गीतिका गोपालदास नीरज

Geetika Gopal Das Neeraj

  • खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की
  • अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
  • हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे
  • कि दूर-दूर तलक एक भी दरख़्त न था
  • कोई दरख़्त मिले या किसी का घर आये
  • बदन प' जिसके शराफ़त का पैरहन देखा
  • बात अब करते हैं क़तरे भी समन्दर की तरह
  • जागते रहिए ज़माने को जगाते रहिए
  • तेरा बाज़ार तो महँगा बहुत है
  • निर्धन लोगों की बस्ती में घर-घर कल ये चर्चा था
  • कुल शहर बदहवास है इस तेज़ धूप में
  • जो कलंकित कभी नहीं होते
  • उनका कहना है कि नीरज ये लड़कपन छोड़ो
  • गीत जब मर जायेंगे फिर क्या यहाँ रह जायेगा
  • भीतर-भीतर आग भरी है बाहर-बाहर पानी है
  • मुझ पे आकर जो पड़ी उनकी नज़र चुपके से
  • मंच बारूद का नाटक दियासलाई का
  • देखना है मुझ को तो नज़दीक आकर देखिये