,
नए इरादे नई कक्षा में,
दिल में अब बसाए हैं,
मुझे मिली हैं नई किताबें,
नई कक्षा में आये हैं ।

नया - नया ही अब पढ़ेंगे,
कक्षा में हम जाकर,
नक़ल कभी नहीं मारेंगे,
सफ़ल बनेंगे साक्षर,
मात - पिता ने कितने सपने,
अपने मन में सजाये हैं,
मुझे मिली हैं नई किताबें,
नई कक्षा में आये हैं ।

एक ही लक्ष्य बनाओ अपना,
अच्छा - अच्छा सीखें,
अपने हुनर से आगे निकलें,
रह जाएँ ना पीछे,
आगे बढ़ने को ही हम,
अपना लक्ष्य बनाए हैं,
मुझे मिली हैं नई किताबें,
नई कक्षा में आये हैं ।

14. रोज़ एक कविता को गाओ

रोज़ एक कविता को गाओ,
गाकर झूमो गाते जाओ,
बड़ों का आदर करना सीखो,
ये ज़िन्दगी का पहला दाओ,
रोज़ एक कविता को गाओ,
गाकर झूमो गाते जाओ ।

सिर पर रहे जो बड़ों का हाथ,
ईश्वर भी दे उनका साथ,
अपने से छोटे हों दोस्त,
समझो इसको दूसरा पाठ,
अच्छी सब पहचान बनाओ,
ना मात - पिता का दिल दुखाओ,
रोज़ एक कविता को गाओ,
गाकर झूमो गाते जाओ ।

हाथों को धोकर भोजन करना,
खाकर भोजन फ़िर धो मलना,
हरी सब्ज़ियां ज़्यादा खानी,
खाकर भोजन धीरे चलना,
इन बातों को समझ जाओ,
गलतियों भी मत दौहराओ,
रोज़ एक कविता को गाओ,
गाकर झूमो गाते जाओ ।

कभी लेना मत अधूरी शिक्षा,
शिक्षा का मतलब है दीक्षा,
तभी समाज करेगा इज्ज़त,
शिक्षा है एक अमृत भिक्षा,
यशु जान का मान बढ़ाओ,
अपने देश को ख़ुद बचाओ,
रोज़ एक कविता को गाओ,
गाकर झूमो गाते जाओ ।

15. मुफ़्त शिक्षा कब देगी हमें सरकार

लूटकर हमें अपना चलाये कारोबार,
मुफ़्त शिक्षा कब देगी हमें सरकार ।

साक्षरता दर तभी बढ़ेगी,
जब हर पीढ़ी ख़ूब पढ़ेगी,
कैसे करें तरक्की कक्षा पढ़के चार,
लूटकर हमें अपना चलाए कारोबार,
मुफ़्त शिक्षा कब देगी हमें सरकार ।

अच्छी हो स्कूलों की हालत,
क्या कर रही सरकार अदालत,
इसी लिए तो हुए गरीबी का शिकार,
लूटकर हमें अपना चलाए कारोबार,
मुफ़्त शिक्षा कब देगी हमें सरकार ।

मुफ़्त किताबें चाहिएं देनी,
पड़े कोई ना कीमत देनी,
शिक्षा को बना लिया है एक व्यापार,
लूटकर हमें अपना चलाए कारोबार,
मुफ़्त शिक्षा कब देगी हमें सरकार ।

16. अच्छी किताबें अच्छी मित्र

अच्छी किताबें अच्छी मित्र,
अच्छा ज्ञान अच्छा चरित्र,
अध्यापक हैं गुरु हमारे,
पूजनीय हमारे विप्र,
अच्छी किताबें अच्छी मित्र,
अच्छा ज्ञान अच्छा चरित्र ।

जहाँ से मिले शिक्षा लेलो,
अंधकार को और ना झेलो,
असत्य से चलो सत्य की ओर,
रात ढली तो आ गई भोर,
अच्छे मित्रों की संगत,
अच्छी बातों का ही ज़िक्र,
अच्छी किताबें अच्छी मित्र,
अच्छा ज्ञान अच्छा चरित्र ।

शिक्षा देती पढ़ो कहानी,
जिसमें ना हो राजा रानी,
बुराई के आगे ना है झुकना,
चलते गिरते फ़िर से उठना,
चारों तरफ़ हो ज्ञान की खुशबू,
जैसे महक खिलारे इत्र,
अच्छी किताबें अच्छी मित्र,
अच्छा ज्ञान अच्छा चरित्र ।

सुबह - सुबह जल्दी से उठो,
माता - पिता के आगे झुको,
उनका आशीर्वाद लेकर,
ख़ुश होंगे वे ये देखकर,
बच्चे हैं नादान हमारे,
ये सोच ना करेंगे फ़िक्र,
अच्छी किताबें अच्छी मित्र,
अच्छा ज्ञान अच्छा चरित्र ।

17. कुदरत ने हमें बहुत दिया है

कुदरत ने हमें बहुत दिया है,
मगर हमने उपहास किया है,
नीला अंबर दिया है हमको,
जिसका फ़ायदा बहुत लिया है,
कुदरत ने हमें बहुत दिया है,
मगर हमने उपहास किया है ।

पानी दिया है जो है जीवन,
अमृत के जैसा है पावन,
जिसके बिना अधूरा जीवन,
इसको हर प्राणी ने पिया है,
कुदरत ने हमें बहुत दिया है,
मगर हमने उपहास किया है ।

हवा है दी जो प्राण बचाए,
इसके बिना ना साँस ही आए,
पेड़ - पौधों में से गुज़रे,
इसके कारण हर कोई जिया है,
कुदरत ने हमें बहुत दिया है,
मगर हमने उपहास किया है ।

धरती दी है रहने के लिए,
शब्द नहीं कहने के लिए,
सूरज का प्रकाश दिया है,
बना दिया जिसको रिया है,
कुदरत ने हमें बहुत दिया है,
मगर हमने उपहास किया है ।

18. मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता

मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता,
हरी मिर्च वो खाए मेरे साथ है सोता,
लाल चोंच है इसकी रंग है हरा - हरा,
मैं सबको बोलूं एक मित्र ऐसा ही होता,
मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता ।

अमरूद खाए ये कुतर - कुतर,
बड़ी मचाता है उथल - पुथल,
गर्दन पे इसके लाल सी धारी,
मुझको जो लगती बड़ी प्यारी,
मांगे मुझसे जब मैं खाऊं गर्म समोसा,
मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता ।

है मुझे बुलाता मेरे नाम से,
बोलता रहे ये बिना काम के,
चूरी इसको है बहुत पसंद,
पिंजरे में ना रखते बंद,
इसके लिए बनाया हुआ है सुंदर सोफ़ा,
मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता ।

जब भी इसके दोस्त आते,
इसके संग वो नाचते - गाते,
घर का ये है सदस्य प्यारा,
मुझे है इसका बहुत सहारा,
साथ इसके खेलने का ना छोडूं मौका,
मैंने घर में रखा हुआ है मिट्ठू तोता ।

19. विचारधारा आगे सौंपना

भगवान को पाना हो,
पहले इंसान बनो,
जिसको प्यार करो,
उसका सम्मान करो,
गुरु के चरणों में,
शीश को जा धरो,
अगर है सफल होना,
तो पहले ज्ञान धरो,
अपनी नियत को,
शुद्धि से तुम भरो,
इन शब्दों को तुम,
गहन से सोचना,
यही विचारधारा,
आगे सौंपना ।

20. गर्मी का महीना बहुत बुरा

गर्मी का महीना आ गया,
सबको ही पसीना आ गया,
धूप कड़कती पड़ रही है,
गर्मी का मौसम छा गया,
गर्मी का महीना आ गया ।

बारिश भी ना जल्दी पड़ती,
धूप में चमड़ी बेहद जलती,
बिजली जाए देर से आती,
आते ही फ़िर से चली जाती,
सूरज तन ऊर्जा को ही,
पी गया और खा गया,
गर्मी का महीना आ गया ।

छोटे बच्चे तो बहुत हैं रोते,
गर्मी में वे कहां है सोते,
मुश्किल है बार - बार नहाना,
बार - बार ही आना - जाना,
गर्मी में उठ बैठ - बैठकर,
सिर भी है चकरा गया,
गर्मी का महीना आ गया ।

गर्मी से बचकर रहो तुम भी,
पीते रहो ठंडी शिकंजवी,
इससे थोड़ा फरक पड़ेगा,
गर्मी का असर दूर हटेगा,
ये तरीका यशु जान को,
बहुत ज़्यादा भा गया,
गर्मी का महीना आ गया ।

21. माँ मुझे मरने मत देना

मैं बेटी हूँ क्या इसी लिए,
मुझे गर्भ में ही मारा जाता,
मुझ जैसी नन्ही जान को,
क्यों पूजें समझ के माता,
हाथ पकड़कर रखना मेरा,
बिछड़ने मत देना,
माँ मुझे मरने मत देना ।

तो क्या हुआ लड़की हूँ,
लड़कों से हूँ कम नहीं,
मुझे बचाना हाथ है तेरे,
इतना भी क्या दम नहीं,
ऐसा कहर तू मेरे ऊपर,
करने मत देना,
माँ मुझे मरने मत देना ।

कसूर बतादो क्या है मेरा,
कातिलों ने क्यों मुझको घेरा,
लड़कियों को भी हक़ मिले,
जागो अब तो हुआ सवेरा,
अपने दिल को इनके डर से,
डरने मत देना,
माँ मुझे मरने मत देना ।

हर क्षेत्र में लड़कियां भी हैं,
मानो जैसे लड़कियां ही हैं,
अपने खोलो अंतर चक्षु,
उच्च पद और डिग्रियाँ ली हैं,
अपने बाग को अपने सामने,
उजड़ने मत देना,
माँ मुझे मरने मत देना ।

22. मेहनत करती चींटी देखी

मेहनत करती चींटी देखी,
सबको यही है शिक्षा देती ।

मन लगाकर करो पढ़ाई,
बच्चों को भी है ये कहती,

छोटी है पर बड़ी बहादुर,
देखी ना आराम से लेटी ।

दाना लेकर आती - जाती,
जैसे करती हो ये खेती ।

मेहनत का जो पाठ पढ़ाए,
देखी ना कभी इसके जैसी ।

23. अब जीत हमारी पक्की है

जो होगा देखा जाएगा,
कोई हमको हरा ना पाएगा,
नकल मारने से तो,
मेहनत करनी अच्छी है,
कौन रोकेगा हमको,
अब जीत हमारी पक्की है ।

कोई कितनी भी करले कोशिश,
कोई चलने देंगे ना साजिश,
बुराई के ख़िलाफ़,
आवाज़ बुलंद जो रक्खी है,
कौन रोकेगा हमको,
अब जीत हमारी पक्की है ।

है कदम से कदम मिलाना अब,
होंगे एक जगह इकट्ठे सब,
ये मत समझना,
कि लग गई अट्टी - सट्टी है,
कौन रोकेगा हमको,
अब जीत हमारी पक्की है ।

हम भारत को ऊपर लाएंगे,
इसे विश्व विजयता बनाएंगे,
साथ हो यशु जान,
फ़िर बढ़ जानी शक्ति है,
कौन रोकेगा हमको,
अब जीत हमारी पक्की है ।

24. आओ सच्चाई के संग चलें

दिल में लेकर ये उमंग चलें,
आओ सच्चाई के संग चलें,
तंग दिलों को करें विशाल,
करते हुए साफ़ गंद चलें,
दिल में लेकर ये उमंग चलें,
आओ सच्चाई के संग चलें ।

भारत के स्वाभिमान की ख़ातिर,
भाई - बंधु की शान की ख़ातिर,
कोई दुखी, गरीब ना देश में हो,
मिलाकर अंग से अंग चलें,
दिल में लेकर ये उमंग चलें,
आओ सच्चाई के संग चलें ।

साक्षर भी सबको है बनाना,
हो अच्छी शिक्षा अच्छा खाना,
अड़चन ना आए रस्ते में,
सारा करके प्रबंध चलें,
दिल में लेकर ये उमंग चलें,
आओ सच्चाई के संग चलें ।

इस देश से भ्रष्टाचार मिटाएँ,
मिलकर त्रुटियाँ दूर भगाएँ,
दरवाजे दिल के खोल रखें,
ना ही रखकर बंद चलें,
दिल में लेकर ये उमंग चलें,
आओ सच्चाई के संग चलें ।

25. झूठ के प्रहार से बचो

झूठ के प्रहार से बचो,
सच के रंग में रचो।
झूठ अंधकार में देगा झोंक,
बचो जितना बच सको,
झूठ के प्रहार से बचो,
सच के रंग में रचो ।

आत्मा की बात को सुनो,
अच्छे मुखशब्दों को चुनो,
होने वाली हार से बचो,
झूठ के प्रहार से बचो,
सच के रंग में रचो ।

चारों तरफ़ अंधकार,
दिलों में पनपते विकार,
गंदे विचार से बचो,
झूठ के प्रहार से बचो,
सच के रंग में रचो ।

आंखों के सामने है सब,
चाहते क्या हो अब,
दिखावे के प्यार से बचो,
झूठ के प्रहार से बचो,
सच के रंग में रचो ।

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